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बिहार के शिक्षामंत्री के बयान पर बवाल, अयोध्या के महंत जगतगुरु परमहंस आचार्य ने मंत्री की जीभ काट कर लाने वाले को 10 करोड़ रुपए देने का किया ऐलान।



न्यूज़ डेस्क। रामचरित मानस पर बयान देकर बिहार के शिक्षामंत्री घिर गए हैं। उनके खिलाफ एफआईआर दर्ज कर कड़ी कार्रवाई करने की माँग की जा रही है। बिहार के शिक्षामंत्री चंद्रशेखर यादव द्वारा हिंदू धर्मग्रंथ रामचरितमानस को लेकर की गई घोर आपत्तिजनक टिप्पणी को लेकर बवाल हो गया है।

दिल्ली के एक वकील ने दिल्ली पुलिस कमिश्नर के पास शिकायत देकर मंत्री के खिलाफ एफआईआर करने की माँग की है। वहीं, चंद्रशेखर अपने बयान पर कायम हैं और जीभ काटने की धमकी देने वाले अयोध्या के महंत परमहंस को तर्क करने की चुनौतीदी है।

दिल्ली के वकील विनीत जिंदल ने शिक्षामंत्री चंद्रशेखर यादव की टिप्पणी को अपमानजनक और भड़काऊ बताते हुए दिल्ली के पुलिस कमिश्नर से कार्रवाई का अनुरोध किया। उन्होंने कहा कि चंद्रशेखर के खिलाफ एफआईआर दर्ज कर कड़ी कार्रवाई करने की माँग की है।

अपनी शिकायत में गोयल ने कहा कि चंद्रशेखर यादव ने लोगों को भड़काते हुए कहा कि मनुस्मृति पिछड़े लोगों के साथ गाली-गलौज करता है तो दूसरी तरफ रामचरितमानस उन्हें अशिक्षित रखने की बात कहता है। उन्हें आरएसएस के पहले सरसंघचालक गोलवरकर ने अपनी किताब ‘बंच ऑफ थॉट’ में भी यही बात कही है।

इधर गिरिराज सिंह ने गुरुवार को बयान जारी कर कहा कि बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की सरकार अपने मंत्रियों के द्वारा हिंदुओं को अपमानित करने का काम कर रही है। सनातन धर्म के ग्रंथ रामचरितमानस को अपमानित करने का काम किया है। वोट बैंक के लिए नीतीश कुमार कब तक हिंदुओं को गाली देते और दिलाते रहेंगे।

बता दें कि 'नालंदा ओपन यूनिवर्सिटी' के दीक्षांत समारोह में छात्रों को संबोधित करते हुए राजद नेता चंद्रशेखर यादव ने रामचरितमानस को समाज को बाँटने वाला ग्रंथ बताया। उन्होंने कहा कि रामचरितमानस दलितों-पिछड़ों को शिक्षा ग्रहण करने से रोकता है। संबोधन के बाद मीडिया के सामने भी बिहार के शिक्षा मंत्री अपने बयान पर कायम नजर आए।

अपने संबोधन के दौरान उन्होंने रामचरितमानस के एक दोहे "अधम जाति में विद्या पाए, भयहु यथा अहि दूध पिलाए" का जिक्र करते हुए कहा कि यह समाज में नफरत फैलाने वाला ग्रंथ है। उन्होंने कहा कि दोहे में अधम का अर्थ नीच होता है जिसे उन्होंने जाति से जोड़ते हुए कहा कि इस दोहे के अनुसार नीच जाति अर्थात दलितों-पिछड़ों और महिलाओं को शिक्षा ग्रहण करने का अधिकार नहीं था।

चंद्रशेखर यादव के बयान पर अयोध्या के महंत जगतगुरु परमहंस आचार्य ने उनकी जीभ काट कर लाने वाले को 10 करोड़ रुपए देने की बात कही है। उन्होंने इस बयान को सनातनियों का अपमान बताते हुए कहा, “मैं माँग करता हूँ कि शिक्षामंत्री को एक सप्ताह के अंदर उनके पद से हटाया जाए और उन्हें माफी माँगनी चाहिए। अगर ऐसा नहीं होता है तो मैं फिर बिहार के शिक्षा मंत्री का जीभ काट कर लाने वाले को 10 करोड़ रुपए का पुरस्कार दूँगा।”

इतना ही नहीं, चंद्रशेखर ने अपने संबोधन के दौरान कहा था कि वे जाति-पाँति को खत्म करने के उद्देश्य से अवे अपने नाम में सरनेम नहीं लगाते हैं। हालाँकि, उनका यह बयान गलत है। साल 2005 में जब वे निर्दलीय प्रत्याशी के तौर पर मैदान में उतरे थे, जब उन्होंने अपने सरनेम का पंपलेट छपवाकर खूब बाँटा था।

बिहार भाजपा के प्रवक्ता निखिल आनंद ने कहा, “बिहार के शिक्षामंत्री महाबोगस ही नहीं महाझूठा आदमी हैं। आत्ममुग्धता भरा प्रवचन सुनिए, ‘सिर्फ चंद्रशेखर लिखते हैं, नाम के आगे-पीछे कुछ नहीं लिखते’। यानी जाति से ऊपर उठ गए हैं। चुनावी पर्चा में ‘यादव’ लिखकर वोट माँगते हैं।”

चंद्रशेखर यादव ने कहा कि वे अपने बयान पर अभी भी कायम हैं। उन्होंने कहा, “जो मेरी जीभ काटना चाहते हैं, मुझे जेल भेजवाना चाहते हैं, वो हमसे तर्क करें। ये नागपुर से चलने वाला छद्म हिंदूवाद नहीं चलेगा।” उधर बवाल बढ़ने के बाद राष्ट्रीय जनता दल ने उनके बयान को निजी बयान बताकर पल्ला झाड़ लिया।