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शहर में बनेगा शहीद गणेशी ठाकुर के नाम पर द्वार

नगर परिषद बोर्ड की बैठक में बहुमत के आधार पर लिया गया निर्णय

मधुबनी नगर से संवाददाता फिरोज आलम की रिपोर्ट । इन दिनों शहर में चर्चित नवनिर्मित शहीद अकलू तुरहा द्वार पर उठे विवाद आखिरकार थम गया. अब शहर में शहीद गणेशी ठाकुर के नाम पर भी द्वारका निर्माण किया जाएगा . यह निर्णय नगर परिषद बोर्ड की आपात बैठक में लिया गया. शनिवार को मुख्य पार्षद सुनैना में देवी की अध्यक्षता में आयोजित बैठक में बहुमत के आधार पर यह निर्णय लिया गया की शहर में शहीद गणेशी ठाकुर के नाम पर द्वार का निर्माण किया जाएगा. गौरतलब हो कि 14 अगस्त 1942 को देश की स्वतंत्रता संग्राम में  अकलू तुरहा तथा गणेशी ठाकुर अंग्रेजी गोली के शिकार हो गए थे. जिनके नाम पर शहर के नीलम चौक के समीप स्मारक का निर्माण किया गया था. वर्तमान में उस स्थल पर शहीद अकलू तुरहा द्वार का उद्घाटन तथा मूर्ति का अनावरण किया गया. जिसका कुछ लोगों ने विरोध किया था. जिसके बाद नगर परिषद बोर्ड की आपात बैठक बुलाई गई. जिसमें शहीद अकलू तुरहा द्वार के शिलापट्ट पर शहीद गणेशी  ठाकुर का नाम भी अंकित करने का विचारणीय विषय लाया गया था. बैठक में मुख्य पार्षद सुनैना देवी, उप मुख्य पार्षद वारिस अंसारी, कार्यपालक पदाधिकारी प्रीति गहलोत, नगर प्रबंधक नीरज कुमार झा, पार्षद सुभाष चंद्र मिश्र, मनीष कुमार सिंह, सुनीता देवी, प्रभावती देवी, सुरेंद्र मंडल, कैलाश साह, मोहम्मद खालिद अनवर, रजा इश्तियाक अहमद, अरुण कुमार राय, जय शंकर साह, धर्मवीर प्रसाद, उमेश प्रसाद, सोनाली देवी, रेहाना खातून, शबनम आया, कविता देवी, बेनजीर खालिद, रेखा नायक, हलीमा खातून उपस्थित थे.

बहुमत के आधार पर लिया गया निर्णय

शहर में शहीद गणेशी ठाकुर के नाम पर द्वार बनाने का निर्णय बहुमत के आधार पर किया गया. बैठक में एकमात्र विचारणीय विषय पर मुख्य पार्षद के द्वारा सदस्यों से अपना अपना विचार रखने एवं निर्णय लेने के लिए कहा गया. वार्ड  एक के पार्षद जय शंकर साह ने कहा कि 21 दिसंबर 2019 को सशक्त स्थाई समिति ने सिर्फ शहीद अकलू तुरहा के नाम पर द्वार बनाने का निर्णय लिया था. अब जबकि द्वार बनकर तैयार हो गया है उस पर शहीद के नाम अंकित कर दिए गए हैं. ऐसे में उस में नाम जोड़ना ठीक नहीं होगा. इसलिए शहीद गणेशी ठाकुर के नाम पर  भव्य द्वार का निर्माण कराया जाए. इस बात पर अधिकांश सदस्यों ने सहमति जताई. जबकि विचारणीय विषय पर वार्ड नंबर 9 की पार्षद बेनजीर खालिद ने दोनों शहीद के नाम एक ही शिलापट्ट पर अंकित करने  की बात कही. पार्षदों के विभिन्न मत के कारण वोटिंग के आधार पर अकलू साह द्वार के शिलापट्ट पर शहीद अकलू साह का नाम ही रहने दिए जाने का निर्णय लिया गया. जबकि शहीद गणेशी ठाकुर द्वार के लिए स्थल चयन कर एक अलग द्वार का निर्माण कराने का निर्णय लिया गया.

उठा था विवाद

शहर में अकलू तुरहा के नाम पर द्वार बनने के बाद कई संगठनों ने आपत्ति जताई थी. संगठनों का कहना है था की जब दोनों शहीदों का स्मारक नीलम चौक के समीप एक साथ है तो द्वार पर भी एक साथ नाम अंकित होना चाहिए. जिसके कारण 9 सितंबर को  नगर विकास एवं आवास विभाग के मंत्री सुरेश कुमार शर्मा नहीं पहुंचे थे. स्थानीय विधायक समीर कुमार महासेठ ने द्वार का उद्घाटन तथा मूर्ति का अनावरण किया था. वही उस दिन से अखिल भारतीय तुरहा कल्याण मंच इस बात को लेकर नाराज चल रही थी .सदस्यों का कहना था यह बात पहले हो जानी चाहिए थी. द्वार बनने के बाद या उद्घाटन के समय ऐसी बातों का कोई मायने नहीं है. विवाद को देखते हुए नगर परिषद में शिलापट्ट पर दोनों शहीदों के नाम अंकित किए जाने को लेकर एक  आपात बैठक बुलाई. बैठक में बहुमत के आधार पर यह निर्णय लिया गया कि शहर में शहीद गणेशी ठाकुर के नाम पर द्वार का निर्माण किया जाएगा.

मंच ने किया स्वागत

शहर में शहीद गणेशी ठाकुर द्वार बनाए जाने  के निर्णय का स्वागत अखिल भारतीय तुरहा कल्याण मंच ने किया है. निर्णय का स्वागत करने वालों में राजेंद्र प्रसाद, विनोद कुमार, राजू साह, विश्वनाथ साह, जोगेश्वर साह, कमल देव प्रसाद, जगन्नाथ राम, गणेश त्यागी, संजीव कुमार पप्पू, मीनू किरण, मंजू कुमारी सहित दर्जनों लोग शामिल हैं.