- अपनी कमियों का पता लगाने व इसकी समीक्षा के लिहाज से सही रिपोर्टिंग महत्वपूर्ण
- सदर अस्पताल में मातृ व शिशु मृत्यु दर से संबंधित मामलों को ले कार्यशाला आयोजित
- मातृ-शिशु मृत्यु दर में कमी लाने के उद्देश्य से स्वास्थ्य अधिकारी व कर्मियों को दिया गया प्रशिक्षण
अररिया, 08 दिसंबर
SON OF SIMANCHAL,
GYAN MISHRA
जिले में मातृ-शिशु मृत्यु दर के मामलों में कमी लाने के उद्देश्य से जिला स्वास्थ्य समिति द्वारा बुधवार को एक दिवसीय विशेष कार्यशाला का आयोजन किया गया। कार्यशाला में मातृ-शिशु मृत्यु दर से संबंधित मामलों पर गहन चर्चा की गयी। साथ ही स्वास्थ्य अधिकारियों व कर्मियों को इस संबंध में जरूरी प्रशिक्षण दिया गया। ताकि मातृ-शिशु मृत्यु दर के मामलों में कमी लायी जा सके। कार्यशाला का उद्घाटन सिविल सर्जन डॉ एमपी गुप्ता, एसीएमओ डॉ राजेश कुमार, डीआईओ डॉ मोईज, अस्पताल के प्रभारी अधीक्षक डॉ राजेंद्र कुमार, डीपीएम स्वास्थ्य रेहान अशरफ सहित अन्य ने सामूहिक रूप से किया। कार्यशाला में बतौर मुख्य प्रशिक्षक केयर इंडिया के डॉ राकेश कुमार व निपी के डॉ मनीष कुमार ने भाग लेते हुए स्वास्थ्य अधिकारी व कर्मियों को इस संबंध में महत्वपूर्ण जानकारियां दी।
मौत के कारणों का पता लगाकर रोकी जा सकती है घटना की पुनरावृति :
सिविल सर्जन डॉ एमपी गुप्ता ने मातृ-शिशु मृत्यु दर में कमी लाने के लिये इसकी रिपोर्टिंग प्रक्रिया को महत्वपूर्ण बताया। उन्होंने कहा कि अगर मौत के मामलों का पता हो तो इसके पीछे के कारणों का पता लगाया जा सकता है। कारण अगर मालूम हो तो फिर इसकी समीक्षा करते हुए इसके निदान को लेकर प्रभावी कदम उठाये जा सकते हैं। इसलिये यह जरूरी है कि सरकारी व निजी अस्पतालों में ऐसे किसी भी मामले की तत्काल जानकारी जिला स्वास्थ्य विभाग को उपलब्ध कराये जायें। ताकि मौत के कारणों का पता लगाते हुए जरूरी पहल करते हुए ऐसे घटनाओं की पुनरावृति को रोका जा सके। डीपीएम रेहान अशरफ ने कहा कि मातृ मृत्यु दर के मामलों में कमी लाने के उद्देश्य से सरकार द्वारा सुमन कार्यक्रम का संचालन किया जा रहा है। इसके तहत अगर आशा कार्यकर्ता सहित अन्य क्षेत्र में किसी महिला के मौत की सूचना टॉल फ्री नंबर 104 पर देती हैं तो प्रोत्साहन राशि के तौर पर उन्हें 1000 रुपये देने का प्रावधान है। नोटिफिकेशन के लिये आशा कार्यकर्ताओं को 200 रुपये अतिरिक्त देने का प्रावधान है।
प्रसव के 24 घंटे बाद होती है सबसे अधिक महिलाओं की मौत :
स्वास्थ्य अधिकारियों को जरूरी जानकारी देते हुए केयर इंडिया के डॉ राकेश कुमार ने कहा कि राज्य में 50 फीसदी मौत प्रसव के 24 घंटे बाद होती है। गर्भावस्था के दौरान 05 प्रतिशत, प्रसव के सात दिनों के अंदर 20 प्रतिशत व लगभग 05 प्रतिशत मौत प्रसव के एक सप्ताह के अदंर होती है। इस पर प्रभावी रोक के लिये मौत के कारणों की पड़ताल करते हुए इसके लिये प्रभावी कदम उठाने की जरूरत है। जो तब संभव हो सकता है जब संबंधित मामलों की समुचित जानकारी स्वास्थ्य विभाग के पास हो। शिशु मृत्यु दर से संबंधित मामलों पर चर्चा करते हुए निपी के डॉ मनीष कुमार ने कहा कि प्रसव के दौरान अगर जटिलता महसूस हो ऐसे मामलों में मरीज को रेफर करने में किसी तरह की देरी नहीं की जानी चाहिये। उन्होंने रिपोर्टिंग की निर्धारित प्रक्रिया को अपनाते हुए शिशु की मौत के कारणों की समुचित पड़ताल की जानी चाहिये। जो शिशु मृत्यु दर के मामलों में कमी लाने के लिहाज से महत्वपूर्ण साबित हो सकता है। कार्यक्रम में अनुमंडल अस्पताल व रेफरल अस्पताल के प्रभारी, पीएचसी प्रभारी सहित केयर की डीटीएल पल्लवी कुमारी, डोली वर्मा सहित अन्य मौजूद थे।