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वर्ग बहुलता के निर्धारण में मनमानी की गुंजाइश आगनबाड़ी बहाली में बन रही पेंच का कारण



मधुबनी - लदनियां से हरिश्चन्द्र यादव की रिपोर्ट:
आंगनबाड़ी केन्द्रों में सेविका व सहायिका के दो पदों पर बाल विकास परियोजना के द्वारा रिक्ति व नियुक्ति की प्रक्रिया पूरी की जाती है। नियुक्ति आरक्षण रोस्टर के अनुसार होती है। आरक्षण कोटि का निर्धारण वर्ग बहुलता के आधार पर किया जाता है। 

नियुक्ति की प्रक्रिया शुरू होने के बाद अक्सर वर्ग बहुलता के निर्धारण पर सवाल उठता है और जब सवाल विभाग में पहुंचता है, तब पुनः विभागीय मनमानी का खेल शुरू होता है। अधिकृत पदाधिकारी अक्सर पूर्व में निर्धारित वर्ग बहुलता के आधार को गलत बताकर नये सिरे से सीमांकन की गुंजाइश तलाशता है। 

विभाग जिस सीमांकन पर मुहर लगाने के बाद वेकेंसी देता है, उसी सीमांकन को दोषपूर्ण बताकर एक तरफ जहां समाज को अपने स्वार्थ की पूर्ति में लड़ाई में झोंकता है, तो दूसरी तरफ मार्गदर्शन की प्रत्याशा के नाम पर नियुक्ति की प्रक्रिया को वर्षों टालने की कोशिश करता है। तबतक संबंधित पदाधिकारी का स्थानांतरण हो जाता है।

 पुनः नये पदाधिकारी के पास नये सिरे से पहल करनी होती है। ऐसी स्थिति में कई लोगों की सही दावेदारी पीछे पड़ जाती है। इसी प्रकार की पेंच में फंसकर विगत दो वर्षों से डलोखर पंचायत के वार्ड नम्बर तीन की आंगनबाड़ी केन्द्र संख्या 145 के लिए दी गई वेकेंसी के विरुद्ध जारी नियुक्ति प्रक्रिया लंबित है।

 सवाल उठता है कि इसके लिए कौन दोषी है। वेकेंसी देने वाला विभाग या फिर इसमें शामिल होने वाले अभ्यर्थी। जवाब होगा इसके लिए दोषी विभाग है, क्योंकि वर्ग बहुलता के सीमांकन में उलटफेर की गुंजाइश विभाग ने जानबूझकर छोड़ी है।