राज्यसभा के नव निर्वाचित अन्य माननीय सदस्यों की तरह राज्यसभा सचिवालय ने मुझे भी शपथ लेने की तारीख 4 या 5 सितंबर में से किसी भी दिन को चुनने का विकल्प दिया था। मैंने 5 सितंबर का चुनाव किया। तदनुसार आज पुनः एकबार मैं देश के सर्वोच्च सदन की सदस्यता के लिए शपथ ग्रहण करुंगा। शपथ की तारीख 4 हो 5, इससे अन्य लोगों को शायद कोई फर्क नहीं पड़ता। परन्तु 5 सितंबर मेरे लिए बहुत अहम है। आज जहां एक ओर पूरा राष्ट्र हमारे देश के पूर्व राष्ट्रपति "भारत रत्न" डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन साहब की जयंती पर प्रत्येक वर्ष की तरह "शिक्षक दिवस" मना रहा है। वहीं सामाजिक न्याय के लिए अपनी जान को न्योछावर कर देने वाले महान क्रांतिकारी नेता "बिहार लेनिन" जगदेव बाबू का शहादत दिवस भी है। मैंने शपथ के लिए इस खास दिन का चुनाव इसलिए किया कि शिक्षक दिवस पर सदन की सदस्यता के लिए शपथ लेते वक्त गरीब घर के बच्चों के जीवन में शिक्षा की रौशनी जलाने के लिए "शिक्षा में सुधार" के मेरे संकल्प और श्रद्धेय जगदेव बाबू की शहादत का स्मरण करते हुए सामाजिक न्याय के प्रति मेरे मन की प्रतिबद्धता की ताजगी को मैं बार-बार महसूस कर पाऊं।
इस अवसर पर आज मैं अपने उन सभी गुरुजनों के चरणों में सर झुकाता हूं, जिन्होंने औपचारिक या अनौपचारिक रूप से शिक्षा और ज्ञान का अमृत पिला कर मुझे इस लायक बनाया कि आज मैं यहां हूं। साथ ही मैं महान विद्वान, भारत के पूर्व राष्ट्रपति "भारत रत्न" डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन साहब एवं "बिहार लेनिन" श्रद्धेय जगदेव बाबू के प्रति श्रद्धांजलि अर्पित करता हूं। इसके साथ ही इस अवसर को उपलब्ध कराने के लिए पुनः एकबार भारत के यशस्वी प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी, बिहार के लोकप्रिय मुख्यमंत्री श्री नीतीश कुमार जी, माननीय गृह मंत्री श्री अमित शाह जी, भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष श्री नड्डा साहब एवं एनडीए के अन्य सभी नेताओं व कार्यकर्ताओं के प्रति कृतज्ञता व्यक्त करता हूं।
और अन्त में, आप सबों को विशेष रूप से साधुवाद देता हूं क्योंकि जब - जब कुछ लोगों ने उपेंद्र कुशवाहा को धक्का देकर गिराना चाहा है तब-तब आपने अपनी भुजाएं फैला दी है, इस बार भी।
साभार - माननीय श्री उपेन्द्र कुशवाहा जी के कलम से