न्यूज़ डेस्क। रामनवमी के अगले दिन बिहार शरीफ में हुए हिंसा मामले में अब बड़ा खुलासा किया गया है। जांच में यह सामने आया है कि यहां सोशल मीडिया पर ग्रुप बनाकर लोगों को उन्माद के लिए उकसाया गया है। लोगों को इकट्ठा कर जानबूझकर इस तरीके के उपद्रव को बिहारशरीफ में अंजाम दिया गया है।
रामनवमी के दौरान हुई हिंसा को लेकर सत्ता पक्ष का कहना था कि सरकार को बदनाम करने के लिए सुनियोजित तरीके से इस घटना को अंजाम दिया गया। अब बिहार पुलिस ने जो खुलासे किए हैं उससे तो यही लगता है कि उनके दावे सही थे।
जिलाधिकारी के साथ हुई एक बैठक में पूर्व वार्ड पार्षद सह पार्षद प्रतिनिधि जमील अख्तर ने बताया कि हिंसा से दो दिन पूर्व ही लहेरी थाना क्षेत्र के गगनदीवान मोहल्ले में लगे सीसीटीवी को उपद्रवियों ने गायब कर दिया था। इस खुलासे के बाद जिलाधिकारी ने सभी अधिकारियों को जगह-जगह लगे सीसीटीवी की हिफाजत एवं निगरानी के निर्देश दिए हैं।
दरअसल सोमवार को बिहार पुलिस ने नालंदा में हुए हिंसा मामले में बड़ा खुलासा किया है। पुलिस ने दावा किया है कि इलाके में दो समुदायों के बीच हिंसा भड़काने की पहले से ही प्लानिंग थी। इसके लिए बाकायदा व्हाट्सअप ग्रुप भी बनाया गया था। हिंसा से पहले 456 लोगों का एक व्हाट्सऐप ग्रुप सक्रिय था। जहां रामनवमी को लेकर संदेश के जरिए हिंसा की साज़िश रची जा रही थी। आर्थिक अपराध शाखा के मुताबिक साइबर स्पेस पर उन्माद की बातों ने शहर के सांप्रदायिक हालात को बिगाड़ने में अहम भूमिका अदा की।
एडीजी जितेंद्र सिंह गावर ने बताया है कि इस सोशल मीडिया के मास्टरमाइंड के तौर पर बजरंग दल के संयोजक कुंदन कुमार ने सरेंडर कर दिया है। जिसके बाद ग्रुप के दूसरे एडमिन किशन कुमार ने भी सरेंडर कर दिया है। इसके अलावा बिहारशरीफ में कुल 15 प्राथमिकी दर्ज की गई है, जिसमें कुल 140 गिरफ्तारियां की गई हैं।