"मुश्किलें मुक्कदर बदल सकती है"
खुदा भी हमारा इम्तेहान लेता है,
जब वो मुश्किलों को हमारी झोली में देता है।
ये भी लम्हा गुजर जाएगी,
हौसलों से संभल जाएगी।
मुश्किलों से तुम लड़ना सीखो,
खुशियां फिर निखर कर आएगी।
मुश्किलें मुक्कदर बदल सकती है।
बढ़ना है आगे हमको,
इस जहां पर छा जाना है।
अपनी ही मेहनत से हमको,
अपना मुक्कदर बनाना है।
कहते है मुश्किलें मुक्कदर बदल सकती है,
तुम लड़ के तो देखो,खुदा भी तुम्हारे साथ है,
कुछ कर के तो देखो।।
यहां बिकता है सब कुछ,
जरा रहना संभल के।
लोग हवा भी बेच रहे है,
लोहे में भर के।
मुश्किलें मुक्कदर बदल सकती है।।
।। सोनम भारद्वाज ।।
मैनेजमेंट स्कॉलर
इंटरनेशनल स्कूल ऑफ मैनेजमेंट, पटना