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प्रगत संगणन विकास केंद्र (सी-डैक/C -DAC ) ,पटना के द्वारा राष्ट्रीय स्तर की इंटेलेक्चुअल प्रॉपर्टी राईट (बौद्धिक सम्पदा अधिकार ) संगोष्ठी का आयोजन किया गया।




पटना। प्रगत संगणन विकास केंद्र (सी-डैक/C -DAC ) ,पटना के द्वारा तारामंडल ऑडिटोरियम में 8 मार्च 2025 को राष्ट्रीय स्तर की इंटेलेक्चुअल प्रॉपर्टी राईट (बौद्धिक सम्पदा अधिकार ) संगोष्ठी का आयोजन किया गया। इसमें प्रतिभागियों को बौद्धिक सम्पदा अधिकार एवं इसके महत्त्व के विषय में जानकारी दी गई। इस अवसर पर बिहार सरकार के माननीय उद्योग मंत्री "श्री नीतीश मिश्रा जी " विशेष अतिथि के रूप में मौजूद रहे। माननीय मंत्री जी की उपस्तिथि में समझौता ज्ञापन (एमओयू) पर हस्ताक्षर किए गए । 





संगोष्ठी का उद्घाटन माननीय मंत्री श्री नीतीश मिश्रा , उद्योग विभाग, बिहार सरकार, श्री राजेश सिंह , संयुक्त सचिव एवं वित्तीय सलाहकार, इलेक्ट्रॉनिकी एवं सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय, भारत सरकार, श्री विजय प्रकाश (आईएएस सेवानिवृत्त) अध्यक्ष एवं सीईओ एआईसी-बिहार विद्यापीठ, श्री आदित्य कुमार सिन्हा निदेशक, सी-डैक पटना, प्रोफेसर (डॉ.) राणा सिंह, निदेशक चंद्रगुप्त प्रबंधन संस्थान पटना, प्रो. (डॉ.) नितिन कुमार पुरी, कार्यकारी निदेशक, नाइलिट पटना एवं एडवोकेट वेदांत पुजारी निदेशक और मैनेजिंग पार्टनर, एक्यूर्स आईपी केयर के द्वारा किया गया। 




इस कार्यक्रम में उद्योग जगत की विशिष्ट हस्तियां, शिक्षाविद एवं सरकारी अधिकारियों को एक मंच पर एकत्रित किया गया , जहां उनके द्वारा राष्ट्रीय नवाचार, इन्क्यूबेशन एवं आईपीआर इकोसिस्टम विकास जैसे महत्वपूर्ण विषयों पर चर्चा हुई एवं आगे बढ़ने की दिशा में एक रणनीति तैयार की गयी । कार्यक्रम की अध्य्क्षता करते हुए श्री आदित्य कुमार सिन्हा निदेशक, सी-डैक पटना ने कहा की हमारे यहाँ पारम्परिक ज्ञान का भंडार है परन्तु आम जन को पेटेंट सम्बन्धी जानकारी नहीं है। उन्होंने बौद्धिक संपत्ति के अंतर्गत पेटेंट , कॉपीराइट , ट्रेडमार्क के बारे में कहा की वैश्विक अस्तर पर हो रहे बदलावों को देखते हुए इन अधिकारों के बारे में सजग रहने की जरुरत है। 




मुख्य वक्क्ता श्री विजय प्रकाश (आईएएस सेवानिवृत्त) ने कहा की बौद्धिक सम्पदा अस्पृश्य है एवं इसका उपयोग आविष्कारक ही कर सकता है। इसके अंतर्गत व्यक्ति अथवा संस्था द्वारा सृजित कोई रचना, संगीत, साहित्य कीर्ति, कला, खोज अथवा रचना होती है जो उस व्यक्ति अथवा संस्था की बौद्धिक सम्पदा कहलाती है और इन कृतियों पर व्यक्ति अथवा संस्था को प्राप्त अधिकार बौद्धिक सम्पदा अधिकार कहलाता है। 




श्री प्रकाश ने कहा की हम आईपीआर के क्षेत्र में उभरते हुए प्रतिभा की हर संभव सहयोग का प्रयास करेंगे। इस अवसर पर प्रो. (डॉ.) राणा सिंह द्वारा नवाचार इकोसिस्टम और बौद्धिक संपदा अधिकार (IPR) के विकास के लिए प्रमुख विषयों पर चर्चा की, जो इस इकोसिस्टम को बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। उनके द्वारा शिक्षा और शोध ,सरकारी नीतियाँ, उद्योग-शिक्षा संबंध, वित्तीय संसाधन, आईपीआर संरक्षण (IPR Protection), तकनीकी बुनियादी ढाँचा, उद्यमिता और स्टार्टअप संस्कृति , ग्लोबल नेटवर्क और सहयोग , जन जागरूकता और क्षमता निर्माण पर जोर दिया। उन्होंने ने यह भी बताया की सी-डैक पटना इस क्षेत्र में एक बहुआयामी भूमिका निभा रहा है। 




डॉ. चित्रा अरविंद संस्थापक निदेशक और मैनेजिंग पार्टनर एक्यूर्स आईपी केयर, ने अपने सम्बोधन में कहा कि वैश्विक स्तर पर बौद्धिक संपदा अधिकार (आईपीआर) नवाचार और रचनात्मकता को संरक्षण प्रदान करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते है। आईपीआर के माध्यम से व्यवसायों और नवाचारकर्ताओं को उनके आविष्कार, ट्रेडमार्क और कॉपीराइट का वैश्विक स्तर पर संरक्षण मिलता है, जिससे वे अंतरराष्ट्रीय बाजारों में प्रतिस्पर्धा कर सकते हैं। अंतरराष्ट्रीय समझौते, जैसे TRIPS (Trade-Related Aspects of Intellectual Property Rights), देशों के बीच आईपीआर मानकों को स्थापित करते हैं एवं सहयोग को बढ़ावा देते हैं। हालांकि, वैश्विक आईपीआर परिदृश्य में नकली उत्पादन, पेटेंट उल्लंघन और कानूनी चुनौतियाँ भी शामिल हैं, लेकिन यह नवाचारकर्ताओं को वैश्विक बाजारों में विस्तार करने और नए अवसरों का लाभ उठाने का मौका भी प्रदान करता है। एडवोकेट वेदांत पुजारी, द्वारा बौद्धिक संपदा अधिकार (आईपीआर) प्रक्रिया द्वारा रचनाकारों, उनके आविष्कारों, डिज़ाइनों, और कलात्मक कार्यों के कानूनी संरक्षण करने के विषय पर चर्चा की गयी। आईपीआर प्रक्रिया में पेटेंट, ट्रेडमार्क, कॉपीराइट, और डिज़ाइन पंजीकरण जैसे चरण शामिल होते हैं, जिनके माध्यम से व्यक्ति या संस्था अपनी बौद्धिक संपदा को कानूनी रूप से सुरक्षित कर सकते हैं। 





भारत में आईपीआर से संबंधित कानूनों में पेटेंट अधिनियम, 1970; ट्रेडमार्क अधिनियम, 1999; कॉपीराइट अधिनियम, 1957; और डिज़ाइन अधिनियम, 2000 शामिल हैं। ये नवाचारकर्ताओं को उनके अधिकारों की सुरक्षा प्रदान करते हैं और उन्हें उनके आविष्कारों से आर्थिक लाभ प्राप्त करने में सहायता करते हैं। आईपीआर प्रक्रिया और कानूनों का सही ज्ञान नवाचार को बढ़ावा देने और आर्थिक विकास में महत्वपूर्ण योगदान देता है। ने कहा की बौद्धिक संपदा अधिकार (आईपीआर) प्रक्रिया और विभिन्न कानून नवाचारकर्ताओं और रचनाकारों को उनके आविष्कारों, डिज़ाइनों, और कलात्मक कार्यों का कानूनी संरक्षण प्रदान करते हैं। आईपीआर प्रक्रिया में पेटेंट, ट्रेडमार्क, कॉपीराइट, और डिज़ाइन पंजीकरण जैसे चरण शामिल होते हैं, जिनके माध्यम से व्यक्ति या संस्था अपनी बौद्धिक संपदा को कानूनी रूप से सुरक्षित कर सकते हैं। भारत में आईपीआर से संबंधित कानूनों में पेटेंट अधिनियम, 1970; ट्रेडमार्क अधिनियम, 1999; कॉपीराइट अधिनियम, 1957; और डिज़ाइन अधिनियम, 2000 शामिल हैं। ये कानून नवाचारकर्ताओं को उनके अधिकारों की सुरक्षा प्रदान करते हैं और उन्हें उनके आविष्कारों से आर्थिक लाभ प्राप्त करने में सहायता करते हैं। आईपीआर प्रक्रिया और कानूनों का सही ज्ञान और उपयोग नवाचार को बढ़ावा देने एवं आर्थिक विकास को योगदान देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते है। 





श्री अमरजीत शर्मा वैज्ञानिक, सी-डैक पटना ने कहा की जेनरेटिव एआई (Generative AI) के युग में बौद्धिक संपदा अधिकार (आईपीआर) नए चुनौतियों और अवसरों का सामना कर रहा है। जेनरेटिव एआई तकनीक, जैसे कि टेक्स्ट, इमेज, म्यूजिक और कोड जेनरेशन, ने रचनात्मक प्रक्रियाओं को क्रांतिकारी बना दिया है, लेकिन इसने आईपीआर से जुड़े जटिल सवालों को भी जन्म दिया है। उदाहरण के लिए, यदि कोई एआई सिस्टम किसी कलाकृति या आविष्कार का निर्माण करता है, तो उसका श्रेय और स्वामित्व किसे दिया जाएगा? क्या एआई द्वारा बनाई गई रचनाएँ कॉपीराइट या पेटेंट के अंतर्गत आ सकती हैं? इन सवालों के समाधान के लिए आईपीआर कानूनों को एआई तकनीक के साथ तालमेल बिठाने की आवश्यकता है। साथ ही, एआई द्वारा उत्पन्न नकली सामग्री (Deepfakes) और पायरेसी जैसी समस्याओं से निपटने के लिए मजबूत कानूनी ढांचे की आवश्यकता है। 

इस युग में आईपीआर न केवल नवाचार को संरक्षित करने बल्कि एआई के नैतिक और कानूनी उपयोग को सुनिश्चित करने में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा। इन सभी विषयों पर सी-डैक पटना द्वारा गहन शोध किया जा रहा है। इस समारोह के सफल संचालन में सी-डैक पटना के वैज्ञानिको एवं अन्य कार्यकर्तओ की भूमिका रही। अंत में सी-डैक पटना के द्वारा प्रतिभागीओ एवं प्रतिनिधियों को शम्मान्ति कर प्रमाणपत्र प्रदान किये गए।