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जमुई में जन-सैलाब का स्वागत: चुनाव हार के बाद सुमित कुमार सिंह की वापसी ने बदला सियासी माहौल


पटना। चुनाव परिणाम भले ही उनके पक्ष में न रहे हों, लेकिन जमुई में पूर्व मंत्री सुमित कुमार सिंह की लोकप्रियता आज भी उसी दमखम के साथ चमकती दिखी। रविवार को जब वे पहली बार चुनाव हारने के बाद जमुई सर्किट हाउस पहुँचे, तो नज़ारा किसी विजयी जुलूस से कम नहीं था। सर्किट हाउस के बाहर से लेकर मुख्य द्वार तक जनसैलाब उमड़ा हुआ था-लोगों की आँखों में अपनापन, विश्वास और एक बार फिर उन्हें आगे बढ़कर नेतृत्व संभालते देखने की उम्मीद साफ़ झलक रही थी।

सुमित कुमार सिंह का राजनीतिक सफर चकाई की मिट्टी और जनता के साथ एक जीवंत रिश्ता रहा है। चुनाव परिणामों के बावजूद जनता ने यह साफ़ कर दिया कि राजनीतिक हार नेता की लोकप्रियता या कार्यशैली की पराजय नहीं होती। भीड़ में शामिल लोगों में युवाओं से लेकर वरिष्ठ नागरिकों तक, सभी के बीच एक ही चर्चा थी-"सुमित बाबू हार नहीं सकते, ये तो एक पल का राजनीतिक मोड़ है।"बताया जा रहा है कि सर्किट हाउस पहुंचते ही माहौल तालियों, नारों और उत्साह से गूंज उठा। समर्थकों ने फूल-मालाओं से उनका स्वागत किया, कई लोगों ने उनका आशीर्वाद लिया, और कई ने कहा कि उनकी हार ने मन को दुखी जरूर किया, लेकिन लोगों का भरोसा उन पर पहले से कई गुना बढ़ गया है।सुमित कुमार सिंह ने भी भावुक होते हुए कहा कि चुनाव हारना उनके लिए सिर्फ आत्ममंथन का मौका है, हार मानने का नहीं। 

उन्होंने साफ़ कहा—चकाई ने जो स्नेह दिया है, उसके आगे कोई पद या कुर्सी मायने नहीं रखती। मैं हमेशा जनता के बीच था, हूँ और रहूँगा।"यह स्वागत केवल एक नेता का स्वागत नहीं था—यह जमुई की जनता द्वारा एक संदेश था कि राजनीति में हार-जीत क्षणिक है, लेकिन जनता के दिलों में जो जगह बनती है, वही असली विजय होती है। सर्किट हाउस का यह नज़ारा आने वाले दिनों में जमुई की राजनीति की नई करवट का संकेत माना जा रहा है, जहाँ सुमित कुमार सिंह एक बार फिर मज़बूती से वापसी की तैयारी में दिख रहे हैं।


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