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निवर्तमान होने के बाद भी पंचायत प्रतिनिधि की शक्ति वर्तमान सकल में दिखेगी



मधुबनी - लदनियां से हरिश्चन्द्र यादव की रिपोर्ट

    बिहार पंचायत राज संशोधन अध्यादेश 2021 पर राज्यपाल की मुहर लग चुकी है। इसके साथ ही यह तय हो गया है कि 15 जून को निर्वाचित पंचायती राज जनप्रतिनिधियों का कार्यकाल समाप्त हो जाएगा। 16 जून से पंचायत समिति, जिला परिषद व पंचायतों के विकास संबंधी कामकाज तृस्तरीय परामर्शी समिति देखेंगी।

अध्यादेश के स्वरूप को गौर से निहारने के बाद जो बात सामने आती है, इससे यह स्पष्ट होता है कि तृस्तरीय पंचायती व्यवस्था के तीनों अंगों का मात्र नाम बदला गया है, काम पूर्व की तरह इन्हें ही करना है। 

    पंचायतों में पंचायत परामर्शी समिति के प्रमुख निवर्तमान मुखिया ही होंगे। इसमें सभी वार्ड सदस्य, पंचायत सचिव, बीपीआरओ व बीडीओ द्वारा नामित पंचायत क्षेत्र के ऐसे लोग जो सरकार के सार्वजनिक उपक्रम से रिटायर्ड व्यक्ति शामिल होंगे। मुखिया को इस समिति का प्रधान कहा जाएगा। जो निर्वाचित मुखिया की तरह ही होगा।

        प्रखंड पंचायत समिति के लिए गठित परामर्शी समिति का प्रधान निवर्तमान प्रखंड प्रमुख ही होंगे। उन्हें प्रखंड परामर्शी समिति प्रधान के नाम से जाना जाएगा। उनका अधिकार पूर्व की तरह दिखेगा। सभी निवर्तमान पंसस इसके सदस्य होंगे। समिति में बीडीओ समेत अन्य पदाधिकारी शामिल होंगे। 

       अब जिला परिषद की जगह जिला परिषद परामर्शी समिति काम करेगी। निवर्तमान जिप अध्यक्ष उसके प्रधान होंगे। सभी अधिकार पूर्व की तरह दिखेगा। सभी जिप सदस्य, डीडीसी आदि इस समिति के सदस्य होंगे।

 लोगों ने इसे नामबदल अध्यादेश कहा है। इन प्रतिनिधियों के साथ चुनाव लड़ने की तैयारी में जुटे संभावित प्रत्याशियों को निराशा हाथ लगी है।