- बेहतर खान-पान व व्ययाम बेहतर शारीरिक व मानसिक स्वास्थ्य के लिये जरूरी
- रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने वाले खाद्य पदार्थ को करें दैनिक आहार में शामिल
अररिया, 18 दिसंबर सन आफ सीमांचल ज्ञान मिश्रा।
ठंड का प्रकोप बढ़ते ही सेहत से जुड़ी लोगों की चिंताएं भी बढ़ने लगी हैं। ठंड के मौसम में खासकर छोटे उम्र के बच्चे व परिवार के बुजुर्ग सदस्यों की सेहत को लेकर ज्यादा सतर्क व सचेत रहने की जरूरत होती है। बच्चों में कोल्ड डायरिया, निमोनिया, सर्दी, खांसी की समस्या बढ़ जाती है। वहीं बुजुर्गों को सांस से जुड़ी परेशानी, दमा की शिकायत, लकवा का खतरा, बीपी बढ़ने व हृदयाघात का खतरा अधिक होता है। सावधानी व सतर्कता इन रोगों से बचाव का सबसे आसान जरिया माना जाता है। इसलिये इस मौसम में सभी को अपनी सेहत का विशेष ध्यान रखने की जरूरत होती है।
बच्चे व बुजुर्गों का ठंड से बचाव जरूरी :
सिविल सर्जन डॉ एमपी गुप्ता की मानें तो ठंड के मौसम में कोल्ड डायरिया की शिकायत का मामला बढ़ जाता है। बच्चों को निमोनिया होने का खतरा अधिक होता है। वहीं बुजुर्गों को लकवा मारने की संभावना काफी बढ़ जाती है।
दैनिक आहार पर विशेष ध्यान देने की जरूत :
सर्दी के मौसम में अधिक तेल मसाला युक्त भोजन से परहेज करना चाहिये। इसकी जगह हल्का व पौष्टिक भोजन को अपने दैनिक आहार में शामिल करना जरूरी है। हरी सब्जी, दाल, रोटी का इस्तेमाल अधिक किया जाना चाहिये। आहार में विटामीन सी युक्त आहार की प्रमुखता दिया जाना चाहिये। सिविल सर्जन ने बताया कि नींबू, संतरा, आंवला, अखरोट का सेवन इस मौसम में महत्वपूर्ण है। हरी सब्जियों में एंटी आक्सीडेंट तत्व प्रचुर मात्रा में होते हैं। जो रक्त परिसंचरण को बेहतर बनाये रखता है। जोड़ों के दर्द जैसी समस्या के लिये ग्रीन टी का इस्तेमाल अदरक वाली चाय का इस्तेमाल लाभकारी है। हमेशा गर्म व ढक कर रखा खाना का उबले हुए पानी का ही इस्तेमाल करें।
योग व व्यवयाम को करें दिनचर्या में शामिल :
शरीर को स्वस्थ व सेहतमंद बनाये रखने के लिये योग व व्ययाम को अपने दिनचर्या में शामिल करें। घर के अंदर व किसी काम से बाहर जाने पर गर्म कमड़ों का ही इस्तेमाल करें। मॉर्निंग वाक के लिये अधिक सबेरे घर से बाहर निकलने से परहेज करें। घर पर रहते हुए सामान्य शारीरिक गतिविधियों की मदद से भी ब्लड़ सर्कुलेशन को बेहतर बनाये रखने में मददगार होता है। जरूरी दवाएं घर पर स्टॉक रखें। बुजुर्गों को अपने पसंद के कार्यों के लिये प्रेरित किया जाना चाहिये। ताकि उनका मानसिक स्वास्थ्य बेहतर बना रहे।


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