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लद्दाख के गलवान घाटी में बिहार के चार सपूत हो गए हैं शहीद


न्यूज़ डेस्क। देश की सीमा पर जब भी संकट आया है बिहार के जवान हमेशा अपनी जान की बाजी लगाकर देश की रक्षा करने के लिए तैयार रहते हैं । लद्दाख के कलावन घाटी में भी ऐसी ही घटना देखने को आई जब सरहद की रक्षा में लगे बिहार की 4 जवान ने अपनी जान देश के नाम कर दी।  सेना के साथ हुई हिंसक झड़प में देश के अबतक  20 जवान शहीद हो गए हैं।
बताया जा रहा है इनमें सबसे ज्यादा 13 शहीद बिहार की दो अलग-अलग रेजिमेंट के हैं।

इन वीर जवानों के नाम समस्तीपुर के अमन, सहरसा के कुंदन, वैशाली के जय किशोर तथा आरा के चंदन है।

चीनी सेना से हुए संघर्ष में वीरों ने देश के नाम अपनी जान कर दी भारत के साथ साथ पूरा बिहार इन वीरों को सलाम करता है।

इन सभी जवानों को नम आंखों से सैन्य अधिकारी प्रशासनिक अधिकारी की मौजूदगी में पुलिस सम्मान के साथ अंतिम विदाई दी गई। इन सभी को श्रद्धांजलि देने पूरे गांव के लोग भारी मात्रा में आए इनमें बिहार के मंत्री ,डीएम के साथ-साथ स्थानीय नेता भी थे ।उन सभी को शहीदों के प्रति ग़म तो था ही साथ ही साथ चीन के खिलाफ भारी गुस्सा भी था । कई नौजवान हाथों में तिरंगा लिए भारत माता की जय का नारा लगाते हुए दिखे।

शहीद अमन कुमार सिंह को समस्तीपुर के मोइनुद्दीन नगर में अंतिम संस्कार किया गया। वही शहीद कुंदन को उनके सहरसा के आरण गांव में अंतिम विदाई दी गई शहीद जय किशोर को वैशाली के जंदाहा में हजारों की भीड़ के बीच अंतिम विदाई दी गई। उधर भोजपुर आरा के जगदीशपुर में चंदन को भी पूरे राजकीय सम्मान के साथ अंतिम संस्कार किया गया इस वीर का शव जैसे ही गांव पहुंचा हजारों की संख्या में लोग उमड़ पड़े हर किसी की आंखों में आंसू साफ नजर आ रहा था बिहार के कृषि मंत्री प्रेम कुमार ने भी पार्थिव शरीर पर पुष्पचक्र अर्पित किया।

पूरे देश के साथ बिहार में शहीद जवानों के श्रद्धांजली देने और उनकी याद में कैंडिल मार्च निकाले जाने का सिलसिला भी जारी है। वहीं चीन के खिलाफ प्रदर्शन और चीन के राष्ट्रपति का पुतला दहन भी किया जा रहा है।
गलवान में लड़ाई मंगलवार को शुरू हुई। कर्नल संतोष बाबू की कमान के तहत सैनिकों ने गलवान नदी के मुहाने पर पैट्रोल प्वाइंट 14 के पास बने चीनी सेना के टैंट को ध्वस्त कर दिया। लेफ्टिनेंट जनरल हरिंदर सिंह और चीनी अधिकारी के बीच बैठक के बाद इस तम्बू को हटाने पर सहमति बनी थी।

चुशुल में दो जनरलों की बैठक में बनी सहमति के दो दिनों के भीतर पीएलए ने भारत के क्षेत्र के अंदर गश्ती प्वाइंट 14 पर एक नया तम्बू स्थापित कर लिया था। सरकारी सूत्रों ने कहा कि कर्नल बाबू को यह आदेश दिया गया था कि तम्बू हटा दिया जाए। जबकि पीएलए ने प्वाइंट 14 को खाली करने से इनकार कर दिया जोकि 6 जून के समझौते में तय हुआ था।

सूत्रों ने कहा कि तंबू को जलाने के बाद रविवार को पथराव किया गया और फिर सोमवार की रात को बिहार के 16 जवानों पर हमला किया गया। चीनी सैनिकों द्वारा भारतीय सैनिकों पर प्वाइंट 14 के ऊपर से बड़ी चट्टान फेंकी गई। जबकि कुछ ने हथियारों का उपयोग किया।

बताते चलें वर्ष 1999 में भी जब कारगिल युद्ध हुआ था तो मातृभूमि की रक्षा करने बिहार के 16 सैनिकों ने अपनी जान गवाई थी।  हर साल 26 जुलाई को कारगिल विजय दिवस के रूप में मनाया जाता है।