पटना/ 14 मार्च 2024
महिला एवं बाल विकास निगम के द्वारा कार्यस्थल पर महिलाओं का यौन उत्पीड़न अधिनियम 2013 एवं बाल विवाह अधिनियम 2006 विषय पर 38 जिलों से 160 मास्टर प्रशिक्षक तैयार करने के उद्देश्य से सभी जिलों के जिला परियोजना प्रबंधक, वन स्टॉप सेंटर और जिला हब के कर्मियों, सभी जिलों से श्रम संसाधन कार्यालय से दो-दो प्रतिभागियों का तीन बैचों में प्रशिक्षण कार्यशाला का आयोजन UNFPA और यूनिसेफ के सहयोग से किया गया।
प्रशिक्षण के दौरान UNFPA की श्रीमती तनूजा गुलाटी ने यौन उत्पीड़न की प्रकृति, कार्यस्थल, पीड़ित महिला के अधिकार एवं नियोक्ता के कर्तव्य पर प्रकाश डाला । उन्होंने बताया कि पॉश अधिनियम महिलाओं को कार्यस्थल पर एक सुरक्षित कामकाजी माहौल प्रदान करने के प्राथमिक उद्देश्य के साथ अधिनियमित किया गया था, यह अधिनियम यौन उत्पीड़न से संबंधित शिकायतों को रोकने के लिए तंत्र स्थापित करता है। ताकि कार्यस्थल पर समानता की संस्कृति को बढ़ावा देकर महिलाओं को सशक्त बनाया जा सके। कार्यशाला में इंटरैक्टिव सत्र के माध्यम से कार्यस्थल पर यौन उत्पीड़न से जुड़े मामलों पर चर्चा की गयी।
कार्यशाला के दौरान प्रशिक्षक श्रीमती मीता मोहिनी ने कार्यस्थल पर महिलाओं का यौन उत्पीड़न अधिनियम के बारे में बताया कि एक संवेदनशील कार्यस्थल के निर्माण के लिए सभी कार्यालयों में आंतरिक समिति का गठन आवश्यक है। उन्होंने आंतरिक एवं स्थानीय समिति का कार्य एवं अधिनियम के तहत शिकायत पर चरणबद्ध तरीके से सुनवाई के प्रक्रिया पर विस्तारपूर्वक चर्चा किया। इस विषय पर प्रतिभागियों के समझ बढ़ाने के उद्देश्य से कार्यशाला के दौरान एक वीडियो दिखाया गया।
मुंबई उच्च न्यायालय की वकील श्रीमती उज्जवला काडरेकर ने पॉश अधिनियम के तहत यौन उत्पीड़न के मामलों की जांच के लिए मानक नियमों की रूपरेखा पर चर्चा किया और इसे समूह कार्य के माध्यम से प्रतिभागियों को समझाया ।
यूनिसेफ की श्रीमती ऋचा ने बाल विवाह प्रतिषेध अधिनियम 2006 पर चर्चा करते हुए बताया कि बाल विवाह बच्चों से उनका बचपन छीन लेता है और उनके जीवन को खतरे में डालता है। जो लड़कियां 18 वर्ष से पहले शादी करती हैं, उनके घरेलू हिंसा का अनुभव होने की संभावना अधिक होती है और उनके स्कूल में बने रहने की संभावना कम हो जाती है। बाल वधूएं अक्सर किशोरावस्था के दौरान गर्भवती हो जाती हैं जिससे गर्भावस्था और प्रसव के दौरान जटिलताओं का खतरा बढ़ जाता है।
यूनिसेफ की श्रीमती गार्गी ने बाल विवाह प्रतिषेध अधिनियम के मुख्य बिन्दुओं पर चर्चा करते हुए बताया कि बाल विवाह किसी बच्चे को अच्छे स्वास्थ्य, पोषण और शिक्षा के अधिकार से वंचित करता है। ऐसा माना जाता है कि कम उम्र में विवाह के कारण लड़कियों को हिंसा, दुर्व्यवहार और उत्पीड़न का अधिक सामना करना पड़ता है। कम उम्र में विवाह का लड़के और लड़कियों दोनों पर शारीरिक, बौद्धिक, मनोवैज्ञानिक और भावनात्मक प्रभाव पड़ता है, शिक्षा के अवसर कम हो जाते हैं और व्यक्तित्व का विकास सही ढंग से नही हो पाता है। उन्होंने बाल विवाह प्रतिषेध अधिनियम के उल्लंघन किये जाने पर दंडात्मक परिणामों के बारे में भी बताया ।
महिला एवं बाल विकास निगम के निदेशक श्री राजीव वर्मा के द्वारा सभी प्रतिभागियों एवं इस विषय के जानकारों का आभार व्यक्त करते हुए प्रशिक्षण कार्यशाला का समापन किया गया ।