पटना, 13 नवम्बर, 2024
महिला एवं बाल विकास निगम के सभागार भवन में राज्य के सभी जिलों के नवनियुक्त और पूर्व से कार्यरत जिला परियोजना पदाधिकारियों, महिला विशेष कोषांग के परमर्शियों और छः जिलों; किशनगंज, अररिया, दरभंगा, पूर्वी चंपारण, गया और भागलपुर में कार्यरत TISS के सामाजिक कार्यकर्ताओं का लिंग आधारित हिंसा के मामलों में पीड़ित महिला को सहायता प्रदान करने हेतु मनोवैज्ञानिक मुद्दों और मानसिक स्वस्थ्य देखभाल पर दो दिवसीय कार्यशाला का आयोजन किया गया ।
प्रशिक्षण के दौरान राष्ट्रीय मानसिक स्वास्थ्य एवं तंत्रिका विज्ञान संस्थान, बेंगलुरु की रिसोर्स पर्सन डॉ. चेतना किशोर ने पीड़ित महिलाओं के परामर्श के बुनियादी दृष्टिकोण, आघात सूचित देखभाल एवं उत्तरजीवी केन्द्रित दृष्टिकोण पर चर्चा करते हुए बताया कि आघात-सूचित देखभाल एक ताकत-आधारित दृष्टिकोण है जो एक संपूर्ण व्यक्ति के रूप में उत्तरजीवी की जरूरतों पर विचार करता है। घरेलू हिंसा के संदर्भ में, आघात-सूचित दृष्टिकोण छह प्रमुख प्रथाओं को शामिल करते हैं; उत्तरजीवियों के लिए भावनात्मक सुरक्षा को बढ़ावा देना, उनकी पसंद और नियंत्रण को बहाल करना, उत्तरजीवियों के बीच संबंध को सुविधाजनक बनाना, उनके सामना करने के तरीकों का समर्थन करना और उन्हें बढ़ाना, उत्पीड़न और हाशिए पर रहने की प्रणालियों सहित उत्तरजीवियों की पहचान और संदर्भों पर प्रतिक्रिया करना, और उनकी ताकतों का निर्माण करना है । उन्होंने बताया कि पीड़ित महिला को सशक्त करने की आवश्यकता है ।
राष्ट्रीय मानसिक स्वास्थ्य एवं तंत्रिका विज्ञान संस्थान, बेंगलुरु की रिसोर्स पर्सन डॉ. अफ्रिनबानु ए ने बताया कि “महिलाओं के विरूद्ध हिंसा- बहु-पीढ़ीगत निहितार्थ और आजीवन आघात” के बारे में बताया कि घरेलू विवाद कैसे बच्चों के स्वास्थ्य को प्रभावित करता है । उन्होंने बताया कि पीड़िता से लाइफ चार्ट ऑफ वायलेंस के माध्यम से उनके पूर्व में घटित घटनाओं का गंभीरता से अध्ययन कर करके एवं समय देकर यह पता किया जा सकता है कि पीडिता को किस प्रकार की मदद की आवश्यकता है उन्होंने उन्होंने नारीवाद के सिद्धांतो को उदाहरण के मदद से समझाने का कोशिश किया ।
राष्ट्रीय मानसिक स्वास्थ्य एवं तंत्रिका विज्ञान संस्थान, बेंगलुरु की रिसोर्स पर्सन डॉ. करिश्मा डिसूजा ने “नैतिक विचार: गोपनीयता, संबोधन, मौजूदा पूर्वाग्रह और रूढ़ियों” पर चर्चा करते हुए समाज में व्याप्त मानसिकता के बारे में बताते हुए बताया कि वर्तमान परिवेश को देखते हुए हमें इससे निकलने की जरुरत है और पीड़िता के गोपनीयता को ध्यान में रखते हुए विश्वास में लेकर मित्रतापूर्वक बात-चित करना है तथा नैतिकता के सिद्धांत का अनुपालन करना है । परामर्शी का कार्य अपने दायरे में रह कर सलाह देना है ।
राष्ट्रीय मानसिक स्वास्थ्य एवं तंत्रिका विज्ञान संस्थान, बेंगलुरु की रिसोर्स पर्सन डॉ. मथाबी पुरी ने “मानसिक परेशानी और आत्मघाती जोखिम का आकलन” पर चर्चा करते हुए बताया कि यदि पीडिता को सुसाईडल/ आत्मघाती विचार आ रहे हैं तो उन्हें चिकित्सा हेतु मनोवैज्ञानिक के यहाँ भेजें ।
प्रशिक्षण के दौरान समूह चर्चा और प्रश्नोत्तर सत्र आयोजित की गईं, जिसमें प्रतिभागियों ने अपने अनुभव और विचार साझा किए । कार्यशाला का समापन धन्यवाद ज्ञापन के साथ हुआ ।
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