पटना। 28 मार्च 2025 तक होने वाले "चैत रंग उत्सव 2025 " प्रयास रंग अड्डा, होटल लेमन ट्री के सामने, एग्जिबिशन रोड, पटना में हो रही हैं। "चैत रंग उत्सव 2025" द्वितीय संध्या के अवसर पर वरिष्ठ रंगकर्मी सुमन कुमार, "संगीत नाटक अकादमी, नई दिल्ली से सम्मानित ", गुड़िया कुमारी, "अध्यक्ष, मागधी बज्जिका फाउंडेशन, फंदा, मुज़फ़्फ़रपुर " प्रसिद्ध रंगकर्मी मिथिलेश सिंह, वरिष्ठ रंगकर्मी रवि भूषण 'बबलु' आदि ने दीप प्रज्वलित कर किया। रंगकमी दीपक आनंद ने मंच का संचालन किया।
"चैत रंग उत्सव 2025" के द्वितीय संध्या के अवसर पर लोग बाग, पटना (बिहार) द्वारा मार्कण्डेय की कहानी, नाटयानतरण - एकल अभिनय विवेक कुमार एवं राजेश कुमार द्वारा निर्देशित नाटक "हंस जाई अकेला" का मंचन किया गया। इसकी जानकारी मीडिया प्रभारी अभिषेक कुमार मल्लिक ने दी।
लोग-बाग, पटना (बिहार) की नवीनतम प्रस्तुति
कथासार- 'हंसा जाई अकेला'
प्रसिद्ध कहानीकार मार्कण्डेय की सर्वाधिक चर्चित कहानियां में से एक है 'हंसा जाई अकेला '' हंसा कहानी का मुख्य चरित्र है जो एक अबोध व्यस्क है। मोह-माया और छल-प्रपंच से कोसों दूर। पूरे गांव में वह उपहास का पात्र है। उसका पूरा समय गीत-गवनई में बीतता है। हंसा गांधी जी से अत्यंत प्रभावित है।
हंसा के जीवन में सुशीला नामक गांधीवादी महिला का आगमन होता है और हंसा मन ही मन सुशीला से प्रेम करने लगता है। सुशीला से मिलने के पहले वह पूरा समय व्यर्थ में बीताता था लेकिन सुशीला के आगमन के बाद वह समर्पित कार्यकर्ता बन जाता है। हंसा और सुशीला के संबंधों को लेकर अफवाहें फैलने लगती है। पूरी कहानी की पृष्ठभूमि में गांधीवादी विचारधारा और स्वतंत्रता-प्राप्ति के बाद का पहला आम चुनाव है। सुशीला की असामयिक मृत्यु होती है और हंसा मानसिक रूप से विक्षिप्त हो जाता है। नाटक में स्वतंत्रेतर भारत में व्याप्त जातिवाद की समस्या पर भी कटाक्ष किया गया है।
पात्र परिचय (मंच पर)
विवेक कुमार
-----मंच के परे-------
प्रकाश - रवि भूषण 'बबलु'
रूप सज्जा - नूतन कुमारी
वस्त्र विन्यास - मंजू शर्मा
ध्वनि संचालन - अनिष कुमार
कहानी - मार्कण्डेय
निर्देशन - राजेश कुमार
नाटयानतरण - एकल अभिनय - विवेक कुमार