- बीते 19 सालों में जिले में एचआईवी संक्रमण के 1064 मामले आये हैं सामने
- एचआईवी मरीजों की जांच व इलाज का है नि:शुल्क इंतजाम, परामर्श सेवाओं का भी हो रहा संचालन
अररिया, 30 नवंबर SON OF SIMANCHAL GYAN MISHRA।
जिले में एचआईवी संक्रमण के प्रति आम लोगों में जागरूकता बढ़ी है। लिहाजा बीते कुछ सालों से संक्रमण के मामलों में कमी देखी जा रही है। ह्यूमन इम्यूनो डिफिसिएंशी नामक वायरस से होने वाला यह संक्रामक रोग मानव शरीर के प्रतिरक्षा प्रणाली को प्रभावित करता है। असुरक्षित यौन संबंध, संक्रमित व्यक्ति के प्रयोग में लाये गये सुई का उपयोग, संक्रमित का खून किसी स्वस्थ व्यक्ति में चढ़ाये जाने व संक्रमित माता-पिता से उनके बच्चों में रोग का प्रसार होता है। एचआईवी का आज तक कोई इलाज उपलब्ध नहीं हो सका है। लिहाजा जन जागरूकता ही संक्रमण से बचाव का एक मात्र विकल्प हमारे पास उपलब्ध है। आम लोगों को जागरूक करने के उद्देश्य से ही हर वर्ष 01 दिसंबर को विश्व एड्स दिवस मनाया जाता है | इस वर्ष भी विश्व एड्स दिवस जागरूकता संबंधी कई कार्यक्रम प्रस्तावित हैं।
सबसे अधिक 25 से 39 वर्ष उम्र के लोग संक्रमण से प्रभावित :
वर्ष 2003 से लेकर अब तक जिले में एचआईवी संक्रमण के कुल 1064 मामले सामने आये हैं। संक्रमण की चपेट में आने वाले एक ट्रांसजेंडर समूह के लोग भी शामिल हैं। डीपीएम एड्स से मिली जानकारी मुताबिक अब तक जिले में जो संक्रमण के मामले सामने आये हैं उसमें 0 से 14 साल आयु वर्ग के 108, 15 से 24 साल आयु वर्ग के 140, 25 से 34 साल आयु वर्ग के सबसे अधिक 404, 35 से 49 साल आयु वर्ग के 351, 50 साल से अधिक आयु वर्ग के 60 लोगों में संक्रमण का मामला सामने आया है।
इस साल संक्रमण के 44 नये मामले आये सामने :
चालू वित्तीय वर्ष के दौरान अक्टूबर माह तक जिले में एचआईवी संक्रमण के महज 44 नये मामले सामने आये हैं। डीपीएम एड्स ने बताया हाल के सालों में जिले में एचआईवी के मामलों में काफी कमी आयी है। इस साल अब तक 67, 156 लोगों की अब तक हुई जांच में 44 लोग पॉजेटिव मिले हैं। वहीं वर्ष 2020 में 81, 377 लोगों की हुई जांच में संक्रमण के 77 व वर्ष 2019 में 95954 लोगों की हुई जांच में एचआईवी के 103 मामले सामने आये हैं। भले ही महामारी के दौर में जांच प्रक्रिया प्रभावित हुई है। बावजूद इसके मामलों में कमी स्पष्ट देखा जा सकता है। इस साल लगभग 70 स्थानों पर जांच व जागरूकता संबंधी कैंप का आयोजन प्रस्तावित है।
जांच व इलाज का है नि:शुल्क इंतजाम :
एचआईवी से संबंधित जरूरी जानकारी लोगों तक पहुंचाने के लिये बिहार राज्य एड्स नियंत्रित समित द्वारा 1097 हेल्पलाइन नंबर संचालित है। इसके जरिये संक्रमण से बचाव के साथ जांच व इलाज के लिए उपलब्ध सुविधाओं का पता लगाया जा सकता है। इस तरह हम साथी मोबाइल एप के जरिये रोगियों को विभिन्न कल्याणकारी योजना, संक्रमित मां से होने वाले संक्रमण के प्रसार की रोकथाम संबंधी जानकारी जुटाई जा सकती है। डीपीएम एड्स ने बताया कि बिहार एड्स पीड़ित शताब्दी योजना के तहत पीड़ितों को 1500 रुपये प्रति माह व परवरिश योजना के तहत जिला बाल संरक्षण इकाई द्वारा 0 से 18 साल तक के बच्चों को 1000 हजार रुपये प्रति माह आर्थिक सहायता उपलब्ध कराने का प्रावधान है।
संक्रमित व्यक्ति भी सामान्य जीवन यापन करने में सक्षम :
सिविल सर्जन अररिया डॉ एमपी गुप्ता ने कहा कि एचआईवी को लेकर समाज में आज भी कई भ्रांतियां मौजूद हैं। एचआईवी संक्रमितों के साथ खाने-पीने, एक ही शौचालय के उपयोग, किसी जानवर, मक्खी या मच्छर के काटने खांसने व छींकने से नहीं फैलता है। संक्रमित होने के बावजूद व्यक्ति समाज में सामान्य जीवन यापन कर सकता है। उनके साथ किसी तरह का भेद-भाव कानूनी अपराध की श्रेणी में आता है। लगातार बुखार व खांसी रहना, वजन का तेजी से गिरावट, मुंह में घाव निकल आना, त्वचा पर खुजली वाले चकते उभरना, सिरदर्द, थकान, भूख नहीं लगना रोग के सामान्य लक्षण हैं। सदर अस्पताल सहित सभी पीbएचसी में नि:शुल्क एचआईवी जांच का इंतजाम में जांच नतीजे को पूरी तरह गोपनीय रखने का प्रावधान है ।