- गृहमंत्री अमित शाह द्वारा बाबासाहेब का अपमान किए जाने के खिलाफ वाम पार्टीयों का विरोध दिवस के अंतर्गत मार्च व पुतला दहन
- बाबासाहेब डॉ भीमराव अंबेडकर का अपमान,नहीं सहेगा हिन्दुस्तान!
सासाराम। गृहमंत्री अमित शाह के पुतला के साथ कुशवाहा सभा भवन के समीप से विरोध मार्च निकाला जो पोस्ट ऑफिस चौक पर पुतला दहन किया गया और सभा की गई.सभा को संबोधित करते हुए नेताओं ने कहा - बाबासाहेब डॉ भीमराव अंबेडकर के द्वारा लिखित संविधान 1950 में जिस दिन लागू किया गया उसी दिन दिल्ली के रामलीला मैदान में आर एस एस व विश्व हिन्दू परिषद के द्वारा बाबासाहेब का पुतला और संविधान की प्रतियां जलाने का राष्ट्र विरोधी कार्यवाही की.यह बताता है कि बाबासाहेब व संविधान के प्रति इन भाजपाइयों,संघीयों के मन में कितनी घृणा व नफ़रत भरा पड़ा है ! ये उपर से बाबासाहेब व संविधान के प्रति सम्मान दिखाने की ढोंग करनेवाले संविधान को बदल देने व बाबासाहेब के विचारों को दफन करने की मिशन में रात-दिन लगे हुए हैं.ऐ अच्छी तरह जानते है कि देश में जब तक बाबासाहेब का संविधान रहेगा तब तक बाबासाहेब का विचार जिंदा रहेगा.और जब तक बाबासाहेब का विचार जिंदा रहेगा तब तक आर एस एस-भाजपा का मिशन देश को हिन्दू राष्ट्र बनाने और मनुस्मृति को संविधान बनाने का सपना कभी साकार नहीं होगा.
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संविधान की ही वह ताकत है कि 2024 के लोकसभा चुनाव में चार सौ पार का नारा देने वाले को 240 पर संतोष कर बैसाखी पर टिकी सरकार बनाने पर मजबूर होना पड़ा.राज्य सभा में तडीपार गृहमंत्री अमित शाह के ज़बान पर अनायास ही बाबासाहेब के प्रति अपमान करने की बात सामने नहीं आई.2024 के लोकसभा चुनाव में बैसाखी पर टिकी सरकार से तिलमिलाहट के कारण अमित शाह के ज़बान से बाबासाहेब को अपमानित करने की बात निकल आई. बाबासाहेब ने कहा था - "संविधान कितना भी अच्छा क्यों न हो अगर लागू करने वाले गलत लोगों के हाथ में हो तो उसका गलत परीणाम सामने आएगा.और संविधान कितना भी ग़लत क्यों न हो अगर सही लोगों के हाथ में रहेगा तो सही परीणाम देगा." बाबासाहेब की यह भविष्यवाणी सत प्रतिशत साबित हो रहा है.आज भारत का संविधान सांप्रदायिक फासीवादी ताकतों के हाथों में कैद हो गया है.
25 नवंबर 1950 को संविधान सभा में बाबा साहेब डॉक्टर भीमराव अंबेडकर ने बोलते हुए शंका जाहिर की थी - "जिस दिन भारत के लोग धर्म को देश के ऊपर माननें लगेंगे उसी दिन देश अपनी आजादी खो देगा" आगे उन्होंने कहा - "जिस दिन भारत के लोग किसी नेता के प्रति इतने अंधभक्त हो जाएंगे उसी दिन वह नेता तानाशाह बनकर उसी जनता के खिलाफ निर्णय लेने लगेगा.शायद पेपर पर आजादी रहे,लेकिन वास्तविक जीवन में भारत के लोग अपनी आजादी को खो देंगे." आज जिस तरह बोलने,लिखने पर पत्रकारों, बुद्धिजिवियों को अर्बन नक्सल का ठप्पा लगाकर देशद्रोह में वर्षों जेलों में बंद किया जा रहा है.बाबासाहेब की आशंकाएं आज सच साबित हो रही है.
बाबासाहेब ने भारत को आर एस एस-भाजपा के हिंदू राष्ट्र निर्माण के सवाल पर बड़े ही कडे तेवर में हमें चेतावनी देते हुए कहा था - "भारत में अगर हिंदू राजा स्थापित हो जाता है तो नि:संदेह वह इस देश के लिए एक बहुत बड़ी आपदा होगी.हिंदू चाहे कुछ भी कहे हिंदू धर्म स्वतंत्रता, समानता और बंधुत्व के लिए खतरा है.इसी कारण लोकतंत्र के साथ उसका जोड़ नही है.हिंदू राज को किसी भी कीमत पर रोका जाना चाहिए."
आर एस एस एस-भाजपा को यह सब कुछ करने के लिए ताकत कहां से मिलती है? नि: सन्देह तथाकथित अंबेडकरवादी बहन मायावती, चिराग पासवान, जीतन मांझी, रामदास आठवले, नितिश कुमार, चन्द्र बाबू नायडू जैसे नेताओं से हीं तो मिलती है. देश के लिए भाजपा से बड़ा बड़ा दुश्मन ये दलित नेता हीं तो है.
सभा को भाकपा-माले, लिबरेशन के जिला सचिव नन्द किशोर पासवान, रविशंकर राम,जवाहरलाल सिंह, मार्कंडेय चन्द्रवंशी, नरेंद्र राम, मदन गोपाल पंडित, जयविजय तिवारी, सीपीआई एम के प्रदेश नेता सतार अंसारी सचिव अनिल यादव, बाबूराम सिंह रंजन सोनी, मुजीब अंसारी, रामलाल राम, सीपीआई के धर्मेंद्र सिंह, रुपेश श्रीवास्तव, महेंद्र प्रसाद गुप्ता, राकेश श्रीवास्तव, यमिन कबीरी, श्रीराम राय, जवाहरलाल सिंह, साहब जान खां, संविधान बचाओ संघर्ष समिति के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष अनिल दास।
गुड्डू कुमार
(जिला कार्यालय सचिव भाकपा-माले लिबरेशन रोहतास)