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JDU के पूर्व अध्यक्ष शरद यादव का निधन, 75 साल की उम्र में ली अंतिम सांस, पीएम मोदी ने जताया दुख




जदयू के पूर्व अध्यक्ष शरद यादव का निधन गुरुवार की रात गुरुग्राम के फोर्टिस अस्पताल में हो गया। उनकी बेटी ने इस खबर की पुष्टि कर दी है। बेटी शुभाषिनी यादव ने ट्वीट करते लिखा कि 'पापा नहीं रहे।' उनका निधन गुरुग्राम के फोर्टिस अस्पताल में हुआ है। राजनीति की पहली सीढ़ी कही जाने वाली छात्र राजनीति से लेकर राष्ट्रीय राजनीति में पहचान बनाने वाले शरद यादव कई दिनों से बीमार चल रहे थे।

पीएम मोदी ने जताया दुख :

पीएम मोदी ने उनके निधन पर दुख जताते हुए ट्वीट किया है कि, "श्री शरद यादव जी के निधन से बहुत दुख हुआ. अपने लंबे सार्वजनिक जीवन में उन्होंने खुद को सांसद और मंत्री के रूप में प्रतिष्ठित किया. वे डॉ. लोहिया के आदर्शों से काफी प्रभावित थे. मैं हमेशा हमारी बातचीत को संजो कर रखूंगा. उनके परिवार और प्रशंसकों के प्रति संवेदनाएं, शांति."

राजनीतिक सफ़र :

शरद यादव पहली बार 1974 में मध्य प्रदेश के जबलपुर से उपचुनाव में लोकसभा के लिए चुने गए थे । यह वह समय था जब जेपी आंदोलन अपने चरम पर था और वे श्री जय प्रकाश नारायण द्वारा हलदर किसान के चुनाव चिन्ह पर राजनीतिक क्षेत्र के लिए चुने गए पहले उम्मीदवार थे। फिर से, वह 1977 में उसी निर्वाचन क्षेत्र से चुने गए। 1979 में जब जनता पार्टी का विभाजन हुआ, तो उन्होंने चरण सिंह गुट का समर्थन किया। जब राजीव गांधी ने पहली बार 1981 में अमेठी से उपचुनाव जीतकर लोकसभा में प्रवेश किया, तो लोक दल के टिकट पर शरद यादव हारे हुए उम्मीदवार थे, वे चरण सिंह के नेतृत्व में लोक दल के टिकट पर 1984 में यूपी के बदायूं से हार गए। वह वर्ष 1989 में बदायूं (लोकसभा निर्वाचन क्षेत्र) से जनता दल के सदस्य के रूप में चुने गए थे।

कुल सात बार वह लोकसभा सांसद और तीन बार राज्यसभा सांसद रहे। बताते चलें शरद यादव ने लोकसभा चुनाव में मधेपुरा से लालू को मात भी दी थी पर नीतीश कुमार के साथ भी बहुत सालों तक साथ रहने के बाद मनमुटाव ऐसा हुआ कि शरद यादव ने 2018 में नीतीश कुमार से अलग होकर पार्टी बना ली। साल 2018 में शरद यादव के साथ अली अनवर और कई नेताओं ने जेडीयू से अलग होकर लोकतांत्रिक जनता दल नामक पार्टी बना ली।