मढ़ौरा विधानसभा क्षेत्र में राजनीतिक हलचलें तेज़ हो चुकी हैं। लोकसभा चुनाव 2024 में एनडीए को मिली जीत में अहम भूमिका निभाने वाले विनय कुमार सिंह एक बार फिर चर्चा के केंद्र में हैं। लोजपा (रामविलास) प्रमुख चिराग पासवान के करीबी माने जाने वाले विनय सिंह को मढ़ौरा और एकमा जैसे क्षेत्रों में चिराग की टीम का सेनापति कहा जा रहा है।
पिछले विधानसभा चुनाव में अंतिम समय में मैदान में उतर कर विनय कुमार सिंह ने गेम चेंजर की भूमिका निभाई थी। उनके बूथ स्तर तक की रणनीति और जनसंपर्क के कारण क्षेत्र में एनडीए को जबरदस्त मजबूती मिली। यही नहीं, लोकसभा चुनाव में भी उनके क्षेत्रीय प्रबंधन और सक्रियता के कारण आरजेडी को करारी हार का सामना करना पड़ा।
इस बार एनडीए के खेमे से मढ़ौरा सीट के लिए कई नामों की चर्चा है। मीणा अरुण, लाल बाबू राय और चोकर बाबा जैसे नेता टिकट की दौड़ में हैं, लेकिन विनय सिंह की जमीनी पकड़ और कार्यकर्ताओं के बीच उनकी स्वीकार्यता उन्हें सबसे प्रबल दावेदार बनाती है।
दूसरी ओर इंडिया गठबंधन से पिछली बार जदयू के टिकट पर चुनाव लड़ चुके अल्ताफ आलम राजू की स्थिति भी कमजोर दिख रही है। क्षेत्रीय विश्लेषकों का मानना है कि राजू को अपने समाज का भी पूर्ण समर्थन नहीं मिल रहा है, जिससे उनकी दावेदारी कमजोर पड़ती नजर आ रही है।चिराग पासवान ने एकमा और मढ़ौरा विधानसभा को विशेष रूप से अपने दल की प्राथमिक सूची में रखा है, जिससे स्पष्ट संकेत मिलता है कि इन सीटों पर उनकी रणनीति तैयार है, और विनय कुमार सिंह को इसमें केंद्रीय भूमिका दी जा सकती है।
मढ़ौरा की राजनीति में आने वाले दिनों में जो भी समीकरण बनेंगे, उनमें विनय कुमार सिंह की भूमिका को नजरअंदाज करना मुश्किल होगा। उनकी सक्रियता, जनसंपर्क और संगठनात्मक पकड़ उन्हें एनडीए का सबसे मजबूत चेहरा बनाती है।