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संस्थागत प्रसव को बढ़ावा देने के लिये एएनसी जांच को दें प्रमुखता सिविल सर्जन



  • हेल्थ वेलनेस सेंटर के सफल क्रियान्वयन को लेकर हुई स्वास्थ्य अधिकारियों की बैठक         
  • फिलहाल 36 स्थानों पर प्रसव सेवा उपलब्ध, जल्द 14 अन्य स्थानों पर शुरू होगी प्रसव संबंधी सेवा


अररिया, 30 अप्रैल । 
सन आफ सीमांचल ज्ञान मिश्र :

जिले में हेल्थ वेलनेस सेंटर के सफल क्रियान्वयन व सेंटर पर उपलब्ध सेवाओं के गुणात्मक सुधार के उद्देश्य से स्वास्थ्य अधिकारियों की बैठक शनिवार को आयोजित की गयी। डीआरडीए सभागार में सिविल सर्जन डॉ विधानंचद्र सिंह की अध्यक्षता में आयोजित बैठक में संबंधित मामलों की गहन समीक्षा की गयी। वहीं जिले में संस्थागत प्रसव को बढ़ावा देने के लिये विस्तृत रणनीति पर विचार किया गया। इसके लिये निर्धारित कार्ययोजना के तहत शत प्रतिशत गर्भवती महिलाओं के प्रसव पूर्व जांच का लक्ष्य बैठक में निर्धारित किया गया है। 

संस्थागत प्रसव को बढ़ावा देने का करें प्रयास : 

बैठक की अध्यक्षता करते हुए सिविल सर्जन ने हेल्थ एंड वेलनेस सेंटर के सफल संचालन को लेकर अधिकारियों को कई जरूरी निर्देश दिये। उन्होंने कहा कि ग्रामीण इलाकों में स्वास्थ्य सुविधाओं की बेहतरी के लिये वेलनेस सेंटर का सफल संचालन जरूरी है। सिविल सर्जन ने कहा कि जिलाधिकारी के निर्देश पर जिले में संस्थागत प्रसव संबंधी मामलों में 20 फीसदी बढ़ोतरी का लक्ष्य निर्धारित है। इसके लिये शत प्रतिशत महिलाओं का प्रसव पूर्व जांच सुनिश्चित कराते हुए उन्हें संस्थागत प्रसव के प्रति जागरूक करने की पहल जरूरी है। 



संस्थागत प्रसव संबंधी मामलों में वृद्धि करते हुए जिले में मातृ-शिशु मृत्यु दर के मामलों पर प्रभावी नियंत्रण को लेकर उन्होंने अधिकारियों को कड़े निर्देश दिये। 

प्रति माह 10 हजार प्रसव पूर्व जांच का लक्ष्य निर्धारित : 

डीपीएम स्वास्थ्य रेहान अशरफ ने कहा बैठक में शत-प्रतिशत गर्भवती महिलाओं का प्रसव पूर्व चार जांच सुनिश्चित कराने का लक्ष्य रखा गया है। इसके लिये हर माह 10 हजार प्रसव पूर्व जांच का लक्ष्य है। इसी के अनुरूप क्रमश अन्य तीन प्रसव पूर्व जांच सुनिश्चित कराया जाना है। इसके लिये प्रत्येक आशा को चार एएनसी कुल 16 एएनसी का लक्ष्य दिया गया है। नियमित रूप से इसकी समीक्षा की जानी है। इस क्रम में कम से कम 10 प्रतिशत हाई रिस्क प्रेग्नेंसी के मामलों को चिह्नित किया जाना है। 



इसका नियमित फॉलोअप किया जाना है। सुरक्षित मातृत्व व सुरक्षित प्रसव को विभाग की प्राथमिकता बताते हुए उन्होंने कहा कि जिले में प्रति साल 1.20 लाख बच्चे होते हैं। इसमें समय पूर्व प्रसव व गर्भपात के मामले सामने आते हैं। इस तरह जिले में प्रति साल 01 लाख प्रसव होते हैं। इसमें फिलहाल महज 50 से 60 हजार प्रसव सरकारी चिकित्सा संस्थानों के माध्यम से निष्पादित किये जा रहे हैं। 

फिलहाल 36 स्थानों पर उपलब्ध हैं प्रसव संबंधी सेवाएं : 

जिलाधिकारी के आदेश पर जिले में संस्थागत प्रसव संबंधी मामलों में 20 प्रतिशत वृद्धि को लेकर विभागीय प्रयास तेज हो चुका है। इसके लिये प्रसव संबंधी सेवाओं को विस्तारित करते हुए सेवाओं की बेहतरी का प्रयास किया जा रहा है। गौरतलब है कि विभिन्न स्थानों पर फिलहाल 36 संस्थानों में प्रसव संबंधी सेवाओं का संचालन किया जा रहा है। जून माह के अंत तक अन्य 14 स्थानों पर सुविधाओं को विस्तारित किये जाने की योजना है। बैठक में मोबेलाइजेशन, एएनसी कीट के माध्यम से जांच सहित डाटा संग्रहण के लिये अनमोल एप व आरसीएच पोर्टल का प्रभावी क्रियान्व्यन की रणनीति तैयार की गयी। 



डीपीएम स्वास्थ्य ने कहा कि जिलाधिकारी के निर्देश पर प्रत्येक प्रखंड में दो आरआई साइट का आरसीएच पोर्टल से ड्यू लिस्ट निकाला जाना है। धीरे-धीरे इसे पंचायत व प्रखंड स्तर पर विस्तारित किये जाने की बातें उन्होंने कही। ताकि स्वास्थ्य सेवाओं को प्रभावी व सुविधाजनक बनाया जा सके। बैठक में डीएमएनई सभ्यसाची पंडित, डीसीक्यूए मधुबाला, पिरामल स्वास्थ्य के डीपीएल संजय झा, केयर इंडिया के एफपीसी अय्याज अशरफी सहित एचडब्ल्यूसी में कार्यरत सभी सीएचओ, स्टाफ, नर्स, सभी बीएचएम व बीसीएम ने भाग लिया।