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पर्यावरण को बचाने का कलाकारों ने दिया संदेश। नहीं तो सब ठीक है का हुआ मंचन,विश्व पर्यावरण दिवस पर मंचित हुआ पर्यावरण जागरूकता पर आधारित नाटक




पटना। विश्व पर्यावरण दिवस के अवसर पर प्रेमचंद रंगशाला, पटना में नाटक ‘नहीं तो सब ठीक है’ का मंचन किया गया। यह नाटक न केवल दर्शकों को गुदगुदाने में सफल रहा, बल्कि गहराई से सोचने पर भी विवश कर गया।




अभिषेक राज द्वारा लिखित और वरिष्ठ रंग निर्देशक बिजेन्द्र कुमार टांक द्वारा निर्देशित इस नाटक ने पर्यावरण से जुड़ी ज्वलंत समस्याओं को बेहद रचनात्मक, स्थानीय और भावनात्मक अंदाज में प्रस्तुत किया। प्रस्तुति की रोचकता पत्रों के बेहतरीन अभिनय से साफ झलक रहा था। पात्रों ने अपने अभिनय से स्थानीय कहानियाँ, वैश्विक संदेश, मोहल्ले की रोजमर्रा की घटनाओं के माध्यम से वायु, जल, ध्वनि, भूमि और पारिस्थितिकीय प्रदूषण जैसे मुद्दों को नाटक में उठाया। चाय की दुकान का धुआँ, नाले में डूबी ‘गंगा’, पेड़ों की कटाई, शादी में बजते तेज संगीत और मोहल्ले में बिखरा कचरा — ये सभी दृश्य हास्य और व्यंग्य के जरिए गहरी सामाजिक चिंता पैदा करते हैं। 




प्रस्तुती का सबसे सशक्त पक्ष रहा पात्रों की संवाद शैली। जिसने सीधे तौर पर दर्शकों के मनोभाव में पर्यावरण की सुरक्षा को लेकर अलख जगा दिया। संगीत की तान के साथ संवाद और पर्यावरण की सुरक्षा का संदेश रोचकता बढ़ा रहा था। सभी पात्रों ने  अपने किरदार के साथ न्याय किया और नाटक का संदेश पहुंचाने में कामयाब रहे। कई मौकों पर नाटक के संदेश ने दर्शकों की तालियां बटोरी। 




नाटक के पात्र हरिया और हरि बाबा ने दर्शकों को लोटपोट किया और पर्यावरण के प्रति अपनी निष्ठा कायम की अपील की।





पिंकी मौसी और सरस्वती देवी के अभिनय को भी दर्शकों की खूब सराहना मिली और इन किरदारों ने खूब तालियां बटोरी। नाटक का समापन एक बच्चे के संवाद से होता है, जो दर्शकों से सीधा सवाल करता है।

“क्या हम सच में आगे बढ़ रहे हैं?”कार्यक्रम में बड़ी संख्या में दर्शक उपस्थित रहे। दर्शकों से खड़े होकर तालियों की गूंज और सराहना मिली। कई दर्शकों ने इसे “आज के दौर की जरूरत” और “शिक्षा के साथ मनोरंजन का उत्कृष्ट उदाहरण” बताया। इस नाटक के निर्देशक वरिष्ठ रंगकर्मी विजेंद्र टॉक ने अपने निर्देशकीय क्षमता का भरपूर परिचय दिया और पर्यावरण बचाने का अद्भुत संदेश दिया।

      नाटक के कलाकार 

राज कपूर- हरिया / हरिहर बाबा
अपराजिता कुमारी- पिंकी मौसी /सरस्वती देवी
राहुल कुमार रवि- रघुनाथ
मृत्युंजय प्रसाद-रघुनन्दन झा / पप्पू मामा
अभिषेक आनंद- मास्टर / गोलू / बच्चा
कुणाल कुमार- पंडित जी / डीजे वाला
जीतू कुमार- राहुल / बबलू
श्रीपर्णा चक्रवर्ती- ललिता / मोहल्ले की महिला पात्र
धीरज दास- दूल्हा / ढोलक