लोक आस्था का महापर्व छठ को लेकर नगर के काली मंदिर पोखरा एवं मुरली मनोहर पोखरा के घाट पर मुकम्मल तैयारी की जा रही है!जिला प्रशासन के सहयोग से सुरक्षा के विशेष प्रबंध किए जा रहे है। अधिक गहरे पानी को चिन्हित कर बांस एवं रस्सी कें सहारे घेराबंदी की जा रही है।
काली मंदिर पोखरा स्थित घाट की तैयारियों में लगे समिति के अध्यक्ष सह वार्ड नंबर आठ क़े पार्षद कैलाश साह ने बताया की हम लोग व्रती क़े लिये सभी सुविधाओं का विशेष ख्याल रख रहे है साथ हीं सुरक्षा पर भीं विशेष ध्यान दें रहे है जिसमे जिला प्रशासन का भीं सहयोग मिल रहा है चूँकि इस बार छठ पूजा कोरोना काल में हों रही है ऐसे में सरकार द्वारा जारी गाइडलाइन का समिति पालन करेगे एवं श्रद्धालुओ को जागरूक करने के लिये माईकिंग भीं कराई जायेगी।
श्रद्धालुओ द्वारा अपने-अपने घाट पर चौकी एवं मंच बनाया जा रहा है!घाटो की सुंदरता क़े लिये रंगबिरंगे टेंट क़े साथ प्रकाश की व्यवस्था क़े लिये लाइटें लगाई जा रही है।
छठ पर्व चार दिन तक मनाया जाता है। इस पर्व का दूसरा दिन खरना होता है! खरना का मतलब शुद्धिकरण होता है!जो व्यक्ति छठ का व्रत करता है उसे इस पर्व के पहले दिन यानी खरना वाले दिन उपवास रखना होता है। इस दिन केवल एक ही समय भोजन किया जाता है. यह शरीर से लेकर मन तक सभी को शुद्ध करने का प्रयास होता है! इसकी पूर्णता अगले दिन होती है।
जब खरना पर व्रती प्रसाद ग्रहण करता है तो घर के सभी लोग बिल्कुल शांत रहते हैं. चूंकि मान्यता के अनुसार, शोर होने के बाद व्रती खाना खाना बंद कर देता है. साथ ही व्रती प्रसाद ग्रहण करता है तो उसके बाद ही परिवार के अन्य लोग भोजन ग्रहण करते हैं।
छठ पूजा का शुभ मुहूर्त कल यानि 20नवंबर को संध्या अर्घ सूर्यास्त का समय 05 बजकर 25 मिनट पर एवं 21 नवंबर उषा अर्घ सूर्योदय का समय 06 बजकर 48 मिनट पर है।
छठ पूजा में खरना का होता है खास महत्व खरना के दिन में व्रत रखा जाता है और रात में पूजा करने के बाद प्रसाद ग्रहण किया जाता है । इसके बाद व्रती छठ पूजा की पूर्ण होने के बाद ही अन्न-जल ग्रहण करते हैं, इसके पीछे का मकसद तन और मन को छठ पारण तक शुद्ध रखना होता है।
छठ पर्व का सबसे खास दिन है षष्ठी तिथि,षष्ठी तिथि छठ महापर्व क सबसे खास दिन होता है। इस दिन व्रती महिलाएं ढलते सूर्य को अर्ध्य अर्पित करती है एवं आशीर्वाद मांगती है।