पटना, 4 अगस्त 2025 — विश्व स्तनपान सप्ताह 2025 के अवसर पर समाज कल्याण विभाग, बिहार सरकार के अंतर्गत समेकित बाल विकास सेवाएं (ICDS) और यूनिसेफ के सहयोग से पटना में एक राज्य स्तरीय कार्यशाला आयोजित की गई।
इस कार्यशाला का उद्देश्य था – स्तनपान को बढ़ावा देना, माँ और बच्चे के स्वास्थ्य को प्राथमिकता देना, और इस दिशा में बेहतर योजनाएँ बनाना।
इस साल की थीम थी: “स्तनपान में निवेश, भविष्य में निवेश”। इसके ज़रिए यह संदेश दिया गया कि स्तनपान केवल बच्चे के अच्छे स्वास्थ्य के लिए ही नहीं, बल्कि माँ और पूरे समाज के लिए भी ज़रूरी है।
राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण (NFHS-5) के अनुसार बिहार में केवल 31.1% बच्चों को जन्म के पहले घंटे में स्तनपान मिलता है, और सिर्फ 59% बच्चों को छह महीने तक सिर्फ माँ का दूध दिया जाता है। इस स्थिति को सुधारने के लिए बेहतर सहयोग, जागरूकता और माताओं के लिए अनुकूल माहौल जरूरी है।
मुख्य अतिथि समाज कल्याण विभाग की सचिव श्रीमती बंदना प्रेयषी, भा.प्र.से. ने कहा कि स्तनपान एक प्राकृतिक प्रक्रिया है, लेकिन इसे सही तरीके से अपनाना भी उतना ही जरूरी है। उन्होंने ज़ोर दिया कि माताओं को सिर्फ छह महीने नहीं, बल्कि दो साल तक परिवार और समाज का सहयोग मिलना चाहिए।
उन्होंने कहा, “माँ के बलिदान को समझना और उनका सम्मान करना हमारी जिम्मेदारी है।”
साथ ही उन्होंने यह भी कहा कि असंगठित क्षेत्र में काम करने वाली महिलाओं को भी मातृत्व लाभ मिलना चाहिए और इसके लिए ठोस प्रयास किए जाने चाहिए। उन्होंने सभी CDPOs को निर्देश दिया कि वे स्तनपान संबंधी सही जानकारी लें और इसे ज़मीनी स्तर तक पहुँचाएँ।
ICDS के निदेशक श्री अमित पांडे, आईएएस ने कहा कि बच्चों के पोषण को सुधारने के लिए सभी विभागों को मिलकर काम करना होगा। उन्होंने जिला कार्यक्रम अधिकारियों से अपील की कि वे इस कार्यशाला में मिली जानकारी आंगनवाड़ी कार्यकर्ताओं तक पहुँचाएँ।
यूनिसेफ बिहार की प्रमुख श्रीमती मार्गरेट ग्वाडा ने बताया कि IYCF केंद्रों की संख्या 2020-21 में जहाँ 44 थी, वह 2024-25 में बढ़कर 423 हो गई है। इसके साथ ही 305 सरकारी अस्पतालों में स्तनपान के लिए विशेष कोने बनाए गए हैं। उन्होंने कहा कि कामकाजी महिलाओं को सहयोग देना और स्तनपान को सामाजिक मान्यता देना बहुत ज़रूरी है।
कार्यशाला में मेंटीमीटर क्विज़, फील्ड अनुभवों के वीडियो, और पैनल चर्चाएं आयोजित की गईं। इनमें डॉक्टरों, विशेषज्ञों और विभिन्न संगठनों ने हिस्सा लिया। चर्चा में स्तनपान से जुड़े मिथक, व्यवहारिक और सामाजिक चुनौतियाँ, और नए समाधान प्रस्तुत किए गए।
दूसरे सत्र में SGPA (Sustainable Growth and Performance Accountability) फ्रेमवर्क के तहत योजनाओं की निगरानी और बेहतर क्रियान्वयन पर ध्यान दिया गया।
कार्यशाला के अंत में सभी प्रतिभागियों ने यह संकल्प लिया कि:
• राज्य के हर बच्चे को जीवन की अच्छी शुरुआत मिले।
• स्तनपान को बढ़ावा देने के लिए सभी विभाग और संस्थाएं मिलकर लगातार काम करें।