न्यूज़ डेस्क। पटना में डेंगू एक बार फिर से तेजी से फैलता जा रहा है। यहां पिछले 24 घंटों में पहली बार एक दिन में डेंगू संक्रमण के 117 से ज्यादा नए मामले दर्ज किए गए हैं। इसी के साथ शहर में डेंगू संक्रमितो की कुल संख्या बढ़कर अब 994 हो चुकी है। पीएमसीएच, आईजीआईएमएस एवं एनएमसीएच में डेंगू प्रभावित मरीजों के लिए अलग से वार्ड की व्यवस्था की गई है। इसमें सबसे अधिक मरीज़ आईजीआईएमएस में भर्ती हैं।
पटना के सबसे ज्यादा डेंगू प्रभावित वाले इलाकों में पटना सिटी, बजरंगपुरी, संदलपुर, बिस्कोमान कॉलोनी, भीखना पहाड़ी, महेंद्रू ,राजा बाजार, आलमगंज सहित कंकड़बाग और अजीमाबाद आदि शामिल हैं।
पटना नगर निगम की ओर से डेंगू प्रभावित इलाके को चिह्नित कर विशेष टीम द्वारा एंटी लार्वा दवा का छिड़काव किया जा रहा। फॉगिंग मशीनों द्वारा भी हर इलाकों में दवा का छिड़काव किया जा रहा है।
डेंगू बुखार के लक्षण :
तेज बुखार, सिर दर्द, बदन दर्द, भूख की कमी, उल्टी, डायरिया, आंखों में दर्द, थकान, सुस्ती, घुटने का दर्द, शरीर में लाल धब्बे, नाक से खून ये सब डेंगू के लक्षण हैं। इन लक्षणों के दिखाई देने पर फौरन डॉक्टर के पास जाएं और प्लेटलेट्स काउंट चेक कराएं, चूंकि डेंगू बुखार होने के बाद मरीज के शरीर में तेजी से प्लेटलेट्स की संख्या घटने लगती है। डेंगू के लक्षण आम तौर पर संक्रमण के चार से छह दिनों बाद शुरू होकर 10 दिनों तक रह सकते हैं।
कैसे करें बचाव :
अपने रहने की जगह और उसके आस पास के इलाकों में सम्पूर्ण स्वच्छता का ध्यान रखना चाहिए। अपने आसपास की जगहों को साफ करके रखने से आप मच्छरों को सरलता से दूर रख सकते हैं।
पानी को किसी जगह इकठ्ठा न होने दें :
किसी जगह पर रुके हुए पानी में मच्छर पनप सकते हैं और इसी से डेंगू भी फैल सकता है। जिन बर्तनों का लंबे समय तक इस्तेमाल नहीं होना हो उनमें रखे हुए पानी को नियमित रूप से बदलते रहें । गमलों के पानी को हर हफ्ते बदलते रहें। मेनहोल, सेप्टिक टैंक, रुकी हुई नालियाँ और कुएं आदि जगहों को नियमित रूप से चेक करते रहें।
मच्छर मारने वाली मशीन और जाली का उपयोग :
मच्छरों से बचाव के लिए सबसे पहले तो जब भी आप घर से बाहर जाएँ मच्छर से बचाव वाली क्रीम का उपयोग करें और सोने से पहले मच्छरदानी को अच्छी तरह से सेट कर लें।
फिलहाल डेंगू के लक्षण पाए जाने पर नजदीकी अस्पताल में चेक अप करवाएं और स्वास्थ्य विभाग को इसकी जानकारी जरूर दें। ताकि डेंगू नियंत्रण के लिए ठोस कदम उठाए जा सकें।