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ईद की खुशियों में ग्रहण लगा रहा है कोरोना

    Subzibagh
मुसलमानों का पवित्र महीना रमजान चल रहा है इस माहे रमजान के साथ कोरोना का भी खतरा जारी है, इस समय इस महीने में पूरा पटना शहर गुजार रहा करता था मगर कोरोना कीइस मार ने यह साल रमजान के साथ-साथ ईद पर भी ग्रहण लगा रखा है। मुस्लिम भाई सारी इबादतें अपने अपने घरों पर करने को मजबूर हैं ,इसी का दुख भरा नजारा आज पटना के मशहूर सब्जी बाग में दिख रहा है, जहां इस समय तीसरा शुरू होने वाला है, आशरा यानी बीस रमजान के बाद वाला आशरा, ईद के करीब आने पर पूरे पटना के साथ-साथ खास कर सब्जीबाग को देखने लायक बना दिया करता था ,तथा यहां दुकानें रात के 2:00 बजे तक खुली रहा करती थी और पूरे रमजान के महीने यहां मेला जैसा माहौल रहा करता था, क्या मर्द, बच्चे और क्या औरतें सभी इस माह में दिल खोलकर खरीदारी किया करते थे सारा  इलाका रोशनी और सजावट से गुलजार हुआ करता था।

 पटना की मशहूर शीर चाय जो कि सिर्फ रमज़ान के दौरान ही यहां मिला करती थीं और इस शीर चाय के दीवाने ख़ास इसे पीने दूर दूर से आया करते थे, वो टी स्टॉल भी आज वीराना बंद पड़ा है। इस साल इस महामारी के कारण यह त्योहार पुरी तरह कोरोना की भेंट चढ़ चुका है।

 अमूमन यही हालात भारत के अन्य शहरों की भी है जंहा लोग ईद की खुशियां मनाने सवाईयां, कपड़े, मिठाइयां ,जूते चप्पल इत्यादि खरीदते थे। दुकानदार भाई भी साल भर से इस माह का इंतजार किया करते थे। हर मुस्लिम ईद के दिन नए कपड़े जरूर खरीदता है ख़ास कर कुर्ता पजामा पहन कर सभी मुसलमान भाई ईद की नमाज अदा करते हैं इस साल तो ना ही कपड़े की दुकान खुली है और ना ही अन्य सामानों की, एक तरफ जहां ईद आने की खुशी है तो एक तरफ कोरोना जैसी बीमारी का डर। खौफ के साए में बनने वाला ईद शायद जीवन में मैं पहली बार देखने वाला हूं। जँहा लोग इस साल अपनों से गले भी नहीं मिल सकेंगे।

एक सेवेई बेचने वाले दुकानदार ने हमें बताया जहां पूरे रमजान में लाखों की बिक्री हो जाया करती थी,वहां आज हजार रुपए पर भी आफत बनी हुई है ऐसी ही हालत  रेस्टोरेंट ,कपड़े, सिंगार, जूते चप्पल एवं अन्य दुकानदारों की भी है।

 दरअसल विभिन्न इस्लामी विद्वानों एंव संगठनों के द्वारा यह अपील की जा रही है कि कोरोना महामारी की रोकथाम के पेश-ए-नज़र लॉक-डाउन और सोशल- डिस्टेंसिंग का पालन करने के लिए इस वर्ष ईद निहायत सादगी से मनाई जाये और अगर ईद की ख़रीदारी के लिए लॉक-डॉन में कुछ ढील भी दी जाती है तो हरगिज़-हरगिज़ ईद की ख़रीदारी के नाम पर बाज़ार में निकलने की कोशिश न की जाये। हर समझदार मुसलमान इस अपील का स्वागत करेगा।

 तमाम मुसलमानों का भी यही कहना है कि इस महामारी को फैलने से रोकने के लिए हम अपनी सारी इबादत अपने घरों में ही अदा कर रहे हैं मस्जिद में नमाज़-बा-जमाअत/तरावीह, जुमे की नमाज़ और ईद की नमाज़ भी हम पर साक़ित हो चुकी है तो फिर ईद भी हम निहायत सादगी के साथ क्यूँ न मनायें ? कोरोना वायरस के ख़ातमे और इसके बीमारों की शफ़ायाबी की दुआ मांगें! ज़्यादा से ज़्यादा बेकस, लाचार, ग़रीब और ज़रूरतमंद लोगों तक अपनी मदद पहुँचाने की कोशिश करें ! इसी से ईद की सच्ची ख़ुशी हासिल होगी !

फ़िलहाल अगर इस साल यह बीमारी खत्म हो जाती है तो हम अगले साल दुगनी खुशी के साथ इस त्योहार को हमलोग जरूर मनाएंगे।