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मनुष्यता के कवि और विद्वान आचार्य थे डा दीनानाथ शरण : नन्द किशोर यादव



  • मनुष्यता के कवि और विद्वान आचार्य थे डा दीनानाथ शरण : नन्द किशोर यादव 
  • जयंती पर साहित्य सम्मेलन में आयोजित हुआ सम्मान-समारोह एवं कवि-सम्मेलन,
  • वरिष्ठ साहित्यकार डा संजय पंकज तथा डा डा पुष्पा जमुआर को दिया गया स्मृति-सम्मान

पटना, २६ जून । गुरु गोविंद सिंह महाविद्यालय में हिन्दी के प्राध्यापक रहे डा दीनानाथ शरण एक महान साहित्यकार ही नहीं एक विद्वान आचार्य भी थे। वे मनुष्यता के कवि थे। उनका जीवन संघर्षपूर्ण किंतु लोक-मंगलकारी था।

यह बातें आज यहाँ, बिहार हिन्दी साहित्य सम्मेलन में आयोजित जयंती एवं सम्मान-समारोह का उद्घाटन करते हुए बिहार विधान सभा के अध्यक्ष नन्द किशोर यादव ने कही। उन्होंने कहा कि डा शरण मेरे आचार्य रह चुके थे। वे अत्यंत सरल और विद्वान आचार्य थे। उनकी शिक्षण-पद्धति अत्यंत आकर्षक थी। उनकी कक्षा में बड़ी संख्या में विद्यार्थी उपस्थित रहते थे। 




इस अवसर पर श्री यादव ने, डा दीनानाथ शरण न्यास की अनुशंसा पर, मुज़फ़्फ़रपुर के वरिष्ठ साहित्यकार डा संजय पंकज को, इस वर्ष का 'डा दीनानाथ शरण स्मृति सम्मान' से विभूषित किया। सम्मान-स्वरूप उन्हें ग्यारह हज़ार रूपए की सम्मान-राशि सहित वंदन-वस्त्र, स्मृति-चिन्ह और सम्मान-पत्र प्रदान किया गया। 

समारोह के मुख्य अतिथि और राज्य उपभोक्ता आयोग के अध्यक्ष न्यायमूर्ति संजय कुमार ने, वरिष्ठ लेखिका डा पुष्पा जमुआर को 'लेखिका शैलजा जयमाला' स्मृति-सम्मान प्रदान किया गया। उन्हें पाँच हज़ार रूपए की सम्मान राशि के साथ वंदन-वस्त्र, प्रशस्ति-पत्र तथा पुष्प-हार प्रदान कर सम्मानित किया। अपने संबोधन में न्यायमूर्ति ने कहा कि हिन्दी भाषा और साहित्य के लिए आजीवन समर्पित रहे डा शरण। उनका पूरा परिवार साहित्य की सेवा में लिप्त है। यह हिन्दी के लिए प्रसन्नता का विषय है।






समारोह की अध्यक्षता करते हुए, सम्मेलन अध्यक्ष डा अनिल सुलभ ने कहा कि, डा दीनानाथ शरण हिन्दी के कुछ उन थोड़े से मनीषी साहित्यकारों में थे, जो यश की कामना से दूर, जीवन पर्यन्त साहित्य और पत्रकारिता की एकांतिक सेवा करते रहे। वे मनुष्यता और जीवन-मूल्यों के कवि और विद्वान समालोचक थे। उनकी ख्याति उनके आलोचना-ग्रंथ 'हिन्दी काव्य में छायावाद' से हुई। उन्होंने नेपाल में हिन्दी के प्रचार में भी अत्यंत महनीय कार्य किए। त्रीभुवन विश्वविद्यालय, काठमांडू में 'हिन्दी-विभाग' की स्थापना,'नेपाली साहित्य का इतिहास' लेखन तथा नेपाली कृतियों के हिन्दी अनुवाद के लिए भी वे सम्मान पूर्वक स्मरण किए जाते रहेंगे।






डा दीनानाथ शरण स्मृति न्यास के सचिव एवं डा शरण के मनीषी पुत्र शम्भु अमिताभ ने अपने पिता के साहित्यिक व्यक्तित्व की विस्तारपूर्वक चर्चा की तथा कहा कि उनकी रचनाओं का अनेक भाषाओं में अनुवाद भी हुए हैं। दिल्ली से पधारीं वरिष्ठ कवयित्री कामिनी श्रीवास्तव ने साहित्य सम्मेलन को पुस्तकालय हेतु अपनी पुस्तकें भेंट की। सम्मेलन के उपाध्यक्ष डा शंकर प्रसाद, डा शरण की पुत्रवधु डा निशा अमिताभ,देहरादून से पधारी कवयित्री रंजीता सिंह 'फलक' ने भी अपने विचार व्यक्त किए। 

इस अवसर पर आयोजित कवि-सम्मेलन का आरंभ चंदा मिश्र ने वाणी वंदना से किया। दिल्ली से पधारीं वरिष्ठ कवयित्री कामिनी श्रीवास्तव, डा वन्दना वीथिका, शुभ चंद्र सिन्हा, डा विद्या चौधरी, डा पूनम सिन्हा श्रेयसी, शमा कौसर 'शमा', मधुरेश नारायण, डा प्रतिभा रानी, डा अनिल कुमार शर्मा, उत्पल कुमार, डा मीना कुमारी परिहार, ईं अशोक कुमार, डा गिन्नी जायसवाल, मृत्युंजय गोविंद, सिद्धेश्वर, कुमार अनुपम, सूर्य प्रकाश उपाध्याय, प्रेरणा प्रिया, अश्विनी कविराज, आदि कवियों और कवयित्रियों ने अपनी रचनाओं का पाठ किया। मंच का संचालन ब्रह्मानन्द पाण्डेय ने तथा धन्यवाद-ज्ञापन कृष्ण रंजन सिंह ने किया।

सम्मेलन के अर्थ मंत्री प्रो सुशील कुमार झा, डा ओम् प्रकाश जमुआर, बाँके बिहारी साब, अनन्त अरोड़ा, कमल नयन श्रीवास्तव, प्रेम खन्ना, इंदु भूषण सहाय, प्रमोद कुमार सिन्हा, अतुल ब्रह्मात्मज, अरविंद कुमार वर्मा, अमरजीत कुमार, अंसु कुमार समेत बड़ी संख्या में प्रबुद्धजन उपस्थित थे।