लोक पंच द्वारा आयोजित "दशरथ मांझी नाट्य महोत्सव" के पांचवे यानी आखिरी दिन लोक पंच की प्रस्तुति गुलशन कुमार लिखित एवं मनीष महिवाल निर्देशित "रामनगर की प्रेमकथा" नामक नाटक किया गया। इस नाटक मे त्रिकोणीय प्रेम को दिखाया गया है यानी इस कहानी के हीरो कृष्णा, राधा से बहुत प्यार करता है लेकिन राधा को स्वच्छता यानी साफ सफाई से ज्यादा प्यार और गंदगी से नफ़रत है क्योकि गंदगी से होने वाली बीमारियों ने ही राधा के माता पिता को बचपन मे ही छीन लिया था नाटक राधा और कृष्णा की प्रेम कहानी से शुरू होता है, चुकी राधा अनाथ है और उसे कृष्णा जैसा हमसफर और हमदर्दी जैसा दोस्त मिलता है जो राधा के जीवन मे फैले अंधेरे को प्रकाश की ओर ले जाता है दोनों एक दूसरे से बेइंतहा मोहब्बत करते है और दोनो ये तय करते है की क्यों न इस प्यार को रिश्तेदारी मे बदल दिया जाय यानी शादी कर लिया जाय, दोनो की शादी धूम धाम से होती है जिसमे हर तरह के विवाह गीत गाया जाता है जैसे कन्यादान गीत, सिंदूरदान गीत विदाई गीत। राधा विदाई के बाद जब ससुराल आती हैं जैसे ही पहला कदम घर के अंदर रखती है तो उसे घर के अंदर दीवाल पर गुटका का पीक, इधर कचरा उधर कचरा यानी गंदगी ही गंदगी दिखाई पड़ती है उसी समय राधा कृष्णा से पूछती हैं - कृष्णा ये क्या है ये घर है या कूड़ा दान है इसमे आदमी रहते है या जानवर? जिसमे राधा के ससुर गुस्सा मे बोल बैठते है - बहू जवान संभाल कर बोलो तुम अपने ही परिवार को जानवर बोल रही हो , पढ़ी लिखी हो इसका ये मतलब नही कि जो मुँह मे आये बोल दोगी। बहू गुस्से से अंदर चली जाती है हद तो तब होता है जब सुबह चार बजे कृष्णा की बहन राधा को शौच जाने के लिए उठाती है इसपे राधा और ज्यादा भड़क जाती है कि जब तक घर मे शौचालय नही बनेगा तब तक मै खाना नही खाऊँगी यानी अपने ही ससुराल मे बगावत कर बैठती है, बात पूरे गाँव मे फैल जाता है और सभी लोग ये शिकायत लेकर मुखिया के पास पहुँचते है मुखिया इसका सही निवारण करते हुए शौचालय बनवाने का आश्वासन देता है और पूरे रामनगर शहर मे स्वच्छता संबंधित नाटक करने का आदेश देते है। मिलाजुला कर यह नाटक खुले मे शौच , पेड़ों की अंधाधुन कटाई न करने के लिए और साफ सफाई से रहने के लिए समाज को जागरूक करता है और रामनगर को स्वच्छ और सुंदर बनाने की अपील करता है।
अंततः नाटक रामनगर की प्रेमकथा गीत संगीत और मनोरंजन से भरपूर समाज मे फैले कुरीतियों पर कटाक्ष करता है।
नाटक के कलाकार
गुलशन कुमार, रजनीश पांडे, अभिषेक बिहारी, प्रिंश राज, रोहित कुमार, प्रियांशु, कृष्णा, हेमा, पीहू और देवेंद्र चौबे ने अपने बेहतरीन अभिनय से दर्शको को हँसाते, गुदगुदाते और समझाते रहें ।
मंच परे
प्रकाश : राम प्रवेश
कॉस्टयूम : अरविंद कुमार
ध्वनि संचालन: चंदन कुमार
मंच व्यवस्था : मनीष पांडे
प्रॉपर्टी : प्रियंका सिंह
नाटकार - गुलशन कुमार
निर्देशक - मनीष महिवाल




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