Header Ads Widget

परिवर्तन संभव है !




परिवर्तन संभव है ! आज रोहतास के गोपाल नारायण सिंह यूनिवर्सिटी में आयोजित 'मेटा 2.0' महोत्सव मे आमंत्रित था जहाँ बिहार के सभी मेडिकल कॉलेजों से एकत्रित छात्रों को संबोधित करते हुए मैंने कहा कि जीवन में कोई भी लक्ष्य असाध्य नहीं है यदि इच्छा प्रबल हो, आधार स्पष्ट हो और प्रयास पूर्ण उर्जा, निष्ठा तथा दृढ़ संकल्प के साथ हो । मैंने बगहा और रोहतास में अपने कार्यकाल की चुनौतियों तथा समस्याओं के उन्मूलन हेतु किए गए प्रयासों को साझा करते हुए बताया कि बृहत दृष्टि और ऐसे सांस्कृतिक आधार जो विरासत में अंतर्निहित संदेशों से प्रेरित थे, के कारण ही अल्पावधि में तब वैसा अद्भुत परिवर्तन संभव हो सका, जिसे कभी सभी असंभव मानते थे । ऐसे असंभव माने जाने वाले परिवर्तनों को साकार होते देखने के कारण ही मेरे मन में इस प्रबल भाव की जागृति हुई कि संपूर्ण बिहार में भी एक व्यापक परिवर्तन संभव है और यदि हमने अपने ही पूर्वजों की बृहत दृष्टि को धारण करते हुए शिक्षा, समता और उद्यमिता के मंत्रों के साथ हर भेदभाव से परे उठकर संगठित योगदान किया तो निश्चित ही हम 2047 तक विकसित भारत में एक ऐसे बिहार को निर्मित कर देंगे जिसमें शिक्षा, रोजगार अथवा स्वास्थ्य के लिए किसी को अन्यत्र जाने की आवश्यकता नहीं होगी । इसी उद्देश्य के साथ वर्ष 2021 के 22 मार्च से प्रारंभ Let's Inspire Bihar अभियान आज 1,05,000+ सहयात्रियों के साथ गतिमान है ।

मैने सभी को यह भी बताया कि नव बिहार के स्वप्न को जब भी देखता हूँ तब प्रतिकूल परिस्थितियों में गोपाल नारायण सिंह यूनिवर्सिटी की स्थापना और तत्पश्चात उसकी निरंतर अभिवृद्धि भी निश्चित ही मुझे प्रेरित करती है । जब नारायण मेडिकल कॉलेज एंड हास्पिटल के रूप में संस्थान की स्थापना हुई थी, तब मैं पुलिस अधीक्षक, रोहतास के रूप में पदस्थापित था और सभी गतिविधियों को निकटता से देख रहा था । 2010 में आयोजित प्रथम वार्षिकोत्सव में मुख्य अतिथि के रूप में भी उपस्थित रहा था और अन्यत्र पदस्थापित होने के पश्चात भी संस्थान से निरंतर जुड़ा रहा और नित्य हो रही प्रगति से अवगत होकर प्रसन्न होता रहा । मैंने सभी को बताया कि प्रतिकूल परिस्थितियों में ऐसे संस्थान की स्थापना का कार्य आसान नहीं था और महान *संस्थापक गोपाल नारायण सिंह जी* की दूरदर्शिता और उनके अथक प्रयासों के कारण ही आज हम दक्षिण बिहार में ऐसे विश्वविद्यालय को स्थापित देख पा रहे हैं जो बिहार के सभी जिलों के शिक्षाविदों, नेतृत्वकर्ताओं एवं समाजसेवियों के लिए प्रेरणा का एक स्रोत है । आज बिहार के हर प्रखंड में ऐसे उच्च स्तरीय संस्थानों की आवश्यकता है ताकि अपनी बड़ी जनसंख्या को हम शिक्षित एवं स्किल्ड कर सकें ।

आगे अभियान के संदेशों को समझाते हुए मैंने सभी को बताया कि प्राचीन काल में यदि हमारे पूर्वज अखंड भारत के साम्राज्य के साथ-साथ ऐसे विश्वविद्यालय स्थापित कर सके जहाँ पहुंचने के लिए विश्व भर के विद्वान लालायित रहते थे तो उसका कारण केवल और केवल उनकी बृहत दृष्टि ही थी जो वेदांत के प्रभाव के कारण हर भेदभाव से परे सोचती थी और नए अपवादों को प्रस्तुत करते हुए नव सर्जन हेतु सदैव तत्पर रहती थी । वंशज तो हम उन्हीं यशस्वी पूर्वजों के हैं परंतु जाति-संप्रदाय आदि लघुवादों से ग्रसित होने पर हमारी उर्जा परस्पर संघर्ष में व्यर्थ हो रही है और जिस क्षेत्र ने कभी पूरे राष्ट्र का नेतृत्व करते हुए संपूर्ण विश्व का मार्गदर्शन किया था, आज अत्यंत पिछड़ चुका है और अनेक चुनौतियों के चक्रों में उलझ सा गया है । आज आवश्यकता एक इमानदार प्रयास की है जो समाज की दृष्टि में व्यापक परिवर्तन लाकर उसे उद्यमिता की ओर बृहत स्तर पर अग्रसर कर सके । 

मैंने सभी को बताया कि हर ग्राम-नगर के जन-जन तक अभियान के संदेशों को पहुंचाने के उद्देश्य से ही नमस्ते बिहार बृहत जन संवाद की श्रृंखला का प्रारंभ बीते 10 दिसंबर, 2023 को बेगूसराय से किया गया था और 21 जनवरी, 2024 को आरा में आयोजन के पश्चात अब 1 दिसंबर, 2024 को सासाराम में भी कार्यक्रम निर्धारित है जिसमें सभी का सहयोग अपेक्षित है । मैंने सभी से अभियान से जुड़कर बिहार के उज्ज्वलतम भविष्य निर्माण में योगदान समर्पित करने का आह्वान किया । यात्रा गतिमान है !