- किसान आंदोलन के साथ धार्मिक और सामाजिक न्याय के लिए भी प्रासंगिक हैं सहजानन्दः हरि साहनी
- कई क्षेत्रों में भारत रत्न के दावेदार हैं सहजानंद: रवींद्र रंजन
पटना। पटना के बीआई सभागार स्वामी सहजानंद किसान वाहिनी की ओर से रवींद्र रंजन की अध्यक्षता में आयोजित महान किसान नेता स्वामी सहजानंद सरस्वती के जयंती के अवसर पर समारोह के उदघाटन भाषण में बिहार सरकार के मंत्री हरि साहनी ने कहा कि स्वामी सहजानंद ने पहली बार किसानों को राष्ट्रीय स्तर पर संगठित करने का कार्य किया था.
मंत्री हरि साहनी ने बताया कि सहजानंद के कार्यों का ही नतीजा था कि किसान भारतीय राजनीति की मुख्य धारा से जुड़ पाए. सहजानंद के आह्वान पर स्वतंत्रता आंदोलन में किसानों ने भाग लिया, जिससे स्वतंत्रता आंदोलन की धारा व्यापक हुई. उनके कार्यों कि वजह से ही देश भर से जमींदारी प्रथा का उन्मूलन हुवा और देश भर कि किसान अपने खेतों के मालिक बहाल हो पाए. उन्होंने यह भी कहा कि सहजानंद को न सिर्फ उनके किसान आंदोलन के लिए याद किया जायेगा बल्कि उनके धार्मिक सुधार और सामाजिक न्याय के क्षेत्र में भी उल्लेखनीय योगदान कालजई तौर पर प्रासंगिक बना रहेगा.
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स्वामी सहजानंद को याद करते हुवे राज्य सभा सांसद डॉ भीम सिंह ने कहा कि वे सर्वसमाज के नायक थे. उन्हें किसी जाति या वर्ग विशेष में नहीं समेटा जा सकता. सहजानंद जितने किसानों के थे उतने ही पछड़ों और उतने ही दलितों के भी नायक थे.
वहीं कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए स्वामी सहजानन्द किसान वाहिनी के अध्यक्ष रवीन्द्र रंजन के बिहटा एयरपोर्ट के नाम स्वामी सहजानन्द सरस्वती के नाम रखने और इन्हीं के नाम पटना विश्वविद्यालय का नामकरण करने की मांग की. रवींद्र रंजन ने कहा कि आधुनिक इतिहास में इस प्रदेश के लिये स्वामी सहजानन्द से अधिक कोई महत्वपूर्ण व प्रभावशाली हस्ती नही है. रवीन्द्र रंजन ने आधुनिक भारत के तीन श्रेष्ठ सन्यासियों में गिनते हुए कहा कि सहजानन्द ने दयानन्द व विवेकानन्द सरीखा धर्म व शास्त्र में योगदान किया. जबकि सहजानन्द का शिखर उनका किसान आंदोलन है.
अपने विचार प्रकट करते हुए श्री रंजन ने उल्लेख किया कि आधुनिक भारत के उन रत्नों में से एक हैं जिन्हे एक नहीं बल्कि कई क्षेत्रों में भारत रत्न दिया जा सकता है. सहजानंद को किसान आंदोलन, समाज, साहित्य, धर्म, शिक्षा जैसे क्षेत्रों में अद्वितीय योगदान के लिए भारत रत्न दिया जा सकता है. हालांकि उन्होंने यह भी कहा कि सहजानंद का कद भारत रत्न से कहीं उपर है. सहजानंद को भारत रत्न प्रदान करने से भारत रत्न का सम्मान बढ़ेगा. इस अवसर पर भाजपा के वरिष्ठ नेता सह प्रवक्ता प्रेम रंजन पटेल ने कहा कि सहजानंद ने सहजानंद के नाम पर शोध सम्मान खोलने की मांग की। उन्होंने कहा कि सहजानन्द सच्चे राष्ट्रवादी, हिन्दुवादी और किसानवादी थे.
इस अवसर पर आजाद गांधी, समाजसेवी पूजा ऋतुराज, वरिष्ठ पत्रकार मदनमोहन ठाकुर, काजल शर्मा, युवाओं पर संगठन चलाने वाले प्रेम सिंह, सिंधु बाला, विश्वमोहन सिंह, विश्वनाथ मिश्रा, प्रो. फूलो पासवान, जीत कुमार, प्रशांत कुमार, ज्ञानेश्वर राय, श्री राम शर्मा, डॉ सोनू सिंह आदि ने भी स्वामी सहजानंद सरस्वती पर अपने विचार को रखा. उक्त अवसर विभिन्न क्षेत्रों के विशेष लोगों को स्वामी सहजानंद सम्मान से सम्मानित किया गया.