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नवगछिया अनुमंडल में कोरोना जांच में गड़बड़ झाला की आशंका - पीएचसी प्रभारी का है कहना," आशा कार्यकर्ता कोरोना के समय मे कर रही थी लीड, इसलिये कई जांच कराने वाले लोगों का नंबर उपलब्ध नहीं होने पर आशा कार्यकर्ताओं का ही नंबर दे दिया गया


नवगछिया प्रतिनिधि - नवगछिया अनुमंडल के विभिन्न पीएचसी में हुए कोरोना जांच में गड़बड़ झाला होने का मामला सामने आया है. हालांकि विभिन्न जगहों के पीएचसी प्रबंधन स्तर से इस बाबत किसी भी तरह की गड़बड़ी से इनकार किया है. मालूम हो कि खरीक प्रखंड के पांच ऐसे मामले सामने आए हैं जिसमें करीब चार सौ लोगों के डाटा के महज पांच नंबरों का ही प्रयोग किया गया है. तो वहीं बिहपुर में 266 लोगों के नाम तो अलग अलग हैं और सबके मोबाइल नंबर की जगह 10 बार जीरो अंकित किया गया है. खरीक में पांच ऐसे मामले हैं जिसमें एक ही नंबर को अलग अलग जांच में प्रयोग किया गया है. मोबाइल नंबर 7488956251 खरीक पंचायत की आशा कार्यकर्ता रेखा देवी का नंबर है. इस नंबर को 141 बार कोरोना जांच में प्रयोग किया गया है. अकीदत्तपुर पंचायत की आशा कार्यकर्ता रूबी देवी के मोबाइल नंबर 8406064805 को 80 बार किये गए कोरोना जांच में प्रयोग किया गया है. रूबी देवी ने बताया कि उनके नंबर का किस तरह उपयोग किया गया है इसकी जानकारी उन्हें नहीं है. मोबाइल नंबर 9110198344 आशा कार्यकर्ता निभा देवी का नंबर है. निभा के नंबर 114 लोगों के कोरोना जांच में उपयोग किया गया है. विषपुरिया की आशा कार्यकर्ता सरिता देवी का नंबर भी 80 लोगों के कोरोना जांच में प्रयोग किया गया है. सरिता के पुत्र ने कहा कि दो बार कोरोना जांच किया गया है लेकिन बार बार उसके मोबाइल पर मैसेज आता था जिसे वह डिलीट कर देता था. कई स्थानीय लोगों ने बताया कि उन लोगों ने अक्सर ऐसा देखा है कि पीएचसी में दिन भर में 50 से अधिक लोग नहीं आये लेकिन सुबह समाचार पत्रों के माध्यम से उनलोगों को पता चला कि 250 लोगों का कोरोना जांच किया गया है. अनुमंडल के अन्य पीएचसी से भी इस तरह की बात सामने आयी है. खरीक निवासी युवा राजद के प्रवक्ता अरुण कुमार यादव ने कहा कि यह बहुत ही बड़ा घोटाला है. जिसका पर्दा फाश करने की मंशा में सरकार नहीं दिख रही है.

गहन जांच की जरूरत

राजद के मो आजाद ने कहा कि पूरे मामले को पारदर्शी बनाने के लिये पांच मोबाइल नंबर पर किये गए चार सौ से अधिक लोगों की जांच को डोर टू डोर विजिट कर मामले का खुलासा करना चाहिये. या फिर विभाग द्वारा मामले में संबंधित कर्मियों पर एफआइआर दर्ज करना चाहिये. पुलिस खुद मामले की जांच कर लेगी. यह मामला बड़े पैमाने पर गबन का मामला है. निजी अस्पतालों में करकारी किट बेचा जा रहा था. 

कहते हैं खरीक पीएचसी के प्रभारी

खरीक पीएचसी के प्रभारी चिकित्सा पदाधिकारी डॉ नीरज कुमार ने कहा कि किसी प्रकार की गड़बड़ी नहीं हुई है. जांच के बाद पूरा डेटा सरकार के पोर्टल पर अपलोड करना था. इसमें हर जांच की रोपर्ट मोबाइल नंबर के साथ ही स्वीकार्य थी. कई ऐसे भी रोगी थे जो अपना मोबाइल नंबर अंकित नहीं करवाते थे ऐसी स्थिति में संबंधित पंचायत के आशा कार्यकर्ताओं का ही मोबाइल नंबर अंकित कर दिया जाता था.