पटना/सोनपुर, विशेष संवाददाता। बिहार में आगामी विधानसभा चुनावों की आहट के बीच सियासी सरगर्मियां तेज हो गई हैं। इन उठते राजनीतिक तरंगों के बीच जनता दल यूनाइटेड (जदयू) के प्रदेश सचिव और सोनपुर विधानसभा क्षेत्र के प्रभारी आचार्य डॉ. राहुल परमार राज्य की राजनीति में एक नए विमर्श की बुनियाद रख रहे हैं—नाम है "2025 फिर से नीतीश"। यह केवल एक चुनावी नारा नहीं, बल्कि डॉ. परमार द्वारा चलाया जा रहा एक तथ्यात्मक जनजागरण अभियान है, जो नीतीश कुमार के नेतृत्व में हुए दो दशकों के सुशासन की ठोस तस्वीर जनता के सामने ला रहा है।
किताब से लेकर क़दमों तक—सुशासन को पन्नों में समेटते और पंचायतों तक पहुंचाते परमार
डॉ. परमार नीतीश सरकार की उपलब्धियों पर आधारित एक तथ्यपूर्ण और शोधपरक पुस्तक लेकर आ रहे हैं, जो न केवल योजनाओं और नीतियों का लेखा-जोखा प्रस्तुत करती है, बल्कि लाभार्थियों की जीवनगाथाओं और सरकारी रिपोर्टों के हवाले से बिहार के बदलते सामाजिक-आर्थिक परिदृश्य की गवाही भी देती है। यह पुस्तक किसी भी राजनेता द्वारा लिखी गई पहली ऐसी राजनीतिक दस्तावेज़ होगी, जो सरकारी योजनाओं के कार्यान्वयन से लेकर प्रभाव तक का निष्पक्ष मूल्यांकन करती है।
इस अभियान के तहत वे पूरे प्रदेश में "सुशासन संवाद" कार्यक्रम चला रहे हैं, जहां वे गाँव-गाँव जाकर जनता से संवाद कर रहे हैं, पुस्तक के अंश पढ़ते हैं और नीतीश कुमार की नीतियों को सीधे जनता के अनुभवों से जोड़ते हैं। युवाओं को तथ्य आधारित राजनीति से जोड़ने का उनका प्रयास इस चुनावी मौसम में बेहद उल्लेखनीय माना जा रहा है।
भाजपा ने छोड़ी सोनपुर सीट, जदयू ने मैदान में उतारे अपने “लोकल और लड़ाकू” नेता
राजनीतिक समीकरणों की बात करें तो सोनपुर विधानसभा सीट पर एक बड़ा बदलाव सामने आया है। 2015 और 2020 में भाजपा के पास रही इस सीट को इस बार गठबंधन धर्म के तहत जदयू को सौंप दिया गया है। विश्वस्त सूत्रों के अनुसार, जदयू नेतृत्व ने इस सीट से डॉ. राहुल परमार के नाम पर लगभग मुहर लगा दी है। यह कदम भाजपा के “सेफ गेम” और जदयू की क्षेत्रीय पकड़ को दर्शाता है।
डॉ. परमार लंबे समय से सोनपुर में संगठन निर्माण में लगे रहे हैं। पंचायत स्तर तक जदयू की पकड़ मजबूत करने, बूथ कार्यकर्ताओं को सक्रिय रखने और युवाओं के बीच संवाद कायम करने में उनकी भूमिका निर्णायक रही है। यही वजह है कि पार्टी उन्हें "लोकल, लोकप्रिय और लड़ाकू" उम्मीदवार के रूप में देख रही है।
विचारशील लेखक, समाजसेवी और जननेता का अद्वितीय मिश्रण
डॉ. राहुल परमार राजनीति में विचार, कार्य और शोध का संगम प्रस्तुत करते हैं। वे न केवल एक कुशल संगठनकर्ता हैं, बल्कि एक विचारशील लेखक और सामाजिक कार्यकर्ता के रूप में भी पहचान रखते हैं। नीतीश सरकार के सुशासन मॉडल पर आधारित उनकी लिखी गई पूर्ववर्ती पुस्तकों को राजनीतिक अध्ययन और प्रशासनिक शोध में उपयोगी माना गया है।
उनकी कार्यशैली उन्हें अन्य नेताओं से अलग करती है। वे क्षेत्र में जनसंवाद, युवाओं की भागीदारी और महिलाओं के सशक्तिकरण को प्राथमिकता देते रहे हैं। यही वजह है कि सोनपुर की जनता में उनका एक अलग विश्वास और अपनापन बना है।
समीकरण, सोच और सुशासन—तीनों में फिट हैं राहुल परमार
राजनीतिक विश्लेषकों की मानें तो भाजपा द्वारा सोनपुर से पीछे हटना और जदयू का फ्रंटफुट पर आना यह दर्शाता है कि NDA इस सीट को हारने का जोखिम नहीं लेना चाहता। आचार्य डॉ. परमार जातीय, सामाजिक और राजनीतिक समीकरणों के लिहाज़ से पूरी तरह फिट बैठते हैं। वे सिर्फ उम्मीदवार नहीं, बल्कि गठबंधन के लिए एक नीति और नीयत आधारित चेहरा बन सकते हैं। प्रचार से परे, विचार की राजनीति की ओर बढ़ते कदम"2025 फिर से नीतीश" सिर्फ एक प्रचार अभियान नहीं, बल्कि तथ्य, आंकड़े और ज़मीनी अनुभवों पर आधारित राजनीति का नवसंवाद है। और इस विमर्श के सबसे प्रखर संवाहक बनकर उभरे हैं आचार्य डॉ. राहुल परमार। यदि वे सोनपुर से प्रत्याशी घोषित होते हैं, तो यह न केवल विपक्ष के लिए एक कठिन चुनौती होगी, बल्कि यह संदेश भी देगा कि जदयू अब केवल सत्ता की पार्टी नहीं, बल्कि विचार और कार्य की पार्टी है—जो विकास के पिछले 20 वर्षों की कहानी को आगामी भविष्य की बुनियाद बनाना चाहती है।
सोनपुर की सियासत इस बार इतिहास लिख सकती है—एक ऐसा इतिहास, जिसमें नारे नहीं, काम बोलेंगे।