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उगते सूर्य को अर्घ्य देने के साथ संपन्न हुई छठ पूजा




पालीगंज संवाददाता - नितीश कुमार

नहाय खाय से शुरू हुए आस्था के महापर्व छठ पूजा का आज चौथे दिन उगते हुए सूर्य देवता को अर्घ्य देने के साथ ही समापन हो गया. छठ व्रत के चौथे दिन उदीयमान सूर्य को अर्घ्य देने के बाद इस व्रत के पारण का विधान है, चार दिनों तक चलने वाले इस कठिन तप और व्रत के माध्यम से हर साधक अपने घर-परिवार और विशेष रूप से अपनी संतान की मंगलकामना करता है. बिहार, उत्तर प्रदेश, झारखंड समेत देश के तमाम हिस्सों में मनाया जाने वाला छठ पर्व छठी मैया और प्रत्यक्ष देवता भगवान भास्कर की विशेष पूजा के लिए किया जाता है. आइए इस कठिन व्रत के जप-तप से जुड़े नियम और उससे होने वाले लाभ के बारे मे विस्तार जानते है।




भगवान भास्कर की महिमा तमाम पुराणों में बताई गई है. भगवान सूर्य एक ऐसे देवता हैं, जिनकी साधना भगवान राम और श्रीकृष्ण के पुत्र सांब तक ने की थी. सनातन परंपरा से जुड़े धार्मिक ग्रंथों में उगते हुए सूर्य देव की पूजा को अत्यंत ही शुभ और शीघ्र ही फलदायी बताया गया है, लेकिन छठ महापर्व पर की जाने वाली सूर्यदेव की पूजा एवं अर्घ्य का विशेष महत्व बताया गया है. मान्यता है कि छठ व्रत की पूजा से साधक के जीवन से जुड़े सभी कष्ट पलक झपकते दूर हो जाते हैं और उसे मनचाहा वरदान प्राप्त होता है।

भले ही दुनिया कहती है कि जो उदय हुआ है, उसका डूबना तय है, लेकिन लोक आस्था के छठपर्व में पहले डूबते और बाद में दूसरे दिन उगते हुए सूर्य को अर्घ्य देने का यही संदेश है कि जो डूबा है, उसका उदय होना भी निश्चित है, इसलिए विपरीत परिस्थितियों से घबराने के बजाय धैर्यपूर्वक अपना कर्म करते हुए अपने अच्छे दिनों के आने का इंतजार करें, निश्चित ही भगवान भास्कर की कृपा से सुख-समृद्धि और सौभाग्य का वरदान मिलेगा।



हिंदू धर्म में छठ व्रत को तमाम देवी-देवताओं के लिए रखे जाने वाले कठिन व्रतों में से एक माना गया है. जिसमें महिलाएं अपने परिवार की सुख-समृद्धि की कामना के लिए 36 घंटों तक निर्जला व्रत रहती हैं. सर्दी के समय बगैर कुछ खाए पिए ठंडे पानी में खड़े होकर घंटोंं विधि-विधान से सूर्य साधना करना किसी तप से कम नहीं होता है.
छठ महापर्व पर पूजे जाने वाले भगवान सूर्य और छठी मैया का संबंध भाई-बहन का है. धार्मिक मान्यता के अनुसार प्रकृति के छठे अंश से प्रकट होने के कारण माता का छठी मैया के नाम से जाना जाता है. छठी मैया को देवताओं की देवसेना भी कहा जाता है.मान्यता है कि छठी मैया की पूजा से साधक को संतान का सुख प्राप्त होता है.