न्यूज़ डेस्क। इस बार का चुनाव बिहार के लिए अहम माना जा रहा है ।क्योंकि इस बार कई वरिष्ठ नेताओं के पुत्र-पुत्री अपनी किस्मत आजमा रहे हैं। बढ़ती उम्र के कारण कई नेताओं ने अपने राजनीतिक विरासत को बचाने के लिए इस बार बिहार विधानसभा चुनाव में अपने पुत्र पुत्रियों को राजनीतिक में प्रवेश करवाया है।
इसमें सबसे पहला नाम जदयू के राष्ट्रीय अध्यक्ष और एनडीए के संयोजक रहे वरिष्ठ नेता शरद यादव का है जिन्होंने अपनी बेटी सुभाषिनी यादव को बिहार से चुनाव लड़ाने जा रहे हैं। कांग्रेस ने सुभाषिनी यादव को मधेपुरा के बिहारीगंज विधानसभा से चुनाव के मैदान में उतारा है। शरद यादव का स्वास्थ्य ठीक नहीं रहता,हाल में ही उनके स्वास्थ्य को लेकर पीएम मोदी ,गृहमंत्री अमित शाह ,सीएम नीतीश कुमार ने आभार व्यक्त किया था।
इसके बाद अगला नंबर बिहारी बाबू यानि शत्रुघ्न सिन्हा का है।जिन्होंने अपने बेटे लव सिन्हा को पटना के बांकीपुर विधानसभा सीट से कांग्रेस का उम्मीदवार बनाकर उनको पॉलिटिकल एंट्री कराई है। बताते चलें हाल ही में शत्रुघ्न सिन्हा ने बीजेपी छोड़कर कांग्रेस का हाथ थामा था। पिछले साल वह लोकसभा चुनाव भी लड़े थे पर उन्हें हार का सामना करना पड़ा था।
अगला नंबर अब जनता दल यूनाइटेड के नेता एवं बिहार परिषद के सदस्य रह चुके विनोद चौधरी का है जिन्होंने अपनी बेटी पुष्पम प्रिया चौधरी को बिहार की धरती पर चुनाव लड़ने को उतारा है।
सोशल मीडिया और अखबार में बड़े-बड़े इश्तहार लगाकर पुष्पम प्रिया चौधरी ने बिहार के युवाओं में अपनी छवि छोड़ रखी है मूल रूप से दरभंगा की रहने वाली पुष्पम प्रिया चौधरी लंदन स्कूल ऑफ़ इकोनॉमिक्स से इन्होंने एडमिनिस्ट्रेशन में मास्टर डिग्री ले रखी है। फिलहाल उन्होंने प्लूरल्स पार्टी बना रखी है। जिसकी यह प्रेसिडेंट है । खुद को बिहार का अगला सीएम बताने वाली प्रिया मधुबनी जिले के बिस्फी विधानसभा क्षेत्र और पटना के बांकीपुर विधानसभा क्षेत्र दोनों से अपना नामांकन किया है।
अगला नंबर आता है राजद के स्वर्गीय रघुवंश प्रसाद सिंह के बेटे सत्य प्रकाश सिंह का जिन्होंने जदयू में शामिल होकर राजद खेमे में सेंध लगा दी है। हाल ही में इनको प्रदेश अध्यक्ष वशिष्ठ नारायण सिंह और कार्यकारी अध्यक्ष अशोक चौधरी ने पार्टी की सदस्यता दिलाई है।
इस मौके पर सत्य प्रकाश सिंह ने कहा था, हमारे पिताजी कहते थे कि परिवार के एक सदस्य को राजनीति में होना चाहिए। अंतिम दिनों में लिखी चिट्ठी में उन्होंने वैशाली को लेकर इशारा भी किया था । वह चाहते थे कि मैं राजनीति में आऊं, इसलिए हम राजनीति में आए हैं ।
स्वर्गीय कपिलदेव कामत के स्वास्थ्य को देखते हुए जेडीयू ने मधुबनी के बाबूराही विधानसभा सीट से उनकी बहू को टिकट दिया है। बताया जाता है नीतीश का यह फैसला कामत की तबीयत को देखते हुए लिया गया था। आखिरकार गुरुवार पार्टी के इस कद्दावर नेता कपिलदेव कामत का कोरोना के कारण निधन हो गया।कपिलदेव कामत के निधन पर नीतीश कुमार सहित कई नेताओं ने शोक व्यक्त किया है।
मंत्री पद पर रहते हुए कोरोना संक्रमित होने के कारण उनकी मौत हो गई। बाबूवरही विधानसभा सीट से जदयू प्रत्याशी के रूप में उनके छोटे पुत्र की पत्नी जिप सदस्या मीणा कामत को उन्होंने अपनी राजनीतिक विरासत देकर उतारा है।इस प्रकार अब इनकी राजनीतिक विरासत उनकी बहू मीना कामत के हाथों में आ गई है।
इन सभी के साथ साथ देश के मशहूर जाने-माने शायर मुनव्वर राणा की छोटी बेटी फोजिया राणा भी बिहार का रुख़ किया है। उन्होंने हाल में ही सदाकत आश्रम पहुंचकर कांग्रेस का हाथ थामा था।
कयास लगाया जा रहा है कि कांग्रेस इन्हें बैक डोर से विधान सभा भेज सकती है।
अब देखना यह है कि इस बार विधानसभा चुनाव में यह युवा नेताओं के आने से बिहार का भविष्य बदलता है या नहीं, यह तो आने वाला समय ही बताएगा। फिलहाल जनता अपना फैसला 10 नवंबर को जरूर सुनाने वाली है।