बिहार की राजधानी पटना..स्थान प्रेमचन्द रंगशाला ….प्रेमचन्द की प्रतिमा और कूड़े का अम्बार …बदबू से गमक रहे इस मुहल्ले के लोगों की जिन्दगी दिनों दिन नारकीय ….कलाकारों ने धरना दिया ….लोग भी जुड़े ……….आम जन बीमार ….सब परेशान .. कलाकारों का पूर्वाभ्यास स्थल ….कलाकारों ने गाने गाये नाटक किए …नगर निगम और पुलिस वालों ने धमकाया… केस कर फंसाने की धमकी दी गई .. नगर निगम और ठेकेदार ने पावर दिखाए …
नौ दिनों के बाद पटना के कमिश्नर स्थानीय विधायक की पहल पर बात सुनते हैं …
एक महिना का समय मांगते है …वादा करते है …और नाटक ख़त्म हो जाता है ….एक महीने तक उसी दुर्गन्ध को झेलने की मज़बूरी के साथ इस बात की खुशी भी चलो एक महीने में क्या रखा है …. पर सिस्टम तो सिस्टम होता है, इसी तरह लंबे आंदोलन के बाद आज यह स्थान जो नरक का पर्याय बना हुआ था आज एक सुंदर और प्यारा सा धरोहर बनकर हाजिर है 'डॉ. ए.पी.जे. अब्दुल कलाम साइंस सिटी'।
इसके लिए हम सरकार का आभार व्यक्त करते हैं।
मनीष महिवाल
सचिव
कलाकार साझा संघ
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