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रंगसृष्टि, पटना द्वारा आयोजित द्विभाषिए नाट्य महोत्सव अपना महोत्सव के अंतर्गत अपनी नवीनतम प्रस्तुति भिखारी ठाकुर कृत बिदेसिया का हुआ मंचन





पटना। आज दिनांक 27 दिसंबर 2025 को रंगसृष्टि, पटना द्वारा आयोजित द्विभाषिए नाट्य महोत्सव "अपना महोत्सव के अंतर्गत अपनी नवीनतम प्रस्तुति भिखारी ठाकुर कृत "बिदेसिया" का मंचन किया गया। बिहार कला पुरस्कार से सम्मानित वरिष्ठ कलाकार सनत कुमार के द्वारा परिकल्पित एवं साधना श्रीवास्तव द्वारा निर्देशित किया गया है।
उद्घाटन में माननीय संसद श्री संजय गुप्ता, कुम्हरार विधान सभा, श्री बरुन कुमार सिंह, नीलेश मिश्रा SNA अवार्डी एवं गणमान्य रंगकर्मी उपस्थित थे।

कथासार
नाटक की शुरुआत बिदेसिया और उसकी पत्नी प्यारी के बीच नोकझोंक से होती है। बिदेसिया बड़े सपनों के साथ गाँव छोड़कर कलकत्ता कमाने जाने की जिद करता है। प्यारी आँसुओं के साथ उसे रोकती है, पर वह महत्वाकांक्षा के आगे उसके प्रेम को अनदेखा कर निकल पड़ता है।
वर्ष बीतते हैं — चिट्ठियाँ नहीं, कोई ख़बर नहीं, प्यारी दिन-रात चौखट पर नज़रें टिकाए उसी उम्मीद पर जीती रहती है कि शायद आज लौट आए।




इसी इंतज़ार के बीच एक बटोही गुजरता है। प्यारी उससे बिनती करती है कि कलकत्ता जाकर उसके पति को उसका संदेश पहुँचा दे।

जब बटोही कलकत्ता पहुँचता है, तो देखता है कि बिदेसिया अब कलकत्ता वाली (दूसरी स्त्री )के साथ गृहस्थी बसाए हुए है। बटोही उसकी आँखों में सच्चाई उतार देता है ,और उसे गांव की याद दिलवाता है— प्यारी आज भी उसी का सुहाग लिए प्रतीक्षा में बुझ रही है।
बिदेसिया पछतावे से टूट जाता है और गाँव लौटने का निर्णय करता है, भले ही कलकत्ता वाली(दूसरी स्त्री) उसका हाथ थामकर रोकने की कोशिश करती है।




घर पहुँचे बिदेसिया की दस्तक पर प्यारी काँपती आवाज़ में पूछती है – "कौन?"
उत्तर मिलता है – "तुम्हारा पति।"
दरवाजा खुलते ही वर्षों का बोझ ढह जाता है और प्यारी बेहोश होकर गिर पड़ती है।
पीछे-पीछे चली आई कलकत्ता वाली भी गाँव पहुँचती है, यह कहकर कि बिदेसिया के बिना उसका जीवन भी अधूरा है।




अंतत: दर्द, प्रेम और विरह से गुज़रकर स्थिति इस मोड़ पर पहुँचती है जहाँ प्यारी धानियां को अपने हिस्से की प्रतिद्वंद्वी नहीं, बल्कि जीवन में साझेदार के रूप में स्वीकार कर लेती है।

ग्रुप का नाम - रंगसृष्टि,पटना

नाटक = बिदेसिया
लेखक = भिखारी ठाकुर
परिकल्पना = सनत कुमार
निर्देशिका= साधना श्रीवास्तव

संगीत = कुमार नरेंद्र (हारमोनियम,,समाजी)
हरिशंकर पासवान( नाल,,समाजी)
सूर्यकांत पाण्डेय ( तबला,,समाजी)
कमलेश व्यास (झाल,समाजी)
आशीष (झाल,,समाजी)
दीपावली श्रीवास्तव ( समाजी)




कलाकार 
बिदेसी : चैतन्य निर्भय           
प्यारी सुंदरी : साधना श्रीवास्तव 
कलकत्ता वाली : शालिनी श्रीवास्तव
बटोही : बीरेंद्र ओझा
सूत्रधार 1: अनिल सिंह
सूत्रधार 2 : सुंदरम 
ढबढब : सुंदरम
चितकबरा : कुणाल
बच्चा 1 : शगुन श्रीवास्तव
बच्चा 2 : संकल्प श्रीवास्तव 
बच्चा 3 : जितेंद्र ,,लड्डू भोपाली 
देवर : कुणाल
ग्रामीण: मुकेश मुस्कान एवं किशन सिंह
वस्त्र विन्यास : संजय नाथ पाल ,पूजा राज
विशेष सहयोग = डॉ. जया जैन नरेंद्र सिंह



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