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नवजात शिशुओं का समुचित देखभाल स्वस्थ जीवन का है आधार



  • मृत्यु दर के मामलों में कमी लाने के लिये जिले में नवजात शिशु देखभाल सप्ताह का हो रहा आयोजन
  • राज्यस्तरीय टीम ने एसएनसीयू व एनबीएसयू ईकाइयों का किया निरीक्षण, दिये जरूरी सुझाव 

अररिया, 19 नवंबर सन ऑफ सीमांचल ज्ञान मिश्रा । 

नवजात शिशु मृत्यु दर में कमी लाने के उद्देश्य से राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन के तहत जिले में राष्ट्रीय नवजात शिशु सप्ताह का संचालन किया जा रहा है। समुचित देखभाल के जरिये नवजात शिशु मृत्यु दर में कमी के साथ उन्हें स्वस्थ्य जीवन प्रदान किया जा सकता है। सुरक्षा, गुणवत्ता व बेहतर देखभाल हर शिशु का जन्मसिद्ध अधिकार की थीम पर 15 से 21 नवंबर के बीच इस विशेष सप्ताह का आयोजन किया जा रहा है। ताकि आम लोगों को नवजात के बेहतर देखभाल के प्रति जागरूक किया जा सके। नवजात शिशु की समुचित देखभाल के लिये संस्थागत प्रसव को जरूरी माना गया है तो प्रसव के 48 घंटों तक मां व शिशु का अस्पताल में विशेष निगरानी रखने की सलाह दी जाती है। बीमार बच्चों की देखभाल के लिये जिले में एसएनसीयू व एनबीएसयू का संचालन किया जा रहा है। शुक्रवार को नवजात शिशु की सुरक्षा को लेकर कार्य करने वाली सहयोगी संस्था निपी व जपाइगो के राज्य स्तरीय प्रतिनिधि डॉ भारतेंदू व डॉ बीके मिश्रा ने जिले में संचालित दोनों ईकाइयों का गहन निरीक्षण किया। इस क्रम में उन्होंने शिशुओं के बेहतर देखभाल से जुड़ी सेवाओं के बेहतरी के लिये कई जरूरी सुझाव दिये। 

जन्म के तुरंत बाद बच्चों का मां का गाढ़ा पीला दूध पिलाना जरूरी : 

निपी के राज्यस्तरीय प्रतिनिधि डॉ भारतेंदू ने कहा कि जन्म के बाद बच्चों के शरीर को अच्छे से पोछ कर नर्म कपड़े पहनाएं। जन्म के एक घंटे के अंदर मां का गाढ़ा पीला दूध नवजात को पिलाना जरूरी है। इसके छह माह तक बच्चों को सिर्फ स्तनपान करायें। जन्म तुरंत बाद बच्चों के वजन की माप जरूरी है। कम वजन व समय पूर्व जन्म लेने वाले बच्चों का विशेष ध्यान रखना जरूरी है। जपाइगो के डॉ बीके मिश्रा ने बताया कि बच्चों की नाभी को साफ व सूखा रखना, नियमित व संपूर्ण टीकाकरण के साथ मां व शिशु के व्यक्तिगत स्वच्छता का विशेष ख्याल रखा जाना चाहिये। 



शिशु के शरीर का तापमान कम होने पर कंगारू मदर केयर तकनीक का इस्तेमाल करने से नवजात मृत्यु दर के मामलों में अप्रत्याशित कमी लायी जा सकती है। अधिकारियों द्वारा एसएनसीयू के निरीक्षण के क्रम में अस्पताल प्रबंधक विकास आनंद व डीटीओएफ केयर डोली कुमारी सहित अन्य स्वास्थ्य कर्मी मौजूद थे। 

ठंड के मौसम में नवजात का विशेष ध्यान रखना जरूरी : 

निरीक्षण के उपरांत विशेष टीम ने विभागीय अधिकारियों के साथ महत्वपूर्ण बिंदुओं पर समीक्षा की। इस संबंध में जानकारी देते हुए डीपीएम रेहान अशरफ ने बताया कि विशेष टीम ने निरीक्षण के नतीजों पर संतोष जाहिर किया है। उन्होंने कहा कि टीम ने एसएनसीयू के डाक्यूमेंटेशन की प्रक्रिया को दुरुस्त करने का सुझाव दिया है। उन्होंने कहा कि ठंड के मौसम में बच्चों के बीमार होने का खतरा अधिक होता है। लिहाजा एसएनसीयू व एनबीएसयू के संचालन को बेहतर बनाने का प्रयास किया जा रहा है। साथ ही चिकित्सा अधिकारी, सहयोगी संस्था के प्रतिनिधियों को जागरूक किया जा रहा है। आशा कार्यकर्ता के माध्यम से गृह आधारित नवजात शिशु देखभाल की गतिविधियों के बेहतर संचालन का प्रयास सुनिश्चित कराने का प्रयास किया जायेगा। साथ ही जरूरी पड़ने पर चिकित्सकों की सलाह पर नियत समय तक एसएनसीयू में बच्चों का ठहराव सुनिश्चित करने के लिये आम लोगों को प्रेरित करने का काम किया जायेगा। ताकि नवजात शिशु मृत्यु दर के मामलों में कमी लायी जा सके।