न्यूज डेस्क। लोकसभा चुनाव 2024 में उत्तर पूर्वी दिल्ली से मौजूदा बीजेपी सांसद मनोज तिवारी के सामने कांग्रेस द्वारा कन्हैया कुमार को उतारने के बाद उत्तर पूर्वी दिल्ली का मामला दिलचस्प हो गया है।
भोजपुरी गायक और अभिनेता के तौर पर नाम कमाने के बाद लंबे समय से राजनीति कर रहे मनोज तिवारी दिल्ली में भाजपा के लिए पूर्वांचल का सबसे बड़ा चेहरा हैं। दूसरी तरफ जेएनयू के वामपंथी छात्र नेता से कांग्रेस नेता बने कन्हैया कुमार भी बिहार से आते हैं और अपनी अनोखी भाषण शैली के लिए जाने जाते हैं। फिर भी, कन्हैया कुमार के लिए चुनौती बड़ी होगी।
लोकसभा चुनाव 2019 में उत्तर पूर्वी दिल्ली में मनोज तिवारी, यानी भाजपा को 54 प्रतिशत वोट मिले थे। कांग्रेस और आप को मिला कर 32 फीसदी वोट मिले थे। इस बार दोनों पार्टियां साथ लड़ रही हैं। तो सबसे बड़ी चुनौती वोट प्रतिशत में यह बड़ा अंतर पाटना ही होगा।
पिछले लोकसभा चुनाव में उत्तर पूर्वी दिल्ली सीट वोट शेयर के लिहाज से आप की सबसे कमजोर (13 प्रतिशत) सीट रही थी।
मनोज तिवारी लंबे समय से राजनीति में हैं। 2014 और 2019 में लगातार दो बार दिल्ली से सांसद चुने जा चुके हैं। वहीं कन्हैया कुमार, मनोज तिवारी की तुलना में मुख्यधारा की राजनीति में नए हैं। फरवरी 2016 में दिल्ली के जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय में एक विवाद के बाद रातोरात मीडिया में छा जाने वाले तत्कालीन JNUSU प्रेसिंडेट कन्हैया कुमार भाजपा के खिलाफ एक मुकाबला हार चुके हैं। पिछले आम चुनाव में वह अपने गृह क्षेत्र बेगूसराय से भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (सीपीआई) के टिकट पर मैदान में थे। लेकिन भाजपा के गिरिराज सिंह ने उन्हें हरा दिया था।
बेगूसराय से कैसे अलग है उत्तर पूर्वी दिल्ली का चुनाव?
2019 के आम चुनाव में बिहार में जो विपक्षी दलों का गठबंधन हुआ था, वहां कांग्रेस, राजद, सीपीआई(एमएल) आदि ने मिलकर चुनाव लड़ा था। सीपीआई चाहती था कि गठबंधन उनके उम्मीदवार कन्हैया कुमार को सपोर्ट करे। लेकिन राजद नहीं मानी। सीपीआई ने बेगूसराय से कन्हैया को उतारा, उनका मुकबला भाजपा के गिरिराज सिंह और राजद के मोहम्मद तनवीर हसन से हुआ। शुरूआत में कन्हैया और गिरिराज सिंह के बीच कड़ा मुकाबला बताया जा रहा था लेकिन गिरिराज सिंह ने लगभग 4 लाख 20 हज़ार वोटों से कन्हैया को हरा दिया। कन्हैया को क़रीब 2 लाख 68 हज़ार वोट ही मिले। तीसरे नंबर पर रहे राजद उम्मीदवार को करीब क़रीब दो लाख वोट मिले।
उत्तर पूर्वी दिल्ली में कांग्रेस उम्मीदवार कन्हैया को आप का समर्थन हासिल है। पिछले आम चुनाव में आप को इस सीट पर आप को 13 प्रतिशत और कांग्रेस को 19 प्रतिशत वोट मिले थे। वहीं भाजपा को 54 प्रतिशत वोट मिले थे। यानी पिछली बार भी अगर आप और कांग्रेस मिलकर लड़ते तो भाजपा को हरा नहीं पाते। हालांकि ध्यान देने वाली बात यह भी है कि 2009 में जब कांग्रेस के जेपी अग्रावल इस सीट से जीते थे, तो उन्हें भी 59.03 प्रतिशत वोट मिले थे। लेकिन, 2009 वाली स्थिति की वापसी होगी, ऐसा कहना मुश्किल है।
कांग्रेस को इस बार उम्मीद है। इस उम्मीद का कारण कन्हैया का अपना 'स्टारडम' और उनकी पूर्वांचली पहचान है। उत्तर पूर्वी दिल्ली का मुकाबला अब एक तरह से पूर्वांचली बनाम पूर्वांचली का भी हो चुका है।