SON OF SIMANCHAL GYAN MISHRA
फारबिसगंज नप में कार्यरत एनजीओ के दैनिक मजदूर 19 वर्षीय राजकुमार बाँसफोर पिता चैता बाँसफोर की दर्दनाक मौत के बाद , नप प्रशासन ने जिस सक्रियता के साथ शुक्रवार की संध्या मृतक का दाह संस्कार सम्पन्न करवा दिया वह कई संदेहों को जन्म दे गया है । शासन व सरकार को दफन के बाद भी कई यक्ष प्रश्नों का जबाब ढूंढने की जरूरत पड़ सकती है । भोले - भाले परिजनों को ज्यादा कुछ समझने के बजाय सरकारी मुआवजे का चोंचले दिखाकर चुप कराने की पहल हो रही है ।
विदित हो की मृतक राजकुमार को फारबिसगंज नप के द्वारा छ्ठ पूजा के मौके पर विशेष साफ सफाई के लिये चार अन्य सफाई मजदूरों के साथ गत सोमवार से हीं लगाया गया था । अभियान के प्रभारी नप के नाजिर कामाख्या नारायण सिंह उर्फ कुंदन सिंह के देखरेख में विभिन्न छठ घाटों पर विशेष अभियान चलाया जा रहा था। सोमवार को हुए काम के बदले प्रति मजदूर 500/- रुपये का भुगतान किया गया । मंगलवार को पुनः इन्ही मजदूरों को साफ सफाई में लगाया गया था । काम पूरा करने के बाद कोठीहाट नहर के पानी में पैर हाथ धोने के क्रम में पैर फिसलने से राजकुमार गहरे पानी में डूबने लगा । हल्ला पर अन्य मजदूर तो जैसे तैसे उपस्थित लोगों के द्वारा बचा लिए गए । पर राजकुमार का अता पता नहीं चला । एसडीआरएफ की पांच सदस्यीय दल भी लगातार तीन दिनों तक राजकुमार को ढूंढने के लिये सघन अभियान चलाया पर उक्त टीम में गोताखोर नहीं था । कारणवश उक्त दल वोट लेकर पानी के उपर घूमते रहे पर लापता मजदूर को ढूंढ न सके ।
प्रत्यक्षदर्शियों के मुताबिक शुक्रवार की सुबह घटनास्थल के आसपास के ग्रामीणों में से चार युवकों ने मंगलवार से लापता युवक के शव को ढूंढने में सफलता पाई । तब जाकर परिजनों को इसकी सूचना दी । बाद मे पुलिस को भी सूचना दी गयी । नियमानुसार पोस्टमार्टम की प्रक्रिया उपरांत मृतक के शव को आनन - फानन में परिजनों की उपस्थिति में हिन्दू रीति रिवाज के अनुसार दाह संस्कार कर दिया गया । इसके साथ हीं नप प्रशासन व नप के एनजीओ ने भी चैन की सांस ली । लेकिन अब कई यक्ष प्रश्नों ने जन्म ले लिया है जिसका जबाव ढूंढना मानवीय दृष्टिकोण से आवश्यक है ।
परिजनों के मुताबिक मृतक फारबिसगंज नप के एनजीओ में करीब ढाई से तीन वर्षों से घर - घर घूमकर कचड़ा संग्रह करने में अपने बड़े भाई शंकर बाँसखोर के साथ प्रति माह 7000/- के मासिक पर कार्यरत था । मतलब यह हुआ की 19 वर्षीय मृतक ने जबसे काम करना शुरू किया था तो वह नाबालिग था । केंद्र व राज्य सरकार नाबालिग से कार्य कराने को अपराध मानती है ।कानूनन नाबालिग से काम करवाने वाले एनजीओ के विरुद्ध प्राथमिकी दायर किया जाना चाहिये ।