महापुरुषों के जीवन के आदर्शों से सकारात्मक ऊर्जा प्राप्त होती है: डॉ. दिलीप जायसवाल
स्वामी सहजानन्द सरस्वती ने किसान आंदोलन को पहचान दी: डॉ. दिलीप जायसवाल
स्वामी जी ने जीवन पर्यन्त जिंदगी भर किसानों के लिए काम किया: डॉ. दिलीप जायसवाल
स्वामी सहजानन्द सरस्वती का जीवन संघर्षों के साथ ही महान त्याग का इतिहास रहा है: संजय मयूख
पटना, 26 जून। बिहार भाजपा के अध्यक्ष डॉ. दिलीप जायसवाल आज एजुकेशनल रिसर्च एंड डेवलपमेंट संस्थान के तत्वाधान में किसानों के प्रणेता स्वामी सहजानन्द सरस्वती की पुण्यतिथि पर बीआईए सभागार में आयोजित विकसित बिहार खुशहाल किसान परिचर्चा में कहा कि महापुरुषों के जीवन के आदर्शों से सकारात्मक ऊर्जा प्राप्त होती है। उन्होंने कहा कि महापुरुषों व संतों के दिखाए मार्ग पर चलते हुए लोगों की भलाई के लिए काम करना चाहिए।
उन्होंने जोर देकर कहा कि हमें महापुरुषों से जुड़ी जयंती और उनकी पुण्यतिथि भी मनानी चाहिए, जिससे आने वाली पीढ़ियां भी उनके विषय और समाज के प्रति उनके योगदान को जान सकें।
उन्होंने कहा कि बिहार में किसान आंदोलन के जनक के रूप में स्वामी सहजानन्द सरस्वती की पहचान है, यही वजह है कि बिहार के किसानों के लिए स्वामी सहजानंद सरस्वती भगवान का रूप हैं। जीवन पर्यन्त जिंदगी भर उन्होंने किसानों के लिए काम किया। आज हम श्रद्धा के साथ उनकी पुण्यतिथि मनाते हैं।
भाजपा अध्यक्ष डॉ. जायसवाल ने कहा कि स्वामी सहजानन्द सरस्वती रोटी को भगवान से बढ़कर मानते थे। बिहार और पूर्वी उत्तर प्रदेश में जहां उनकी जाति के अधिसंख्य जमींदार थे, उन्होंने जमींदारों के खिलाफ़ किसानों को संगठित कर उनकी लड़ाई लड़ी। उनकी लड़ाई का ही नतीजा था कि बिहार केसरी डाक्टर श्री कृष्ण सिंह के नेतृत्व में पहला जमींदारी उन्मूलन कानून देश में बिहार में ही बना था।
उन्होंने कहा कि आज भाजपा महापुरुषों और स्वतंत्रता सेनानियों के इतिहास के पन्नों से बाहर ला रही है, जिन्हें पूर्ववर्ती सरकारों ने भुला दिया था। उन्होंने कहा कि भाजपा सभी समाज, वर्ग और सभी संप्रदाय को साथ लेकर आगे बढ़ रही है, यही इन महापुरुषों की भारत को लेकर कल्पना थी।
इस मौके पर विधान पार्षद संजय मयूख ने अपने संबोधन में कहा कि स्वामी सहजानंद सरस्वती किसान आंदोलन के जनक व जन्मजात क्रांतिकारी पुरुष थे। स्वामी जी का जीवन आज भी खुली किताब है जिससे प्रेरणा लेने की आवश्यकता है। उनका जीवन संघर्षों के साथ ही महान त्याग का इतिहास रहा है। जमींदारी प्रथा के उन्मूलन में उनके योगदान को कभी भुलाया नहीं जा सकता है।