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जिले में मिजल्स-रूबैला आउटब्रेक के बाद प्रभावित इलाकों में विभागीय गतिविधियां तेज


  • जिले में मिजल्स-रूबैला आउटब्रेक के बाद प्रभावित इलाकों में विभागीय गतिविधियां तेज
  • जिले के विभिन्न इलाकों में मिजल्स व रूबैला के अब तक 09 मामले आये सामने
  • एमआर के मामलों पर प्रभावी नियंत्रण को लेकर केंद्र सरकार द्वारा एडवाइजरी जारी

अररिया, 05 दिसंबर ।
SON OF SIMANCHAL GYAN MISHRA

जिले में खसरा व रूबेला उन्मूलन को लेकर संचालित रोगी खोज अभियान अपने उद्देश्य में बेहद सफल साबित हुआ है। बीते मई व जून महीने में स्वास्थ्य विभाग व सहयोगी संस्था डब्ल्यूएचओ द्वारा संचालित अभियान के क्रम में अब तक मिजल्स यानी खसरा व रूबैला संबंधित कुल 09 मामले सामने आये हैं। इसके बाद प्रभावित इलाकों में विभागीय सक्रियता बढ़ा दी गयी है। गौरतलब है कि भारत सरकार ने वर्ष 2023 तक देश में खसरा व रूबैला के एलिमिनेशन का लक्ष्य रखा है। इसके लिये खसरा व रूबैला टीका का दोनों डोज का आच्छादन 95 फीसदी से अधिक करने का लक्ष्य है। इसे लेकर भारत सरकार द्वारा एडवाइजरी जारी किया गया है।

पलासी प्रखंड में मिले एमआर के सबसे अधिक मामले

जिले में एम-आर यानी मिजिल्स-रूबैला के कुल 09 मामले सामने आये हैं। इसमें सबसे अधिक मामले पलासी प्रखंड में मिले हैं। प्राप्त जानकारी के मुताबिक, पलासी प्रखंड के पीपरा विजवाड़ पंचायत के वार्ड संख्या 07, श्यामपुर पचेली के वार्ड संख्या 13 व 05, मैना के वार्ड संख्या 01, पचेली वार्ड संख्या 05, मैना वार्ड संख्या 01 में एमआर आउटब्रेक के कुल 04 मामले सामने आये हैं। इसके अलावा अररिया ग्रामीण में पटेंगना वार्ड संख्या के 10, बेलवा पंचायत के वार्ड संख्या 15 में भी एमआर के मामले मिले हैं। वहीं फारबिसगंज के रमई वार्ड संख्या 06, कुर्साकांटा सोनामनी गोदाम वार्ड संख्या 07 में एमआर आउटब्रेक के मामले मिले हैं।

वर्ष 2023 तक खसरा-रूबैला उन्मूलन का है लक्ष्य

डब्ल्यूएचओ के एसएमओ डॉ शुभान अली ने बताया कि खोज अभियान के क्रम में अब तक जिले के विभिन्न इलाकों से मिजिल्स के 09 ऑउटब्रेक यानी पॉजिटिव मामले सामने आये हैं। उन्होंने बताया कि मिजिल्स यानी खसरा से साल में विश्व में लाखों बच्चे की मौत होती है। रूबेला की वजह से कई महिलाएं मां नहीं बन पाती है। अगर मां बनती भी हैं तो बच्चे में कई तरह की विषमता, विकलांगता, मंद बुद्धि, हृदय में छेद सहित अन्य समस्या से ग्रसित होते हैं। 




अररिया में ऐसे मामलों की बहुलता है। उन्होंने बताया कि वर्ष 2023 तक देश से खसरा व रूबेला के मामलों को पूर्णत: खत्म करने का लक्ष्य है। लिहाजा इस दिशा में प्रभावी कदम उठाये जा रहे हैं।

प्रभावित इलाकों में विभागीय गतिविधि हुई तेज

इसमें 0 से 05 साल तक के बच्चे का गुणवत्तापूर्ण सर्वे सुनिश्चित कराने, सर्वे के पश्चात छूटे हुए बच्चों का लाइन लिस्ट तैयार कर उनका टीकाकरण, वंचित बच्चों को पेंटावैलेंट-1 का टीकाकरण, वैसे इलाके जहां 06 माह के बच्चे में खसरा-रूबैला संक्रमण के मामले मिले हैं। उन इलाकों में नियमित टीकाकरण के अतिरिक्त 09 माह से 05 वर्ष तक के बच्चों को टीका का अतिरिक्त खुराक सुनिश्चित कराने के साथ-साथ वैसे इलाके जहां 09 माह से कम उम्र के 10 फीसदी से अधिक बच्चे एमआर संक्रमित प्रतिवेदित किये गये हैं। उन क्षेत्रों में नियमित टीकाकरण के अतिरिक्त सभी बच्चों को एमआर का टीका लगाने का दिशानिर्देश दिया गया है।

प्रभावित इलाकों में मॉनेटरिंग पर जोर

सिविल सर्जन डॉ विधानंचद्र सिंह ने बताया कि एमआर आउटब्रेक के मामलों को देखते हुए केंद्र सरकार द्वारा एडवाइजरी जारी की गयी है। विभागीय स्तर से इसका शत प्रतिशत अनुपालन किया जा रहा है। संबंधित अधिकारियों को इसे लेकर जरूरी निर्देश दिये गये हैं। नियमित टीकाकरण को प्रभावी बनाते हुए मॉनेटरिंग की प्रक्रिया को दुरूस्त करने को लेकर हर संभव कोशिश किये जाने की जानकारी उन्होंने दी।