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कम उम्र के बच्चों को टीबी संक्रमण का खतरा अधिक



  • कम उम्र के बच्चों को टीबी संक्रमण का खतरा अधिक
  • संक्रमण से बचाव के लिये बच्चों को अवश्य लगायें बीसीजी का टीका
  • दो सप्ताह से अधिक समय तक खांसी व बुखार रहे तो करायें जांच
अररिया, 19 जनवरी ।

SON OF SIMANCHAL GYAN MISHRA

टीबी एक गंभीर संक्रामक बीमारी है। यह किसी भी उम्र के लोगों को हो सकता है। इससे छोटे उम्र के बच्चे भी प्रभावित हो सकते हैं। बच्चों में होने वाला टीबी का संक्रमण वयस्कों की तुलना में अलग होता है। विशेषज्ञ चिकित्सकों की मानें तो सही समय पर संक्रमण की पहचान व समुचित इलाज से टीबी की बीमारी पूरी तरह से ठीक हो सकती है। बच्चों के मामले में ये और भी जरूरी होता है। छोटे उम्र के बच्चों को टीबी संक्रमण के खतरों से बचाने के लिये बीसीजी का टीका लगाया जाता है। जो सभी सरकारी अस्पतालों में नि:शुल्क है। टीकाकरण के बाद बच्चों के टीबी रोग से संक्रमित होने का खतरा काफी कम हो जाता है। इतना ही नहीं, टीबी संक्रमित बच्चे व वयस्कों की जांच से लेकर इलाज तक का सरकारी पर नि:शुल्क इंतजाम है। सरकार टीबी संक्रमित मरीजों को जहां जरूरी दवाएं नि:शुल्क उपलब्ध कराती है, वहीं मरीजों के बेहतर पोषण के लिये निक्षय पोषण योजना के तहत पांच सौ रुपये प्रति माह सरकारी सहायता भी उपलब्ध कराती है।

अधिक समय तक खांसी व बुखार रहने पर करायें जांच

डीआईओ मोईज बताते हैं कि कम उम्र के बच्चों की रोग प्रतिरोधात्मक क्षमता काफी कम होती है। इससे कोई भी रोग उन्हें आसानी से अपनी चपेट में ले सकता है। बच्चों में टीबी के लक्षण की पहचान व इलाज दोनों चुनौतीपूर्ण है। बड़ों की तुलना में बच्चों के लिये टीबी संक्रमण ज्यादा घातक साबित हो सकता है। बच्चों को ज्यादा दिनों तक खांसी व बुखार की शिकायत रहने पर टीबी की जांच करानी चाहिये। बच्चों में टीबी के 60 फीसदी मामले फेफड़ों से जुड़े होते हैं। इसके अलावा नाखून व बाल को छोड़ कर टीबी संक्रमण किसी भी अंग को प्रभावित कर सकता है।

कुपोषित बच्चे आसानी से हो सकते हैं टीबी के शिकार

जिला टीबी व एड्स समन्वयक दामोदर प्रसाद ने बताया कि कुपोषित बच्चों के टीबी संक्रमित होने का खतरा अधिक होता है। 



टीबी संक्रमित व्यक्ति के संपर्क में आने से बच्चा रोगग्रस्त हो सकता है। टीबी संक्रमित होने पर बच्चों में अन्य रोगों से लड़ने की क्षमता काफी कम हो जाती है। शारीरिक रूप से वे कमजोर होन लगते हैं। बच्चे का वजन तेजी से कम होने लगता है और वह सुस्त रहने लगता है। खाने-पीने को लेकर भी उसकी रूचि काफी कम हो जाती है। उन्होंने बताया कि टीबी का संक्रमण हवा के माध्यम से फैलता है। संक्रमित व्यक्ति के छींकने, खांसने से नजदीकी आदमी भी संक्रमण की चपेट में आ जाता है।

बच्चों में फेफड़ों से जुड़े होते हैं टीबी के अधिकांश मामले

जिला यक्ष्मा रोग नियंत्रण पदाधिकारी डॉ वाईपी सिंह ने बताया कि टीबी माइक्रोबैक्टेरियम ट्यूबरक्लोसिस नामक जीवाणु की वजह से होता है। बच्चों में टीबी के अधिकांश मामले फेफड़ों से जुड़े होते हैं। टीबी के संक्रमण से बच्चों के बचाव के लिये घर के आसपास लंबे समय से खांसी व बुखार से पीड़ित लोगों के संपर्क से उन्हें दूर रखें। ऐसे व्यक्ति को नजदीकी अस्पताल में जांच व इलाजकी सलाह जरूर दें। व्यक्तिगत स्वच्छता का ध्यान व संतुलित आहार के सेवनके साथ-साथ मास्क का उपयोग टीबी संक्रमण से बचाव का महत्वपूर्ण जरिया है।

ऐसे करें बच्चों का टीबी से बचाव

  • - अपने बच्चे को गंभीर खांसी से पीड़ित लोगों से दूर रखें
  • - टीबी से बचाव के लिये बीसीजी सहित अन्य जरूरी टीका जरूर लगवायें
  • - टीबी के लक्षण दिखने पर नजदीकी अस्पताल में बच्चे की जांच करायें
  • - टीबी संक्रमण से बचाव के लिये व्यक्तिगत स्वच्छता व पौष्टिक आहार लें