पद्मश्री प्रो:श्याम शर्मा जी के साथ
३०सितम्बर से ३अक्टुबर २०२१
वैसे तो मैं दिल्ली अब तक पता नहीं कितनी बार धांगा हुं।पर इस बार की दिल्ली यात्रा स्मरणीय हो गया।।कहते हैं संगत से गुण होत हैं,संगत से गुण जात।अपने अध्यक्ष और अभिभावक पद्मश्री प्रो:श्याम शर्मा जी के साथ दिल्ली दौरा पर था।सर फ्लाइट से "प्रयास"संस्था के लिए बंगलौर से दिल्ली आए तो मैं राजधानी से राजधानी दिल्ली पहूंचा।होटल अशौका में उनका मैं स्वागत किया।फिर स्वागत का सिलसिला शुरू हुआ सर का दिल्ली में।तारिख थी ३०सितम्बर दिन गुरुवार।तो रंग गुरू श्याम शर्मा जी का स्वागत देखकर मैं अभिभूत हो गया।सबसे पहले कला संकुल, संस्कार भारती, दिन दयाल उपाध्याय मार्ग गया।वहां संस्कार देखने को मिला। श्याम शर्मा सर के वहां पहुंचते हीं नमस्कार, प्रणाम और चरण वंदन शुरू हो गया ।वहां के संस्कारियो ने कुछ अद्भुत चित्रकला, चित्रकार श्याम शर्मा जी को दिखाए। संस्कार भारती से एकदम सटे गरिबो के मसिहा लालू प्रसाद जी का लालु-राबड़ी "शिश महल" भी देखा।खैर वहां के चित्र प्रदर्शनी देखने के बाद हमलोग नेशनल आर्ट गैलरी आ गये।आर्ट क्या है?यहां आकर जाना।हमलोग तो झुठ-मूठ के अपने आपको आर्टिस्ट-आर्टिस्ट कहते फिरते हैं।वहां की पेंटिंग्स और कला देखकर मुझे भी कलाकार होने का आभास सा होने लगा।नाम नहीं याद आ रहा ,पर वहां के डी.जी का सर के प्रति आदर भाव देखना मुझे गौरवान्वित कर रहा था कि मैं किनके साथ आया हूं। गौरवान्वित होना लाजमी है,ऐसे सख्यसियत हमारे अदना सा"प्रयास संस्था"के अध्यक्ष जो हैं।सबसे अचंभित कर गया नेशनल आर्ट गैलरी की निर्देशिका और संगीत नाटक अकादमी ,नई दिल्ली की सचिव से मिलना। संभवतः कोई आई.एस अधिकारी है। नागालैंड से है,मगर जिस शुद्धता से हिन्दी बोलती है कि , हिन्दी भाषी लजा जायें।तो वहां से लजाते-शर्माते ललित कला अकादमी आये।वहां तो मानो ऐसा लगा भगवान श्री राम वनवास से अपने अयोध्या लौटे हैं।उनके स्वागत का आलम तो यह रहा कि सर के नाम से एक पुष्प पोधा रोपण सर के कर कमलों के द्वार ही हुआ।भविष्य में यह पुष्प पौधा पेड़ बनकर "श्याम शर्मा"के नाम से ललित कला अकादमी में फुल खिलाएगा। सुगंधित करेगा रविन्द्र भवन को।
एक दम नये पर सभी के सभी प्रतिभाशाली चित्रकारों की पेंटिंग्स प्रर्दशनी थी the india habitat centre, visual art gallery में।तारिख मुर्करर थी१अक्टबर।यानि बापु जयंती के एक दिन पहले। वहां पेंटिंग्स प्रदर्शनी का उद्घाटन समारोह था शाम ४बजे से।मगर उसी दिन राष्ट्रीय नाट्य विद्यालय,नई दिल्ली में रिपर्टी ग्रांट की बैठक थी ठीक ४बजे से ही।इस कारण वे उद्घाटन में शामिल नहीं हो सके।पर वहां के अंकूरित हो रहे चित्रकारो ने कहा" सर आप आ गये उद्घाटन हो गया"। अपनी-अपनी पेंन्टिगस दिखाई और सर से आर्शीवाद लिया।
अब बारी आई उस समय का जिसके लिए सर समय निकाल कर अपनी बीमार पत्नी नवनीत शर्मा जी को छोड़ अपनी संस्था प्रयास के लिए बैंगलोर से दिल्ली आए थे। संदर्भ था देश के पद्मश्री अवार्डी का संस्कृति मंत्रालय,भारत सरकार के माननीय केन्द्रीय मंत्री से मिलने का।रिपर्टी ग्रांट के दशा-दिशा पर बात चीत होनी थी।मैं उनके साथ राष्ट्रीय नाट्य विद्यालय पहूंचा।पहली बार एन एस डी की गाड़ी से वहां गया।सभी सम्मानित अतिथियों के स्वागत में दक्षिण भारतीय वाद्ययंत्रों से स्वागत किया गया।माथे पर तिलक और पुष्प की वर्षा की गई। शंकर जी के साथे -साथ एक -दो पुष्प "बसहा बैल"यानि मुझ पर भी गिर गया.... बैठक शुरू हो गई। माननीय मंत्री और संस्कृति मंत्रालय,भारत सरकार,नई दिल्ली के नये सचिव के समक्ष सभी अवार्डियो का स्वर एक सा था।सब का नाम तो मैं नहीं बता पाऊंगा, पर प्रसिद्ध नृत्यांगना पद्मश्री सौनल मान सिंह ने बड़ा ही बोल्ड होकर कलाकारो-गुरूऔ की दयनीय स्थिति को मंत्री और सचिव के सामने अपनी बात रखी। सम्मानित अतिथियों का एक स्वर था।यह स्वर पूरे भारत वर्ष में चल रहे रंगमंडल का स्वर था।
हमारे अध्यक्ष पद्मश्री प्रो: श्याम शर्मा जी ने बड़ी शिद्दत के साथ कलाकारो की आज की बेरोजगारी स्थिति की बात रखी। प्रसिद्ध लेखिका और निमार्ण,पटना की अध्यक्ष उषा किरण खान के बिहार में भी नाट्य विद्यालय खोलने की मांग का समर्थन भी किया। बंगाल से आए एक प्रतिनिधि ने तो यहां तक कह डाला कि,हम गुरूऔ को कलाकारी कम और कागजी ज्ञाण की जानकारी ज्यादा रखनी पड़ती है। छत्तीसगढ़ से आए माननीय प्रतिनिधि ने कागज के चक्कर में हमें चोर की उपाधी से बचायें कि गुहार लगाई।मंत्री और सचिव महोदय ने सभी की बात सुनी और रिपट्री ग्रांट में सुधार के साथ-साथ गुरु-शिष्यो की मानदेय राशि बढ़ाने का भी आश्वासन दिया। देखें इस आश्वासन पर कितनी आस पुरी होती है।बैठक के पुर्व उन्होंने सभी सम्मानित अतिथिओ का शौल देकर सम्मानित किया।
बैठक के बाद सिलसिला शुरू हुआ मिलने-मिलाने का।देश भर से आये कई नामचीन रंग हस्तियों सें भेंट-मुलाकात हुई।तीन दशक संघर्ष काल से उबरने के बाद अब सफलता का मीठा फल चख रही प्रसिद्ध लेखिका गीताश्री से मुलाकात हुई।उनके आलिंगन से मैं भी साहित्यिक हो गया। ख्यातिप्राप्त रंगकर्मी संजय उपाध्याय से मुलाकात हो गई तो रात कुछ "खास" गुजर गई।
अहले सुबह होटल अशौका में सुबह की नाश्ते पर पुन:सबसे मुलाकात हुई।एक अद्भुत दृष्य उभरा। व्हीलर चेयर पर बैढ़ी उषा किरण खान जी को हमारे अध्यक्ष श्याम शर्मा जी खिंच रहे थे। मुझे लगा साहित्य - संस्कृति का तो चोली-दामन का साथ है...। सबको नमस्ते-प्रणाम करते हूए विदा किया।सब को अपनी-अपनी फ्लाईट पकड़ने की जल्दबाजी थी।मुझे भी लौटकर और कई परिचितों से मिलना था।२ अक्टूबर को बापू की जयंती पर उन्हें नमन करते हूए ३अक्टुबर की सुबह देखा।कई मित्र से मिलना था।समयाभाव के कारण सभी से नहीं मिल पाया। जिनसे नहीं मिल पाया उनमें दो मगहिया मित्र मुकेश कुमार संजीव और कुंदन कुमार प्रमुख हैं।हां प्रयास के संरक्षक श्री अमिताभ लाल(मुख्य महाप्रबंधक,नाबार्ड, अवकाश प्राप्त और पंजाब नेशनल बैंक दिल्ली में कार्यरत हमारे सहपाठी अरूण कुमार से मिलना सुखद रहा।बैंकर्स मित्र से मिलना ऐसा सुखद रहा कि,एक सुखद समाचार मिला। अरूणांचल प्रदेश में वहां के ग्रामीण बैंक के लिए "प्रयास"को नुक्कड़ नाटक करने का आदेश प्राप्त हुआ।यह ऐतिहासिक खुशी थी।
आज के दिन रंगम़च की दुनिया से इतर फिल्मी दुनिया की ओर रुख कर रहा हूं।जा रहा हूं न्योडा सेक्टर-१८,जहां से न्योता मिला है संजीव पांडेय का।आप टी-सिरीज में बड़े अधिकिरी है।उनसे मुलाकात होगी और बातें होगी नई योजनाओं पर।आज ही एक अपरिचित बिहारी बंदा मेरे पास आया।बोला "सर मुझै एन.एस डी में एडमिशन के लिए अप्लाई करना है। चुकीं मैं बिहार के मगध से हूं तो कोई मगही नाटक का संवाद दीजिए।मैने उसे अपना मशहूर नाटक "देवन मिसिर"और "दशरथ मांझी"का संवाद दे आशिष दिया।
आज ही शाम को राजधानी से राजधानी@दिल्ली से पटना लौट जाऊंगा।पर छूट जाएगा दिल्ली में श्याम शर्मा जी के साथ बिताए सानिध्य पल। प्रणाम दिल्ली..…🙏🌹🥀🙏