मधुबनी - लदनियां से हरिश्चन्द्र यादव की रिपोर्ट
अंचल में हल्का कर्मचारी की कमी के कारण राजस्व वसूली की प्रक्रिया ऑनलाइन कर दी गई थी। ऑनलाइन प्रक्रिया से अनभिज्ञ आम जमींदार रसीद नहीं कटा पा रहे थे, जिसकारण राजस्व वसूली पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ रहा था। इस कठिनाई को देखते हुए रैयतों को ऑनलाइन व ऑफलाइन दोनों प्रकार की सुविधा दी है। जानकारी देते हुए सीओ निशीथ नंदन ने कहा कि लोग रसीद के अभाव में जमाबंदी अलग करने, आपसी बंटवारे की प्रक्रिया को आगे बढ़ाने, जमीन की खरीद - विक्री करने से वंचित हो रहे थे। किसानों से जुड़ी योजनाएं प्रभावित हो रही थी।
किसान पीएम किसान सम्मान, बीज लाभ, कृषि उपकरण से जुड़े लाभ समेत अन्य अनुदान लाभ पाने के लिए लोग जमाबंदी अलग कर रसीद अपने नाम करना चाहते हैं। ये सभी कार्य कर्मचारी के जिम्मे हैं। अंचल स्तर पर मात्र दो कर्मचारी हैं, ऐसी स्थिति में किसानों का काम बाधित होकर रह गया है। इन दोनों के जिम्मे 15 पंचायतों के 28 राजस्व गांव हैं। एक के जिम्मे नौ तो दूसरे के जिम्मे सात पंचायत हैं। कर्मचारी के लिहाज से अंचल को पूर्वांचल व पश्चिमांचल में बांंट कर किसी तरह काम निकाला जा रहा है। पुरानी रसीद को नहीं मानने से उत्पन्न कठिनाइयों के बीच सीओ नीशीथ नंदन से किसानों की समस्या की बावत रैयतों को रसीद कटाने के दोनों विकल्प दिये है। उन्होंने कहा कि दो कर्मचारी के कारण हो रही कठिनाई के मद्देनजर उसने सभी हल्के के कागजात अंचल मुख्यालय में मंगवा लिए गए हैं। अब यही बैठकर कर्मचारी लोगों के कार्यों का निष्पादन करते हैं। पूर्व में कटी ऐसी रसीद जो ऑनलाइन अपडेट नहीं है या फिर उसपर रैयत के नाम गलत हैं, तो इसके लिए एक काउंटर बनाया गया है।
मोटेशन के लिए ऑनलाइन हुए आवेदन के निष्पादन तथा रसीद काटने में शीघ्रता बरती जा रही है। उन्होंने कहा कि पुरानी जमाबंदी के आधार पर कटती आ रही रसीद पर खाता -खेसरा अंकित नहीं रहने से जमाबन्दी अलग करने में आ रही कठिनाई की शिकायत को देखते हुए कर्मचारियो के साथ पंचायतवार कैम्प भी लगाए गए। कैम्प लगाने की जरूरत रजिस्टर टू में पायी गई कतिपय त्रुटियों के कारण हुई है। उन्होंने कहा कि इन सब सवालों को देखते हुए वरीय पदाधिकारियों से भी सम्पर्क साधा जा रहा है। कर्मचारियों की कमी से संबंधित जानकारी डीएम को कईबार दी गई है।