विशेष संवाददाता
औरंगाबाद।
शनिवार को प्रख्यात शिक्षाविद एवं पूर्व प्राचार्य लाला शम्भू नाथ की नौवीं पुण्यतिथि मनाई गयी। बारून स्थित आवास पर उपस्थित बुद्धिजीवियों, गणमान्य नागरिकों और परिजनों ने उनकी प्रतिमा पर पुष्प अर्पित कर श्रद्धांजलि दी।
इस दौरान उनकी जीवनी को याद करते हुए वक्ताओं ने कहा कि लाला शम्भू नाथ का सम्पूर्ण जीवन शिक्षा के प्रति समर्पण और अनुशासन का प्रतीक रहा है। शिक्षा के क्षेत्र में उनके योगदान को भुलाया नहीं जा सकता। आज भी मगध तथा शाहाबाद में शिक्षा क्षेत्र से जुड़े लोग लाला शम्भू नाथ को ही अपना आदर्श एवं उदाहरण मानते हैं। उनके पदचिन्हों पर चलना आज के दौर में आसान नहीं है। हम सभी को अनुशासन, संस्कृति, संस्कार से जुड़े उनके विचारों को अपने जीवन में आत्मसात करना चाहिए। लाला शम्भू नाथ के दिये संस्कार उनके परिवार में भी प्रदर्शित होता है।
वे सरकारी स्कूलों की मान्यता देने वाले राज्य स्तरीय सरकारी समिति में शामिल थे। इस वजह से मगध एवं शाहाबाद में उनके कार्यकाल में कई विद्यालयों को सरकारी मान्यता मिली। उनके कई शिष्यों ने डीआईजी, डीएम, एसपी, विधायक, विधान पार्षद, जनप्रतिनिधि , चिकित्सक, अधिवक्ता, अभियंता, शिक्षक के रूप में राष्ट्र और समाज की सेवा की।
इस मौके पर खादी ग्रामोद्योग के पूर्व अध्यक्ष अजय श्रीवास्तव, महेन्द्र प्रसाद, अजय वर्मा, राजेश सिन्हा, राजू सिन्हा, दीपक बलजोरी, परिवार के सदस्यों में ई. ब्रजेश कुमार श्रीवास्तव, भारती श्रीवास्तव, नवबिहार टाइम्स के सम्पादक कमल किशोर, सोन वर्षा वाणी के संपादक श्रीराम अम्बष्ट, सलोनी अम्बष्ट, संजना किशोर, डॉ. स्वदीप श्रीवास्तव, डॉ. वैभव श्रीवास्तव, डॉ. श्रुतिका, डॉ. आयुषी, साकेत कुमार, मृदुला अम्बष्ट, संस्कृति किशोर, कौस्तुभ किशोर, श्वेताभ श्रीवास्तव, यशी किशोर समेत कई सेवानिवृत्त शिक्षकगण एवं बुद्धिजीवी उपस्थित रहे।
गौरतलब है कि स्मृति शेष औरंगाबाद एवं शाहाबाद के कई माध्यमिक विद्यालयों-महाविद्यालयों में बतौर प्राचार्य 35 वर्षों से अधिक समय तक सेवाएं दी और करीब एक दर्जन पुस्तकों की रचना की।

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