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पटना में धुमधाम से मनाया जा रहा है दुर्गा पूजा, दर्शन और पूजा के लिए उमड़े श्रद्धालु।



न्यूज़ डेस्क। महाअष्टमी को मां सिद्धिदात्री की पूजा के बाद शाम को ऐसा माहौल दिखा कि क्या बच्चें, महिलाएं, जवान और बुजुर्ग, सब इसकी मस्ती में डूब गए हैं। यह मेला ही तो है, बच्चों के खेलने को ले खिलौने, बड़ों के लिए खाने-पीने एवं महिलाओं व युवतियों के लिए चूड़ी से लेकर साज श्रृंगार का समान सबके लिए कुछ न कुछ मिल रहा है दशहरा मेला में।



पंडाल की रौनक गजब की दिख रही है। रंग-बिरंगी रोशनी से रात-दिन का फर्क मिट गया है। मां के जयकारों की गीत से माहौल में भक्ति की रसधारा बह रही है। मेला घूमने वालों के लिए मनोरंजन का भी बहुत साधन है। उसका आनंद मेला घूमने वाले लोग ले रहे हैं। शहर में गगन चूमती पंडाल से लेकर अन्य देवी -देवता की भी मूर्ति स्थापित की गई है। उनका दर्शन कर लोग आशीष मांग रहे हैं। इस बीच मां के भक्ति में डूबे श्रद्धालु महाअष्टमी व्रत भी किए। कालीबाड़ी में अष्टमी को निशा पूजा की गई। हालांके इस दौरान लोगों के चेहरे पर मास्क नहीं दिखा और शारीरिक दूरी का अनुपालन भी नहीं हो रहा था।

रोशनी से सराबोर हुआ शहर का चप्पा -चप्पा

पूजा पंडाल बुधवार को शाम होते ही रोशनी से सराबोर हो उठा। इंद्रधनुषी छंटा से पंडाल और मनोरम दिख रहा है। विशालकाय पंडाल देखने के लिए लोगों की भीड़ पहुंच रही है। डाक बंगला, आशियाना मोड़, जगदेव पथ, मछुआ टोली, बंगाली अखाड़ा, गोविन्द मित्र रोड़, क़दम कुआं, सब्जीबाग, भंवर पोखर, बी एन कॉलेज आदि में बने पंडालों के आस-पास आकर्षक लाइटिग की व्यवस्था की गयी है, उसे देखने के लिए लोगों की भीड़ उमड़ रही है। पूजा पंडाल के आस-पास रात -दिन का फर्क मिट गया है। पंडाल व रंग बिरंगी लाइट से लोगों की नजर ही नहीं हट रही है। वे इसे मोबाइल के कैमरे में कैद करने लिए बचैन हो जा रहे है। इससे वहां भीड़ लग जा रही है। 


भीड़ को नियंत्रित करने के लिए पूजा समिति के लोगों को काफी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। हालांकी कोरोना के कारण इस साल सजावट में थोड़ी कमी लग रही है।

श्रद्धालु भक्तों ने की अष्टमी व्रत, हवन आज

शारदीय नवरात्र कर रहे श्रद्धालु नर-नारियों ने महाअष्टमी व्रत किया। वे उपवास रहे। पंडित अनीत शुक्ल ने बताया कि गुरूवार को दुर्गाशप्ती का पाठ कर रहे भक्त हवन करेंगे। अष्टमी की रात कालीबाड़ी में निशा पूजा का आयोजन किया गया। शारदीय नवरात्र के आठवें दिन कलश में जौ अपना स्वरूप ले चुके हैं। उसे देखकर भक्त प्रसन्न हो रहे हैं। ऐसी मान्यता है कि कलश में उगे जौ कान में लगाने से यम भी नहीं छूता है। इसकी अकाल मृत्यु नहीं होती है।

दशमी को काली बाड़ी में खेला जाएगा सिदूर

नवरात्र के दशमी तिथि को काली बाड़ी में श्रद्धालु महिलाएं सिदूर खेलकर मां को भारी मन से पुन: अगले साल आने की कामना के साथ विदा करती हैं। बंगाली समुदाय की महिलाएं मां दुर्गा को दशमी को सिदूर चढ़ाने के बाद एक -दूसरे को सिदूर लगाती है। ऐसी मान्यता है कि दशमी को मां की प्रतिमा को सिदूर लगाकर सिदूर खेल खेलने से सारी मनोकामनाएं पूर्ण होती है और उनका सुहाग अखंड होता है। कुआंरी कन्याओं के सिदूर खेल करने से मनोवांछित वर मिलता है।