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राज्य के सभी जिलों के नामित पुलिस निरीक्षक और पुलिस अवर निरीक्षक का जेण्डर संवेदीकरण, जेण्डर आधारित हिंसा, घरेलू हिंसा, पॉश अधिनियम 2013 और पॉक्सो अधिनियम 2012 तथा पर 18-20 दिसम्बर 2024 तक कार्यशाला का आयोजन किया गया




पटना/21 दिसम्बर 2024
नई चेतना अभियान 3.0 अन्तर्राष्ट्रीय लैंगिक हिंसा उन्मूलन अभियान के तहत महिला एवं बाल विकास निगम, बिहार के द्वारा राज्य के सभी 38 जिलों के कमजोर वर्ग, अपराध अनुसंधान विभाग के नामित 180 पुलिस निरीक्षक और पुलिस अवर निरीक्षक को मास्टर प्रशिक्षक तैयार करने हेतु जेण्डर संवेदीकरण, जेण्डर आधारित हिंसा, घरेलू हिंसा अधिनियम, पॉश अधिनियम 2013 और लैंगिक अपराधों से बच्चों का संरक्षण अधिनियम 2012 पर 18-20 दिसम्बर 2024 तक कार्यशाला का आयोजन मजलिस संस्था, यूनिसेफ और C3 के तकनीकी सहयोग से निगम मुख्यालय पटना के सभागार भवन में किया गया ।

प्रशिक्षण के दौरान यूनिसेफ के श्री बंकू सरकार पॉक्सो अधिनियम पर प्रकाश डालते हुए अधिनियम के वैधानिक प्रावधानों के बारे में बताया कि पॉक्सो अधिनियम बच्चों को लैंगिक उत्पीड़न और शोषण से बचाने के उद्देश्य से एक ऐतिहासिक कानून है जिसे वर्ष 2012 में अधिनियमित किया गया है । उन्होंने बताया कि पोक्सो अधिनियम के तहत जब स्टेटमेंट रिकॉर्ड किया जाता है तो ध्यान रखना है कि बच्चों को किसी भी हालत में रात में थाने में नही रखना है । किसी महिला पुलिस पदाधिकारी द्वारा ही सामान्य ड्रेस में, बच्चा जिसपर विश्वास करता है उसके समक्ष ही लिया जाये । बच्चे की गोपनीयता का ध्यान रखना है।
उन्होंने बताया कि यह अधिनियम बच्चों की अतिसंवेदनशीलता को संबोधित करता है और उनकी सुरक्षा एवं कल्याण को सुनिश्चित करता है। अधिनियम के अंतर्गत बच्चों का ट्रायल स्पेशल कोर्ट में ही होता है ताकि यहाँ चाइल्ड-फ्रेंडली वातावरण में बच्चा भयमुक्त होकर बयान दे सके । वहां बच्चों के लिए खिलौने होते हैं और माननीय कोर्ट के द्वारा वीडियो कोंफ्रेसिंग के माध्यम से बच्चों से बात-चित की जाती है । बच्चों के अधिकार की रक्षा ही इस अधिनियम की केंद्र बिंदु है । 




सी 3 की जेंडर विशेषज्ञ श्रीमती गुंजन बिहारी द्वारा पॉश अधिनियम के बारे में बताया कि महिलाओं को संरक्षण प्रदान करने और कार्यस्थल पर उसके अधिकारों की रक्षा करने के लिए कार्यस्थल पर महिलाओं का लैंगिक उत्पीड़न (निवारण, प्रतिषेध और प्रतितोष) अधिनियम, 2013 अधिनियमित किया गया है । उन्होंने बताया कि इस अधिनियम के प्रभावी कार्यान्वयन के लिए कार्यस्थल पर जागरूकता कार्यशाला का आयोजन करना चाहिए साथ ही उन्होंने इस अधिनियम के तहत पीड़िता के अधिकार और जाँच प्रक्रिया के आवश्यक पहलुओं के बारे में बताया ।

मजलिस संस्था की प्रशिक्षक सुश्री मल्लिका ने जेण्डर आधारित हिंसा को महिलाओं और बच्चों के लाइफ साईकल के माध्यम से समझाने का प्रयास किया । उन्होंने घरेलू हिंसा को परिभाषित करते हुए बताया कि कोई भी शारीरिक दुर्व्यवहार अर्थात शारीरिक पीड़ा, अपहानि या जीवन या अंग या स्वास्थ्य को खतरा या लैगिंग दुर्व्यवहार अर्थात महिला की गरिमा का उल्लंघन, अपमान या तिरस्कार करना या अतिक्रमण करना या मौखिक और भावनात्मक दुर्व्यवहार अर्थात अपमान, उपहास, गाली देना या आर्थिक दुर्व्यवहार अर्थात आर्थिक या वित्तीय संसाधनों, जिसकी वह हकदार है, से वंचित करना, मानसिक रूप से परेशान करना ये सभी घरेलू हिंसा की श्रेणी में आता है। उन्होंने इस अधिनियम के तहत पीड़िता को दिए जानेवाले त्वरित राहत और संरक्षण पदाधिकारी के कर्तव्यों को विस्तारपूर्वक समझाया।  




अपर पुलिस महानिदेशक, कमजोर वर्ग, अपराध अनुसंधान विभाग श्री अमित कुमार जैन ने कार्यक्रम को संबोधित करते हुए कहा कि आपलोगों को अपने प्रोफेशनल कैरियर में लैंगिक अपराधों से बालकों का संरक्षण अधिनियम 2012 और घरेलू हिंसा से सम्बंधित केसों के मामले में जो भी कठिनाइयाँ आ रही होंगी उसके जानकर से आप इस प्रशिक्षण में ज्यादा से ज्यादा जानकारी लें और दक्षता के साथ अपने कार्यक्षेत्र में जा कर कार्य करें और शेष कर्मियों को भी इस विषय पर प्रशिक्षित करें।




अपर मुख्य सचिव समाज कल्याण विभाग तथा अध्यक्ष सह प्रबंध निदेशक महिला एवं बाल विकास निगम श्रीमती हरजोत कौर बम्हरा ने प्रशिक्षण कार्यक्रम को संबोधित करते हुए कहा कि पुलिसबल में बहुत संख्या में महिलाएं आई है ऐसे में पॉश अधिनियम की जानकारी होनी चाहिए । एक संवेदनशील कार्यस्थल के निर्माण के लिए सभी कर्मियों का संवेदीकरण अति आवश्यक है। कोई भी महिला यौन उत्पीड़न का शिकायत अपने आंतरिक समिति में या महिला एवं बाल विकास मंत्रालय के SHe-Box पोर्टल पर कर सकती हैं। उन्होंने घरेलू हिंसा अधिनियम के बारे में बताया कि इस अधिनियम की खासियत यह है कि जुडिशल मजिस्ट्रेट के द्वारा त्वरित कार्रवाई किया जाता है। उन्होंने प्रतिभागियों को संबोधित करते हुए कहा कि आप पुलिस पदाधिकारियों का कर्तव्य है कि पीड़िता को पूर्ण सहयोग दें तथा सभी जिलों में महिला एवं बाल विकास निगम द्वारा संचालित वन स्टॉप सेंटर तथा TISS के महिला विशेष कोषांग के साथ मिल जुलकर कार्य करें ताकि पीड़िता को त्वरित सहयोग दिया जा सके ।




प्रशिक्षण के दौरान समूह चर्चा और प्रश्नोत्तर सत्र आयोजित की गईं, जिसमें प्रतिभागियों ने अपने अनुभव और विचार साझा किए । कार्यशाला का समापन धन्यवाद ज्ञापन के साथ हुआ ।