Header Ads Widget

एनीमिया मुक्त भारत अभियान के तहत कर्मियों को दिया गया प्रशिक्षण



  • एनीमिया मुक्त भारत अभियान के तहत कर्मियों को दिया गया प्रशिक्षण
  • एनीमिया गंभीर रूप से व्यक्ति की कार्यक्षमता व सेहत को करता है प्रभावित 
  • छह विभिन्न आयु वर्ग के लोगों को चिह्नित कर एनीमिया मुक्ति का हो रहा प्रयास 

अररिया, 01 मार्च । 
Son of Simanchal, Gyan Mishra 

एनीमिया मुक्त भारत अभियान के तहत टूलकिट प्रशिक्षण शिविर बुधवार को शुरू हुआ। जिला स्वास्थ्य समिति द्वारा बल्ड बैंक सभागार में आयोजित तीन दिवसीय प्रशिक्षण कार्यक्रम का उद्घाटन कार्यक्रम के नोडल अधिकारी सह जिला प्रतिरक्षण पदाधिकारी डॉ मोईज व बीसीएम सौरव कुमार ने संयुक्त रूप से किया। तीन दिवसीय प्रशिक्षण शिविर के पहले दिन जिले के भरगामा, रानीगंज व नरपतगंज प्रखंड के प्रतिभागियों ने प्रशिक्षण में भाग लिया। इसमें संबंधित प्रखंड के बीईओ, महिला सुपरवाइजर, बीसीएम को एनीमिया मुक्त भारत अभियान से संबंधित जरूरी प्रशिक्षण दिया गया। 




कार्यक्रम में एमओआईसी भरगामा संतोष कुमार, एमओआईसी रानीगंज रोहित कुमार, एमओआईसी नरपतगंज रूपेश कुमार, रमण कुमार, बीसीएम राजा वसीम, सरवर आलम, डोली सिंह सहित अन्य मौजूद थे। 

एनीमिया से प्रभावित होती है सुरक्षित मातृत्व की संभावनाएं 

प्रशिक्षण कार्यक्रम में डीआईओ डॉ मोईज ने कहा कि एनीमिया एक गंभीर बीमारी है। जो बच्चों के शारीरिक व मानसिक विकास को प्रभावित करता है। इससे किशोर-किशारियों की कार्यक्षमता प्रभावित होती है। वहीं किशोरियों में खून की कमी से सुरक्षित मातृत्व से जुड़ी संभावनाएं प्रभावित होती है। लिहाजा स्वास्थ्य विभाग द्वारा लोगों को एनीमिया की समस्या से निजात दिलाने को लेकर विभिन्न स्तर पर जरूरी प्रयास किये जा रहे हैं। उन्होंने कहा कि एनीमिया मलेरिया, कालाजार, उचित पोषाहार का अभाव सहित अन्य कारणों से हो सकता है। इसमें उचित खान-पान का अभाव एनीमिया के प्रमुख कारणों में से एक है। जिसे आसानी से प्रबंधित व नियंत्रित किया जा सकता है। इसके लिये विभिन्न विभागों के बीच आपसी समन्वय को बेहतर बनाते हुए समुदाय को एनीमिया के खतरे व इससे निजात पाने संबंधी उपायों के प्रति जागरूक करने की जरूरत है। 

छह विभिन्न आयु वर्ग के लोग हैं चिह्नित  

एनीमिया मुक्त भारत अभियान की सफलता को लेकर छह विभिन्न आयु वर्ग के लोगों को चिह्नित किया गया है। इसमें 06 से 59 माह के बच्चे, 05 वर्ष से 09 साल के बच्चे, 10 से 19 साल के किशोर व किशोरियों के साथ प्रजनन आयु वर्ग की महिलाएं, गर्भवती व धात्री महिलाओं को शामिल करते हुए एनीमिया मुक्त भारत अभियान को सफल बनाने को लेकर जरूरी पहल की जा रही है। समुदाय को एनीमिया के खतरों से निजात दिलाने के लिये सरकार द्वारा विभिन्न स्तरों पर नि:शुल्क दवा का वितरण किया जाता है। 

विभिन्न स्तरों पर नि:शुल्क उपलब्ध कराई जाती है दवा 

डीसीएम सौरव कुमार ने बताया कि एनीमिया मुक्त भारत अभियान के तहत 06 से 59 साल के बच्चे को सप्ताह में दो बार आईएफए की 1 मिलीलीटर सीरप दी जाती है। 05 से 09 साल के बच्चों को हर सप्ताह आंगनबाड़ी व प्राथमिक विद्यालय के माध्यम आईएफए की एक गुलाबी गोली खिलाई जाती है। 05 से 09 साल तक के वैसे बच्चे जो स्कूल नहीं जाते हैं, आशा कर्मियों द्वारा उन्हें चिह्नित करते हुए गृह भ्रमण के दौरान उन्हें दवा खिलाई जाती है। वहीं 10 से 19 साल के किशोर-किशोरियों को हर सप्ताह आईएफए की एक नीली गोली दी जाती है। 



इसी तरह 20 से 24 वर्ष आयु वर्ग के प्रजनन आयु वर्ग की महिलाओं को आईएफए की एक लाल गोली हर हफ्ते आरोग्य स्थल पर आशा के माध्यम से निःशुल्क उपलब्ध करायी जाती है। गर्भवती महिलाओं को गर्भावस्था के चौथे महीने से प्रतिदिन खाने के लिए आईएफए की 180 गोली स्वास्थ्य विभाग द्वारा नि:शुल्क उपलब्ध करायी जाती है। धात्री माताओं को भी प्रसव के बाद आईएफए की 180 गोली प्रतिदिन सेवन के लिये दिया जाता है। आवश्यक मात्रा में दवा संबंधित सेविका, आशा कार्यकर्ता व एएनएम को संबंधित चिकित्सा संस्थान के माध्यम से उपलब्ध कराया जाता है।