- जन्म के उपरांत नवजात में होने वाली जटिलताओं के निदान को लेकर कर्मियों को दी गयी जरूरी जानकारी
- हाइपोथर्मिया सहित शिशुओं को अन्य कई जटिलताओं से निजात दिलाता है कंगारू मदर केयर तकनीक
अररिया, 23 फरवरी ।
SON OF SIMANCHAL, GYAN MISHRA
नवजात शिशु सुरक्षा कार्यक्रम के तहत जिले के सभी पीएचसी के प्रसव वार्ड के प्रभारी, कार्यरत एएनएम व जीएनएम का दो दिवसीय प्रशिक्षण बुधवार को संपन्न हुआ। सदर अस्पताल में संचालित प्रशिक्षण कार्यक्रम के दौरान कर्मियों को प्रसव के उपरांत नवजात में होने वाली जटिलताओं का बेहतर प्रबंधन व सामान्य बच्चों के बेहतर देखभाल संबंधी तकनीक को लेकर कर्मियों को प्रशिक्षित किया गया।
नवजात मृत्यु दर के मामलों में कमी लाना प्रशिक्षण का उद्देश्य :
प्रशिक्षण कार्यक्रम में भाग लेते हुए डॉ मोईज ने कहा कि नवजात के सर्वात्तम जीवन की शुरुआत प्रशिक्षण कार्यक्रम का मुख्य उद्देश्य है। जो नवजात मृत्यु दर के मामले में कमी लाने के उद्देश्य से जरूरी है। उन्होंने कहा कि प्रसव व जन्म के उपरांत किसी मामूली कारणों से भी नवजात की मौत हो सकती है। इसलिये इस दौरान नवजात के विशेष देखभाल की जरूरत होती है। नवजात का किसी भी तरह के संक्रमण से बचाव, तापीय सुरक्षा का विशेष ध्यान रखना जरूरी होता है। जन्म के उपरांत नवजात को किसी गर्म स्वच्छ व सूखे स्थान पर रखा जाना जरूरी है। उन्होंने कहा कि समय से पूर्व जन्म लेने वाले बच्चे, कमजोर नवजात, विभिन्न तरह की जटिलताओं के साथ जन्म लेने वाले बच्चों को स्पेशल केयर की जरूरत होती है।
हाइपोथर्मिया सहित अन्य जटिलताओं से निजात दिलाता है कंगारू मदर केयर तकनीक :
समय से पूर्व जन्म लेने वाले बच्चे, कमजोर व बीमार नवजात के लिये हाइपोथर्मिया यानि शरीर का तापमान सामान्य से कम होना, शरीर का ठंडा होना वजन कम होना सहित अन्य जटिलताओं से निजात दिलाने के लिये कंगारू मदर केयर तकनीक बेहद प्रभावी है। एसएनसीयू की इंचार्ज वर्षा रानी ने बताया कि तय समय से प्री मेच्योर बर्थ व शिशु का वजन सामान्य से कम होने पर बच्चे ज्यादा कोमल व कमजोर होते हैं। उन्हें कई तरह की बीमारियों का खतरा होता है।
जन्म के एक घंटे के भीतर स्तनपान शिशुओं के लिये अमृत :
कर्मियों को जरूरी प्रशिक्षण देते हुए केयर इंडिया के एफपी कॉर्डिनेटर अय्याज अशरफी ने बताया कि नवजात अगर मां का दूध नहीं पी रहा हो, शरीर का रंग नीला व पीला होना, बार-बार उलटी करना, अच्छी तरह से ढके होने के बाद भी बच्चे का हाथ व पांव का ठंडा होना नवजात के जटिल स्वास्थ्य से जुड़ी कुछ निशानी है। उन्होंने कहा कि जन्म के शुरुआती एक घंटे के भीतर शिशुओं के लिये स्तनपान अमृत के समान है। जन्म के शुरुआती दो घंटे तक शिशु सर्वाधिक सक्रिय अवस्था में होते हैं। इस दौरान शिशु आसानी से स्तनपान की शुरुआत कर सकता है। इससे शिशुओं में रोग प्रतिरोधक क्षमता का विकास होता है। सामान्य व सिजेरियन दोनों ही तरह के प्रसव संबंधी मामलों में यह जरूरी है। इससे बच्चे के निमोनिया, डायरिया सहित कई अन्य गंभीर रोगों से बचाया जा सकता है।