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मिथिलेश सिंह लिखित एवं निर्देशित आजादी के अमृत महोत्सव के अवसर पर की जोगांजलि की नाटक सात दीवाने




आजादी के अमृत महोत्सव के अवसर पर की जोगांजलि की नाटक प्रस्तुति प्रस्तुति 'सात दीवाने' संत जेवियर हाई स्कूल, गांधी मैदान पटना में सुबह 9:00 से किया गया। यह नाटक मिथिलेश सिंह लिखित एवं निर्देशित है। इसका कार्यक्रम निर्देशक एवं जोगांजलि संस्था की सचिव सुमंती बनर्जी थी।
नाटक पूर्व मुख्य अतिथि Father Daniel Raj (Principal) S.J. Rector Xvier's High School, Gandhi Maidan, Patna एवं Father K. P. Dominic (Principal) St. Xvier's High School, Gandhi Maidan, Patna, के साथ स्कूल की शिक्षक- शिक्षिका एवं स्कूल की छात्र- छात्राएं अतिरिक्त के अन्य गणमान्य लोगों ने संयुक्त रूप से दीप प्रज्वलित किया इसकी जानकारी कार्यक्रम निर्देशिका एवं जोगांजलि संस्था की सचिव सुवंती बनर्जी ने दी।

नाटक ' सात दीवाने' सारांश

इस नाटक की अजादी की दीवानगी ने अगस्त क्रांति को जन्म दिया था। इसी दिवानगी में 11 अगस्त 1942 को सात नौजवान पटना स्थित सचिवालय पर तिरंगा फहरान के प्रयास में शहीद हुए थे। उन्हों को स्मृति में आज कहाँ शहीद स्मारक है, जिस सतमूर्ति के नाम से भी जानते है। 11 अगस्त 1942 की सुबह से ही हज़ारो की संख्या में Further की ओर क्रांतिकारी बढ़ रहे थे। भारत की जय, ग्रे भारत छोड़ो नारों से असमान गूंज रहा था। भीड़ का एक ही लक्ष्य था सचिवालय पर हर हाल में तिरंगा झंडा फहराना है। 




गुस्साये तत्कालीन पटना जिलाधिकारी डब्लू की आर्चर ने गोली चल देने का का आदेश दिया था। सात छात्रों को गोली लगी थी । सैकड़ो घायल हुए थे । छात्र एक-एक कर गोली खाते गये, बंदे मातरम, भारत माता की जय बोलते गये। मगर अपने हाथों से तिरंगा को गिरने नहीं दिया। हालाकि एक नौजवान छात्र राम किशुनन सिंह तिरंगा झंडा फहराने में कामयाब हुए थे, जिन्हें बाद में गिरफ्तार कर लिया गया था।

इसी घटना को नाटक 'सात दीवाने में दिखाया गया है। काफी शोध करने के बाद इस आलेख का तैयार किया गया है। शोधकार्य में पत्रकार अरुण सिंह , वरिष्ठ शंकर में अशोक प्रियदर्शी का बड़ा योगदान है। 




उनके योगदान से संस्था उनका ऋणी है नाटक के कत्थ में सत्य के ऊपर कल्पनाओं का चादर ओढाई गई है, ताकि ऐतिहासिक के साथ-साथ नाटक में रोचकता भी हो पात्रो की उपस्थिति से स्थान का बोध होता है। गोपाल सिंह नेपाली बिस्मिलाह अजीमाबाद, बंकिमचंद्र चट्टोपाध्याय, जगदंबा प्रसाद मिश्र 'हितेशी', बृज बिहारी मिश्रा और पारंपरिक होली गीत को नाटक में पिरोया गया है नाटक के कथानक को शहीद राम गोविंद सिंह की विधवा आशा कुंवर अपनी स्मृतियों से बया करती हैं, जो अतीत और वर्तमान से गुजरती है शहीद स्मारक मूर्तिकार देव प्रसाद राय चौधरी की कल्पना है और नाटक साथ दीवाने नाटककार मिथिलेश सिंह की कल्पना है आप देश के नामचिन रंगकमी है

मंच पर

1. राम गोविन्द सिंह .:-दीपफ आनंद
2. उमाकांत प्रसाद :- गोविंद कुमार
3.सतीश प्रसाद सिंह :-सत्यम शिवन
4. जगपति कुमार :- प्रहलाद कुमार
5.. देविपद चौधरी :- सौरभ कुमार सिंह
6. राजेंद्र सिंह :- विनोद कुमार
7. रामानंद सिंह आशीष कुमार विद्यार्थी
8. रामकृष्ण सिंह :-कुमुद कुमार
9. आशा कुँवर (विधवा) :- रजनी सरन
10. आशा कुमार (युवा)/लड़की :- तन्नू शर्मा
11. डब्लू जी आर्चर :- विक्रांत कुमार
12. सिपाही एक :- रामेश्वर कुमार
13 सिपाही दो। :- विजय महतो
14. क्रांतिकारी :- अक्षय कुमार

मंच के परे

1. संगीत :- बृज बिहारी मिश्र
2. नात :- भोलानाथ शर्मा
3. इफेक्ट :- सतनारायण कुमार
4. प्रकाश संरचना :- राहुल रवि
5. सह निर्देशक/साउंड नियंत्रक :-रवि भूषण बबलू
6.रूप सज्ज़ा :- उदय कुमार शंकर 
7. प्रॉपर्टी इंचार्ज :-रामेश्वर कुमार
8.नित्य निदेशक :- जितेंद्र चौरसिया
9. वस्त्र विन्यास :-प्रदीप्तो मुखर्जी, नयना सिंह,
10. वेशभूषा :-रवि कुमार
11. तकनीकी सहायक :- अभिषेक शर्मा
12. मंच निर्माण :- जोगांजलि
13. मंच व्यवस्था :- पराची सिंह ,ममता सिंह
14. उदघोषिका :- तान्या बनर्जी
15. कार्यक्रम निर्देशिका :- सुबंर्ती बनर्जी
16. लेखक एवं निर्देशक :- मिथिलेश सिंह