सांस्कृतिक संस्था लोक पंच द्वारा आज दिनांक 21 दिसंबर, 2024 को सरस मेला गांधी मैदान पटना में नाटक “साइबर क्राइम” का मंचन किया गया।
कथासार :-
नाटक पति-पत्नी की नोक- झोंक से शुरू होता है। इस दौरान एक फोन आता है और ओटीपी माँगा जाता है, पत्नी उसे ओटीपी देने लगती है तो पति मना करता है, पर पत्नी ओटीपी दे देती है और बाद में बताती है कि मुझे मालूम है कि वह मेरे साथ फ्रॉड कर रहा था, पर मैंने उसे गलत ओटीपी दे दिया। मुझे मालूम है ओटीपी शेयर करने से नुकसान होता है, हम गांव से आए हैं इसका मतलब यह नहीं कि हम बेवकूफ है।
अगले दृश्य में एक व्यक्ति अपने मित्र से बकाया पैसे मांगता है, और इसी बातचीत के दौरान पता चलता है कि मित्र का फेसबुक अकाउंट किसी ने हैक कर रखा है और वह उसके मित्रों से पैसा मांग रहा है।
ऐसी फेक और फ्रॉड साइबर क्राइम करने वाले से सावधान रहने की बात बताई जाती है। अगले दृश्य में अनजान और फ्रॉड लिंक पर क्लिक करने का क्या परिणाम होता है, यह दिखाया गया है। नाटक में गायक मोहम्मद रफी के गाए हुए गीत (बार-बार के तोहरे कमईयया चोरवा ना ले जाए, जगत रहा भैया तू सोए मत जाइए) को रखा गया है जिसके माध्यम से जालसाज़ और साइबर अपराधियों से अपने धन को बचाने की बात कही जाती है। इसके अलावा और कई गीतों का नाटक में इस्तेमाल किया गया है।
नाटक के अंत एक पत्र कहता है कि अब मुझे कोई भी साइबर क्राइम करने वाला ठग नहीं सकता है क्योंकि "मैं मुर्ख नहीं हूं"। प्रस्तुति के दौरान स्टेट बैंक ऑफ इंडिया के वरिष्ठ पदाधिकारी विकास कुमार उपस्थित रहे और नाटक की सराहना की।
पात्र परिचय
रजनीश पांडे, अभिषेक राज, सहर्ष शुभम, अरबिंद कुमार, दीपा दीक्षित, सोनल कुमारी, रोहित कुमार एवं मनीष महिवाल।
मंच परे
नाल : अजीत कुमार
खंजरी : अरविंद कुमार
प्रस्तुति नियंत्रक : राम प्रवेश
लेखक-निर्देशक : मनीष महिवाल
प्रस्तुति : लोक पंच